किससे प्रेरित हुए अरविंद केजरीवाल : बराक ओबामा या सचिन तेंदुलकर...?

नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व, ऐतिहासिक जीत मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के भावी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता को तो धन्यवाद कहा ही, उनके संघर्ष में साथ निभाने के लिए उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा में कार्यरत अपनी पत्नी सुनीता के प्रति भी आभार जताया। ऐसा भारतीय राजनीति में शायद पहली बार हो रहा था, जब कोई नेता अपनी सफलता में सार्वजनिक तौर पर अपनी पत्नी और परिवार को बराबरी का हिस्सेदार बता रहा था। अरविंद ने कहा था, "मैं उनके बिना कुछ भी हासिल नहीं कर पाता... मैं अकेला कुछ नहीं कर पाता..."

आमतौर पर भारतीय राजनेता सार्वजनिक तौर पर अपनी पत्नी को गले लगाकर स्नेह और आभार प्रकट करने से सकुचाते हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी नई पार्टी है, नई तरह की राजनीति की वकालत कर रही है, सो, उनके तौर-तरीके भी नए हैं।

भारतीय राजनीति में यह नई बात हो सकती है, लेकिन दुनिया के लिए अजूबा नहीं है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने भी हाल ही में अपने भारत दौरे में अपनी पत्नी मिशेल का बार-बार ज़िक्र किया और अपनी सफलता के लिए उन्हें धन्यवाद देते रहे। ओबामा ने अपनी बेटियों के बारे में भी बात की, उनकी तारीफ की, और बराक ओबामा का यही अंदाज़ शायद केजरीवाल को भी भा गया।

वैसे, भारतीय राजनीति में यह भले ही पहली बार हुआ हो, लेकिन क्रिकेट में यह परंपरा नई नहीं है। आपको याद होगा वर्ष 2013 में जब दुनिया के सबसे कामयाब क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर संन्यास का ऐलान कर रहे थे, उनका पूरा परिवार उनके साथ खड़ा था। सचिन ने अपने भावुक भाषण में परिवार के हर सदस्य का ज़िक्र किया। सचिन के अल्फ़ाज़ थे, "अंजलि डॉक्टर थीं... उनके सामने एक सुनहरा करियर था... जब हमने परिवार बढ़ाने का सोचा तो अंजलि ने अपना करियर छोड़ दिया, ताकि मैं खेलता रहूं और वह बच्चों की देखभाल करें... शुक्रिया अंजलि, मेरी सारी बकवास सुनने के लिए... तुम मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी पार्टनरशिप हो..." इस मौके पर सचिन और उनका परिवार तो भावुक था ही, स्टेडियम और टीवी पर लाइव प्रसारण देख रहे लाखों प्रशंसकों की आंखों में भी आंसू थे। सचिन ऐसा कहकर अपने प्रशंसकों से सीधे जुड़ गए थे। वैसे, मास्टर ब्लास्टर अपनी कामयाबी का श्रेय अपने प्रशंसकों को भी देते रहे हैं।

वैसे क्रिकेट के मैदान पर संन्यास के समय एक बेहद भावुक लम्हा सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में देखने को मिला था। वर्ष 2003 में दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में शामिल स्टीव वॉ ने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर क्रिकेट को अलविदा कहा तो उनका परिवार साथ खड़ा था। एडम गिलक्रिस्ट, मैथ्यू हेडन और रिकी पॉन्टिंग के संन्यास के वक्त भी कुछ ऐसा ही नज़ारा था। किसी खिलाड़ी ने परिवार के योगदान को दुनिया के साथ साझा करने में संकोच नहीं दिखाया।

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सो, अब अरविंद केजरीवाल को क्रिकेटरों से प्रेरणा मिली या बराक ओबामा से, लेकिन एक बात साफ है कि यह भारतीय राजनीति में अपने प्रशंसकों के दिलों को छूने का नया अंदाज़ है।