कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि ये उनका आखिरी चुनाव है.
नई दिल्ली: शनिवार को पंजाब में चुनाव होने जा रहे हैं. पंजाब में परंपरागत रूप से शिरोमणि अकाली दल(शिअद)-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस के बीच ही लड़ाई होती रही है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी(आप) भी यहां तीसरी ताकत बनकर उभरी है. लिहाजा मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है. इस बार के मुकाबले में एक तरफ जहां शिरोमणि अकाली दल(शिअद)-भाजपा गठबंधन लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की राह देख रहा है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह पर दांव लगाया है. इस बार के चुनाव में खास बात यह रही कि नवजोत सिंह सिद्धू ने भी बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस का दामन पकड़ लिया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 13 में से चार लोकसभा सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी(आप) के भी हौसले बुलंद हैं. कुल मिलाकर इस चुनाव के साथ सूबे की सियासत में इन सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. राज्य की 117 सीटों पर चार फरवरी को मतदान होगा.
प्रकाश सिंह बादल (89)
शिअद के नेता. इस वक्त देश के सर्वाधिक उम्रदराज सीएम. पांचवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री हैं. सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है. अबकी उनकी परंपरागत सीट लांबी पर भी मुकाबला रोचक हो गया है. बादल इसी सीट से जीतते आए हैं. इस बार टक्कर देने के लिए इस सीट से पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह और आप की तरफ से दिल्ली में विधायक रहे जरनैल सिंह खड़े हैं. प्रकाश बादल के बेटे और पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल(54) शिअद का शहरी चेहरा हैं. यदि पार्टी सत्ता में लौटती है तो पिता की बढ़ती उम्र के चलते सरकार में मुख्य भूमिका में आना पड़ सकता है.
अबकी बार शिअद-बीजेपी गठजोड़ विकास के कार्ड के सहारे चुनाव में जाने की तैयारी कर रहा है. ये कांग्रेस और आप पर 'सिख विरोधी' और 'पंजाब विरोधी' होने का आरोप लगाती रही है. हालांकि पार्टी के भीतर बगावत के सुर भी उठे हैं और छह विधायक या तो कांग्रेस खेमे में गए हैं या निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
कैप्टन अमरिंदर सिंह (74)
कांग्रेस सत्तारूढ़ शिअद-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का पूरा लाभ लेने की कोशिश करेगी. हालांकि इसको आक्रामक आप की चुनौती से भी निपटना होगा. पार्टी की तरफ से सीएम चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि यह उनका आखिरी सियासी दांव है. पार्टी का प्रचार भी पूरी तरह से कैप्टन अमरिंदर सिंह(74) के इर्द-गिर्द बुना गया है. 2014 लोकसभा चुनाव और उसके बाद के कई विधानसभा चुनावों में लगातार पराजय का सामना कर रही कांग्रेस, कैप्टन के भरोसे राज्य में सत्ता में वापसी के मूड में है.
आप
राज्य में सबसे पहले चुनाव प्रचार आरंभ किया. यदि सत्ता में पार्टी आती है तो अरविंद केजरीवाल का कद राष्ट्रीय क्षितिज पर बढ़ेगा. आप को दिल्ली से बाहर विस्तार का मौका मिलेगा. लेकिन पार्टी पर 'बाहरी' होने का ठप्पा भी अन्य दल लगा रहे हैं. राज्य में संगठन के मुद्दे और टिकट चाहने वालों के बागी होने का असर पार्टी पर पड़ सकता है.
बीजेपी
राज्य में शिअद की सहयोगी. पिछली बार केवल 23 सीटों पर लड़ी थी. अबकी बार पार्टी के प्रमुख नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी. इससे पार्टी पर असर पड़ने के आसार हैं.