मुस्लिम नेताओं के मुताबिक, हिन्दू एकजुट हुए, 'वोटबैंक' बने, बीजेपी को हुआ फायदा

मुस्लिम नेताओं के मुताबिक, हिन्दू एकजुट हुए, 'वोटबैंक' बने, बीजेपी को हुआ फायदा

खास बातें

  • यूपी चुनाव में बीजेपी ने इस बार कुछ मुस्लिम-बहुल सीटें भी जीती हैं
  • बीजेपी ने मुस्लिम फैक्टर को सफलतापूर्वक निष्प्रभावी बनाया : कासिम रसूल
  • मोदी-शाह 'अच्छे दिन' की आड़ में हिन्दू राष्ट्र का वादा परोस रहे : अदीब
नई दिल्ली:

मुस्लिम समुदाय के नेताओं का मानना है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ऐतिहासिक सफलता की वजह तमाम हिन्दू जातियों का एक साथ आकर हिन्दू वोट के रूप में परिवर्तित हो जाना रहा, जिसने मुस्लिम मतों के बंटने को अर्थहीन बना दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झोली में जबरदस्त सफलता डाल दी.

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने अकेले 312 सीटें जीती हैं, जिनमें मुरादाबाद नगर, देवबंद, नूरपुर, चांदपुर, नानपारा और नकुड़ जैसे कुछ ऐसे इलाके भी हैं, जहां मुसलमान बड़ी संख्या में रहते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन जैसी तमाम जगहों पर मुस्लिम मत समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में बंट गए. हालांकि, फिर भी मुस्लिम प्रत्याशी मेरठ, कैराना, नजीबाबाद, मुरादाबाद ग्रामीण, संभल, रामपुर, स्वार-टांडा जैसे इलाकों में जीत हासिल करने में सफल रहे.

कुछ मुस्लिम नेताओं ने कहा कि कुछ सीटें तो मुस्लिम मतों के विभाजन के कारण बीजेपी की झोली में गिरीं, लेकिन जिस पैमाने पर बीजेपी को सफलता मिली है, उससे साफ है कि अगर मुसलमान किसी एक पार्टी के साथ गए होते, तो भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता.
 


समाजवादी पार्टी के पूर्व सदस्य कमाल फारुकी ने कहा कि 'मुस्लिम मतों के विभाजन की बात एक तरह का अमूर्त विचार है...' उन्होंने कहा, "सामान्य धारणा के विपरीत, मुसलमान एकजुट होकर किसी पार्टी को वोट नहीं देते... बीजेपी हिन्दू मतों को एकजुट करने के लिए इस बात को उछालती है कि मुसलमान एकजुट होकर मत देते हैं... जबकि सच्चाई यह है कि मुसलमान भी किसी अन्य सामान्य मतदाता की ही तरह अपने मुद्दों व चिंताओं के आधार पर मत देते हैं..."

उन्होंने कहा, "यह संभव ही नहीं है कि उत्तर प्रदेश के मुसलमान किसी एक पार्टी को मत दें, लेकिन वे कभी-कभी एकजुट होकर किसी एक क्षेत्र में किसी एक प्रत्याशी का समर्थन करते हैं..."

वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि बीजेपी की रणनीति ने मुस्लिम फैक्टर को (चुनावों में) सफलतापूर्वक निष्प्रभावी बना दिया है. इलियास ने कहा कि बीजेपी ने जाटवों के अलावा बाकी सभी अनुसूचित जातियों और यादवों के अलावा अन्य सभी पिछड़ों के मत हासिल किए हैं. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और (बीजेपी अध्यक्ष) अमित शाह के उदय के बाद यह नई तरह की सोशल इंजीनियरिंग देखने को मिल रही है..."

पूर्व राज्यसभा सदस्य मोहम्मद अदीब ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 'अच्छे दिन' की आड़ में हिन्दू राष्ट्र का वादा परोस रहे हैं, जिसने वस्तुत: बीजेपी को हिन्दू मतों को इकलौती सर्वाधिक प्रभावी इकाई में बदलने में मदद की है. उन्होंने कहा, "बीते तीन साल में मोदी सरकार की कोई ऐसी उपलब्धि नहीं है, जो नज़र आती हो, फिर भी लोगों ने मोदी को मत दिया... मोदी में लोग हिन्दू राष्ट्र की उम्मीद देख रहे हैं, जिसे वह (मोदी) 'अच्छे दिन' कहकर प्रचारित कर रहे हैं..."

कई मुस्लिम संगठनों के साझा संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरात के अध्यक्ष नवेद हामिद ने कहा, "हम एक बहुसंख्यकवादी लोकतंत्र की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां राष्ट्रवाद को हिन्दुत्व में मिला दिया गया है..."

(इनपुट आईएएनएस से भी)

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