विधानसभा चुनाव 2017: पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता के करीब भी नहीं पहुंची, क्यों? हार के पांच बड़े कारण

विधानसभा चुनाव 2017: पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता के करीब भी नहीं पहुंची, क्यों? हार के पांच बड़े कारण

पंजाब विधानसभा चुनाव में आप दूसरे नंबर पर | आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल

खास बातें

  • आम आदमी पार्टी राज्य के चुनाव में सत्ता पर दावेदारी बता रही थी.
  • पार्टी के दिल्ली के कई नेता कई महीनों से राज्य में डेरा डाले हुए थे
  • पार्टी शुरुआत में तीसरे नंबर पर थी
नई दिल्ली:

पंजाब विधानसभा चुनाव इस बार ऐतिहासिक होते होते बच गए. पिछली बार चुनाव में अकाली दल बीजेपी की सरकार के सत्ता में वापसी को इतिहास माना गया था और जीत काफी बड़ी थी. इससे पहले राज्य में लगातार सत्ता में परिवर्तन होता रहा है.

अब इस बार आम आदमी पार्टी राज्य के चुनाव में सत्ता की दावेदारी बता रही थी. पार्टी के दिल्ली के कई नेता कई महीनों से राज्य में डेरा डाले हुए थे और पार्टी ने गांव तक में अपनी पकड़ बना ली थी. पार्टी नेताओं ने कई रैलियां की. लेकिन आज चुनाव परिणाम आ रहे हैं और उससे साफ है कि पार्टी शुरुआत में तीसरे नंबर पर थी जो दोपहर होते होते दूसरे नंबर आ गई. वहीं पार्टी ने दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर जीत की तैयारी के लिए लगाए गए डीजे खामोश रहे और पूरी रोड पर जैसे सन्नाटा ही साया है.
 

arvind kejriwal house
पंजाब चुनाव  (Punjab Chunav) में हार के बाद केजरीवाल के घर के बाहर सन्नाटा

पंजाब में आम आदमी पार्टी की हार पांच सबसे बड़े कारण ये माने जा रहे हैं.

पंजाब में आम आमदी पार्टी की हार का सबसे बड़ा कारण सिरसा डेरा है. सिरसा डेरा की ओर से चुनाव से ठीक पहले अकाली दल और बीजेपी के समर्थन की बात कही गई. इस डेरा से गांव के लोगों का काफी जुड़ाव है. इतना ही नहीं राज्य के दलित समुदाय में भी इस डेरे का काफी प्रभाव है. कहा जा रहा है कि इस डेरे का चुनाव पर हमेशा ही काफी प्रभाव रहा है. राज्य में डेरा हमेशा से चुनाव से पहले किसी पार्टी को समर्थन किया करता रहा है. इस बार डेरा ने अकाली बीजेपी को समर्थन का ऐलान क्या किया, आम आदमी पार्टी के पैरों के तले से जमीन सरक गई और पार्टी की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है.

इसके पार्टी को सुच्चा सिंह छोटेपुर का आम आदमी पार्टी से जुड़ना और फिर निकल जाना पार्टी के लिए काफी नुकसानदायक रहा है. पिछले साल अगस्त में पार्टी ने सुच्चा सिंह छोटेपुर को पार्टी की पंजाब इकाई के संयोजक पद से हटा दिया था. एक कथित स्टिंग ऑपरेशन में छोटेपुर कथित रूप से विधानसभा टिकट के ऐवज में पैसे लेते दिख रहे थे, हालांकि वह इसे अपने खिलाफ साजिश करार देते रहे. उस समय उन्होंने जिस तल्ख अंदाज में पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर हमला किया और उन्हें 'सिख विरोधी' तक बता डाला था. वहीं से यह कहा जाने लगा था कि चुनाव में वह पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं और आज यह सच साबित हुआ. बता दें कि 24 सीटों पर छोटेपुर की काट खोजने में केजरीवाल एंड पार्टी असफल रही. छोटेपुर पंजाब के माझा से ताल्लुक रखते हैं.

इसके अलावा आम आदमी पार्टी की हार के एक बड़ा कारण पंजाब को बाकी दो बड़े इलाके दोआबा और माझा में पार्टी के कमजोर संगठन का असर भी रहा है. यह अलग बात है कि आम आदमी पार्टी ने माझा इलाके पर ज्यादा ध्यान केंद्रित नहीं किया. अभी तक के रुझानों ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी यहां पर भी सभी सीटों पर बढ़त नहीं बना पाई है.

वहीं हार का एक कारण पार्टी द्वारा केवल मालवा के जरिए सत्ता में पहुंचने का था. और यहीं से सत्ता तक पहुंचने की उम्मीद लगाए बैठी थी. यहां पर पार्टी अपनी हवा की बात कह रही है. वैसे मालवा से ही सभी दलों के बड़े नेता चुनाव लड़ते आ रहे हैं. दोआबा में कांग्रेस और अकाली आगे रही हैं.

इसके अलावा दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार और उनके लगातार चले आ रहे केंद्र से टकराव के असर को भी पंजाब के लोगों ने देखा. पंजाब राज्य की सीमा पाकिस्तान से लगती है और ऐसे में दिल्ली के बाद यदि पंजाब में आप की सरकार बनती तो यहां पर आए दिन राज्य और केंद्र में टकराव देखने को मिलता.

आम आदमी पार्टी के हार के कारणों में एक कारण यह भी माना जा रहा है कि पार्टी के टिकट वितरण से पार्टी कार्यकर्ता पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थे. पार्टी में टिकट वितरण को लेकर सुच्चा सिंह से भी मतभेद हुए थे और उसके बाद फिर दूसरे नेताओं के चयन में भी विवाद हुआ. पार्टी कार्यकर्ताओं ने टिकट वितरण में केंद्रीय नेताओँ पर मनमानी करने का आरोप भी लगाया था.
(आनंद कुमार पटेल के इनपुट के साथ)
 

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