यूपी चुनाव 2017: बाहुबली मुख्तार अंसारी को हाई कोर्ट से झटका, प्रचार के लिए नहीं मिली पेरोल

यूपी चुनाव 2017: बाहुबली मुख्तार अंसारी को हाई कोर्ट से झटका, प्रचार के लिए नहीं मिली पेरोल

बीएसपी नेता मुख्तार अंसारी

खास बातें

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी की पेरोल की याचिका खारिज कर दी है.
  • अंसारी की पेरोल याचिका के खिलाफ चुनाव आयोग ने अपील की थी.
  • आयोग ने आशंका जताई कि अंसारी के बाहर आने से चुनावी प्रचार पर असर पड़ेगा
नई दिल्ली:

बहुजन समाज पार्टी (BSP) नेता और पूर्वांचल के बाहुबली कहे जाने वाले मुख्तार अंसारी को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी की पेरोल की याचिका खारिज कर दी है. अंसारी की पेरोल याचिका के खिलाफ चुनाव आयोग ने अपील की थी. चुनाव आयोग ने अपनी याचिका में कहा था कि अंसारी को पेरोल मिलने से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है. आयोग ने आशंका जताई थी कि अंसारी के बाहर आने से चुनावी प्रचार पर असर पड़ेगा.

मामले में हाईकोर्ट ने अंसारी को नोटिस भेज कर जवाब मांगा था. हालांकि चुनाव प्रचार के लिए अंसारी को सीबीआई कोर्ट से पेरोल मिल गई थी. अंसारी पर नवंबर 2005 में कृष्णा नंदन राय की हत्या का आरोप है. अंसारी इस मामले में ट्रायल का सामना कर रहे हैं.

इससे पहले शुक्रवार को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग, अंसारी और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. वहीं, सरकार ने भी विधायक को मिली राहत का विरोध किया था. न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है.

उल्लेखनीय है कि हाल में बसपा में शामिल हुए अंसारी मउ सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. निचली अदालत ने चुनाव प्रचार करने के लिए गत 16 फरवरी को उन्हें चार मार्च तक के लिए हिरासत में पैरोल पर रखा है. इससे पहले अंसारी भाइयों की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय होने की खबर थी. अंसारी बंधुओं के इस कदम का अखिलेश यादव ने विरोध किया था और उसके बाद पार्टी में विवाद हो गया था.


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