संदीप दीक्षित (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने से पहले दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में चुनने वाली कांग्रेस के नेता और शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित आमतौर पर पार्टी के भीतर विरोधी स्वर उठाने के लिए मशहूर रहे हैं. शनिवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणामों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी की शानदार जीत और कांग्रेस का लगभग सफाया हो जाने पर संदीप दीक्षित ने पार्टी की कमज़ोरियों को गिनाया है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी से उलट हमारी पार्टी कांग्रेस नेताओं को तैयार करने और उनका साथ देने पर ध्यान नहीं देती है. उन्होंने कहा, "हमारे पास ऐसा सिस्टम ही नहीं है, जिसमें किसी नेता को बनाया जा सके, और उसके पीछे खड़ा रहा जाए... 2002-मोदी-बीजेपी इसका शानदार उदाहरण है... मोदी दरअसल बीजेपी के लिए बोझ थे, लेकिन बीजेपी उनके साथ खड़ी रही, उन्हें मौका दिया, और देखिए, वह कहां पहुंच गए..."
यूपी में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के बावजूद कांग्रेस की हार के साफ हो जाने के बाद 52-वर्षीय संदीप दीक्षित से NDTV के डॉ प्रणय रॉय ने पूछा, "अगर आप राहुल गांधी होते, तो क्या पद छोड़ देते...?" काफी देर रुककर उनका जवाब था, "मैं राहुल गांधी नहीं हूं..."
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी जनता के नेता हैं (जबकि सारा घटनाक्रम उलट ही संकेत देता है), संदीप दीक्षित ने कुछ पल के लिए चुप्पी साध ली, और फिर आगे झुककर कहा, "क्या हम इस चुनाव से इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं...? मुझे नहीं पता... मुझे लगता है, मैं अब भी (अपना) फैसला सुरक्षित रखूंगा..."