कैसे-कैसे अंधविश्‍वास: अखिलेश का प्रचार 5वें चरण से शुरू, किसी ने पेड़ काटे-कोई पिंक के भरोसे, कोई 'अशोक' से डरा

कैसे-कैसे अंधविश्‍वास: अखिलेश का प्रचार 5वें चरण से शुरू, किसी ने पेड़ काटे-कोई पिंक के भरोसे, कोई 'अशोक' से डरा

अखिलेश ने मंगलवार को पहली चुनावी रैली सुल्‍तानपुर में की, जहां पांचवें चरण में चुनाव होने हैं.

खास बातें

  • अखिलेश यादव ने मंगलवार को चुनावी अभियान का आगाज किया
  • इसके तहत सबसे पहले सुल्‍तानपुर में चुनाव प्रचार किया
  • सुल्‍तानपुर में पांचवें चरण में चुनाव होना है
लखनऊ:

अखिलेश यादव ने अपना चुनाव प्रचार मंगलवार को सुल्‍तानपुर से शुरू किया जहां पांचवें चरण में चुनाव है. जानकार कहते हैं कि पहले चरण में चुनाव पश्चिमी यूपी में है लेकिन ज्‍योतिष के 'दिशा शूल' नियम के मुताबिक मंगलवार को शुभ काम के लिए पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करते. ये भी कहते हैं कि 2012 में यहीं से प्रचार शुरू कर अखिलेश सत्‍ता में आए. लिहाजा मंगलवार को अपनी पहली चुनावी रैली यहीं की. भले ही चुनाव यहां पांचवें चरण में हो. पांचवें चरण में चुनाव 27 फरवरी को होने हैं जबकि पहले चरण में चुनाव 11 फरवरी को ही होने हैं.

इस संबंध में बाबा योगेश्‍वरानंद का कहना है, ''दिशा शूल के अनुसार कुंडली में अगर मंगल का योग है तो पूरब में जाने से कार्य में मंगल होता है और अगर कुंडली में बुध है तो जातक को शुक्र या रविवार को पश्चिम दिशा में जाने से कार्य में सफलता मिलेगी.''  

इसी तरह लखनऊ में बीजेपी दफ्तर में एक बहुत पुराना पेड़ आंधी में गिर गया तो लोग खुश हुए. ऐसा वहम था कि पेड़ की वजह से सामने विधानसभा नहीं दिखती इसलिए पार्टी पिछड़ी है. कांग्रेस दफ्तर को लेकर वहम है कि वहां जो अध्‍यक्ष पुताई कराता है उसकी कुर्सी चली जाती है. 1992 में महावीर प्रसाद, 1995 में एनडी तिवारी, 1998 में सलमान खुर्शीद और 2012 में रीता जोशी सब पुताई के बाद ही हटे थे. वहम की वजह से कांग्रेस दफ्तर में अशोक के पेड़ बड़े होते ही काट देते हैं. इस संबंध में एक कांग्रेस कार्यकर्ता का कहना है, ''सबसे बड़ा कारण है कि जितने भी हमारे साथी लोग आते थे वो कहते थे कि ये अशोक का पेड़ अगर बिल्डिंग की छत से ऊंचा हो जाए तो ये बहुत अपशकुन माना जाता है.''

इसी तरह चित्‍तू पांडे ने जंगे आजादी लड़ी और बलिया को अंग्रेजों से आजाद कराकर वहां जनता की सरकार बना दी थी. लेकिन वहम है कि जो नेता उनकी मूर्ति को माला पहनाएगा उसकी कुर्सी जाएगी. इंदिरा गांधी ने मूर्ति का अनावरण किया तो मारी गईं...राजीव गांधी ने मूर्ति को माला पहनाई तो उनकी हत्‍या हुई. जैल सिंह ने माला पहनाई तो उन्‍हें दिल का दौरा पड़ा. इस मामले में बलिया के एक स्‍थानीय निवासी का कहना है, ''बच्‍चे-बच्‍चे की चित्‍तू पांडे में अपार श्रद्धा है लेकिन अंधविश्‍वास के कारण कोई उधर से नामांकन करने के लिए नहीं जाता. कोई राजनीतिक दल अपनी पार्टी का कार्यक्रम वहां नहीं करता क्‍योंकि शुभ कार्य करते समय लोग उधर से आना-जाना पसंद नहीं करते.''

कुछ ऐसा ही मामला दिल्‍ली से सटे नोएडा का है. ये यूपी का सबसे शानदार इलाका है लेकिन 27 साल से यूपी के सीएम नोएडा नहीं जाते. नोएडा के सारे उद्घाटन लखनऊ से करते हैं. 1989 में एनडी तिवारी गए जिनकी कुर्सी चली गई. राजनाथ सिंह ने 2001 में नोएडा फ्लाईओवर का उद्घाटन दिल्‍ली छोर से किया. 2006 में मुलायम सिंह के मुख्‍यमंत्री रहते निठारी कांड हुआ...आंदोलन हुआ. सरकार हिल गई लेकिन नोएडा नहीं गए. 2011 में मायावती नोएडा गईं तो उनकी भी कुर्सी गई.

मायावती हमेशा ऑफ व्‍हाइट और खुशी के मौके पर सिर्फ पिंक कपड़े पहनती हैं. लोग इसे शुभ-अशुभ से जोड़ते हैं लेकिन वह इसका मतलब कुछ और बताती हैं. इस संबंध में बसपा सुप्रीमो मायावती का कहना है, ''ये मेरा अपना पिंक कलर क्‍या है कि वो थोड़ा सा कुछ चमकता है. उज्‍ज्‍वल सा है. उसमें लाइट ज्‍यादा आती है. मैं अपने समाज को पिंक कलर की तरह उसको खुशहाल बनाना चाहती हूं. उनकी जिंदगी में चाहती हूं कि जैसा पिंक उज्‍ज्‍वल है...खिलता रहता है...मेरा समाज मतलब जो सर्व समाज है, वह भी खिले.''

बाहुबली विधायक मुख्‍तार अंसारी अपनी गाडि़यों का नंबर 786 रखते हैं ताकि महफूज रहें. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी अपने सेलफोन और कार का नंबर 7000 रखते हैं. हर रोज अलग रंग के साबुन से नहाते हैं और हर रोज उस दिन के रंग के हिसाब से कपड़े पहनते हैं. इस संबंध में राज्‍यसभा सांसद प्रमोद तिवारी का कहना है, ''सोमवार का दिन व्‍हाइट है. मंगल का दिन ओरेंज है. बुधवार का दिन ग्रीन है. शुक्रवार का दिन व्‍हाइट है और कुर्ता-पायजामा अगर आपने सफेद पहन रखा है तो उस पर किसी रंग की सदरी पहन सकते हैं.''

हालांकि जो इसे नहीं मानते वह इसे वहम कहते हैं. उनका कहना है कि वहम का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं था...जो मानते हैं उनके लिए ये उनकी जिंदगी का हिस्‍सा है.

 


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