ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहनी है नींबू और मिर्च वाली माला
खास बातें
- ग्वालियर में नींबू और मिर्च की माला पहने नजर आए सिंधिया
- चुनाव भर सूत की माला पहने का किया है फैसला
- ग्वालियर गढ़ है सिंधिया का
ग्वालियर: ग्वालियर में शाम को हल्की ठंड के साथ ही सियासी पारा चढ़ने लगता है. सुबह प्रत्याशी घर-घर जाकर वोट मांगते दिखते हैं और शाम होते बड़े नेताओं की जनसभाएं होने लगती हैं. गुरुवार की शाम को करीब सात बज रहे हैं ग्वालियर के नाका चंद्रबदनी के भीड़भाड़ वाले इलाके में लोगों को ज्योतिरादित्य सिंधिया का बेसब्री से इंतजार है. सिंधिया परिवार की छाप ग्वालियर शहर के हर कोने पर है. इतिहास से लेकर वर्तमान तक और रियासत से लेकर सियासत तक पर. कई छोटे-बड़े नेताओं के भाषण चल रहे हैं. बीच-बीच में नारे लगते हैं कि हमारा मुख्यमंत्री कैसा हो, जवाब मिलता है श्रीमंत ज्योतिरादित्य जैसा हो. ग्वालियर की पूर्व विधानसभा के मुन्ना लाल गोयल के पक्ष में जनसभा करने करीब चालीस मिनट बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पहुंचे हैं. उन्हें स्टेज तक लाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी. नीचे जनता का हूजूम और स्टेज पर नेताओं का. इन नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ फोटो के जरिए खास दिखने की होड़ मची दिखती है.
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लेकिन इसी बीच यह क्या! नारों के बीच उन्हें सूत की माला पहनाई फिर बड़ी सी नींबू मिर्च की माला पहना दी गई. मंदसौर में किसानों की हत्या के बाद सूत की माला पहनने की ठानी है और कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमारे 'महाराज जी' को बीजेपी की नजर न लगे इसलिए नींबू और मिर्च की माला हम पहनाते हैं. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं कि मिर्च की माला मैं पहनता हूं और मिर्ची शिवराज को लगती है. स्टेज पर आकर ज्योतिरादित्य के माइक पकड़ते ही फोटोग्राफर में फोटो और जनता में उन्हें देखने की होड़ मचती है. वो नाराज होते हैं और दर्जनभर नेताओं को मंच से उतरने को कहते हैं. उनके तमतमाएं चेहरे को देखकर बहुत सारे नेता खुद ही स्टेज से उतर गए. फिर वो बोले मुझे खामोशी चाहिए...बिल्कुल पिन ड्राप...जनता शांत हो जाती है.
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माइक पकड़ते और कहते हैं अब मुझे दिखता है बीजेपी के नेताओं के मुरझाए चेहरे और मेरे अपने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के आत्मविश्वास से भरे चेहरे. फिर वो मोदी की नकल उतारते कहते हैं कि चार साल पहले मोदी बोलते थे..भाईयो और बहनों सिलेंडर कितने का...अब मोदी जी 1000 के सिलेंडर का नाम भी नहीं लेते हैं. तीस मिनट के भाषण में वो जिस तरफ देख लेते उस ओर की जनता शोर कर उनका स्वागत करती है. इसी के बल पर सिंधिया परिवार की सियासत में हनक है. ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद इतना बड़ा है कि राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस का कोई बड़ा नेता यहां चुनाव प्रचार करने की हिम्मत नहीं करता है. कुछ लोगों के लिए ये कांग्रेस की कमी होगी तो कुछ के लिए इसी गुटबाजी ने कांग्रेस को एक करके रखा है. लेकिन मप्र में एक कांग्रेस के भीतर अपने अपने नेताओं की कांग्रेस भी है.
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