UP elections 2017: 'पिता-पुत्र' के बाद अब 'मां-बेटी' के बीच छिड़ा सियासी संग्राम

UP elections 2017: 'पिता-पुत्र' के बाद अब 'मां-बेटी' के बीच छिड़ा सियासी संग्राम

अनुप्रिया पटेल केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री हैं.

खास बातें

  • अपना दल पार्टी दो गुटों में है विभाजित
  • एक धड़ा अनुप्रिया पटेल और दूसरा मां कृष्‍णा पटेल में विभाजित
  • इस पार्टी के लोकसभा में दो सांसद हैं
नई दिल्‍ली:

समाजवादी पार्टी में 'पिता-पुत्र' घमासान के बाद अब यूपी के ही एक दूसरे सियासी परिवार में 'मां-बेटी' के बीच सियासी संग्राम छिड़ा है. ताजा मामला अपना दल पार्टी से जुड़ा है. दरअसल यह पार्टी बेटी अनुप्रिया पटेल गुट और मां कृष्‍णा पटेल में विभाजित है. अनुप्रिया पटेल, बीजेपी के नेतृत्‍व वाली राजग सरकार में सहयोगी दल की भूमिका में हैं और मंत्री हैं. अपना दल के दो सांसद हैं. दरअसल लंबे समय से अपना दल के दोनों गुटों में खींचतान जारी है.

अब विधानसभा चुनाव आने के बावजूद इन गुटों के बीच रार थमने का नाम नहीं ले रही है. अब दोनों ने एक ही पार्टी के बैनर तले अपने-अपने उम्‍मीदवार देने की घोषणा की है. बीजेपी ने जहां एक ओर अनुप्रिया पटेल गुट को गठबंधन के तहत यूपी में 10 सीटें देने की बात कही है, वहीं उनकी मां कृष्‍णा पटेल ने किसी भी पार्टी से समझौते की बात को इनकार कर दिया है. यह गुट तकरीबन डेढ़ सौ सीटों पर चुनाव लड़ने का भी दावा कर रहा है.

कहा जा रहा है कि कृष्‍णा पटेल खुद पीएम नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी के तहत आने वाली रोहनिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. यह भी कहा जा रहा है कि कृष्‍णा पटेल गुट मंत्री अनुप्रिया ग्रुप के खिलाफ भी उम्‍मीदवार उतारने की तैयारी में हैं.

गौरतलब है कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद के दूसरे विस्तार में अनुप्रिया पटेल को अपना दल कोटे से मंत्री बनाए जाने के बाद मां कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाले धडे़ ने भाजपा से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया था.

गौरतलब है कि अपना दल की स्थापना अनुप्रिया के पिता सोनेलाल पटेल ने 1995 में की थी. 2009 में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल पार्टी की अध्यक्ष बनी और छोटी बेटी अनुप्रिया को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया.

अनुप्रिया 2012 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की रोहनियां सीट से चुनी गई थीं.  मगर वर्ष 2014 में भाजपा के साथ गठबंधन हो जाने के बाद उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा देकर मिर्जापुर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजयी हुईं. उनके साथ पार्टी के हरिवंश सिंह प्रतापगढ़ से चुनाव जीते.

उसके बाद 2015 में पार्टी में कथित अधिकार को लेकर विवाद शुरू हो गया और अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया को दल से निकालने की घोषणा की जबकि वे खुद को पार्टी का मुखिया बताने लगीं. दूसरी तरफ अनुप्रिया पटेल गुट भी अपना दल पर अपनी दावेदारी करता है.


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