यूपी चुनाव परिणाम 2017: बेअसर रही बसपा के पक्ष में मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील, देवबंद जैसी सीट भी गंवाई

यूपी चुनाव परिणाम 2017: बेअसर रही बसपा के पक्ष में मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील, देवबंद जैसी सीट भी गंवाई

इस बार के विधानसभा चुनाव में महज 19 सीटों के साथ बसपा रसातल में पहुंच गई...

खास बातें

  • देवबंद जैसी खांटी मुस्लिम बहुल सीट भी बसपा ने गंवाई
  • 12 मुस्लिम बहुल जिलों की 77 सीटों में से चार सीटों पर ही जीत मिली
  • रामपुर की पांच में से एक भी सीट पर बसपा नहीं जीत सकी
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विभिन्न मुस्लिम संगठनों और धर्मगुरओं का बसपा को समर्थन का ऐलान इस पार्टी के लिए फलदायी होने के बजाय नुकसानदेह साबित हुआ. दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी, प्रमुख शिया धर्मगुर और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना कल्बे जव्वाद और पूर्वांचल के कुछ इलाकों में प्रभावशाली मानी जाने वाली राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल समेत कई मुस्लिम संगठनों तथा धर्मगुरुओं ने चुनाव में बसपा को समर्थन का ऐलान करते हुए मुसलमानों से इस पार्टी को वोट देने की अपील की थी.लेकिन सभी दांव फेल हो गए.

प्रदेश के मुस्लिम बहुल जिलों में रामपुर, सहारनपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, बरेली, आजमगढ़, मउ, शाहजहांपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ तथा अलीगढ़ प्रमुख रूप से शामिल हैं. इन जिलों की कुल 77 सीटों में से बसपा को कुल जमा चार सीटों पर ही जीत हासिल हुई.

रामपुर में करीब 52 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है मगर यहां की पांच में से एक भी सीट पर बसपा नहीं जीत सकी. पार्टी का यही हाल सहारनपुर और मुरादाबाद में भी रहा. सहारनपुर की सातों और मुरादाबाद की सभी नौ सीटों पर बसपा का सूपड़ा साफ हो गया. यहां तक की देवबंद जैसी खांटी मुस्लिम बहुल सीट पर भी मौलानाओं की अपील का कोई असर नहीं हुआ और वहां भी बसपा हार गई. मुरादाबाद में ज्यादातर सीटों पर वह तीसरे नम्बर पर रही.
 
अमरोहा में भी बसपा चार में से एक भी सीट नहीं जीत सकी और यहां भी वह ज्यादातर तीसरे स्थान पर रही. बरेली की नौ सीटों में से सभी में बसपा को करारी पराजय का सामना करना पड़ा. शाहजहांपुर की सभी छह सीटों पर बसपा तीसरे स्थान पर रही. आजमगढ़ की 10 सीटों में से सिर्फ सगड़ी, लालगंज तथा दीदारगंज सीटों पर ही बसपा जीत सकी.
 
मउ की सदर सीट को छोड़कर बाकी सभी तीन सीटों पर बसपा को हार का सामना करना पड़ा. मेरठ और अलीगढ़ की भी सभी सात-सात सीटों पर बसपा की बुरी हार हुई. कुल मिलाकर, जो तस्वीर सामने आयी है उसमें मुस्लिम धर्मगुरओं की बसपा के पक्ष में समर्थन की अपील फायदे के बजाय उसके लिए नुकसानदेह ही साबित हुई है. वर्ष 2007 में प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर अपने उत्कर्ष पर पहुंची बसपा इस बार के विधानसभा चुनाव में महज 19 सीटों के साथ रसातल में पहुंच गई.


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com