चुनाव खत्म, क्या चौथी बार CM बन शिवराज सिंह चौहान कर पाएंगे पीएम मोदी की बराबरी?

एमपी में चुनाव खत्म (Madhya Pradesh Assembly polls) होने के बाद अब सवाल यह है कि शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर कांग्रेस सत्ता में आएगी?

चुनाव खत्म, क्या चौथी बार CM बन शिवराज सिंह चौहान कर पाएंगे पीएम मोदी की बराबरी?

शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) मध्यप्रदेश में 2005 से मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं.

खास बातें

  • मध्यप्रदेश में संपन्न हुआ चुनाव
  • ईवीएम में कैद हुई लोगों की पंसद
  • क्या चौथी बार सीएम बन पाएंगे शिवराज
नई दिल्ली:

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh Assembly polls) में तय हो गया है कि अगले पांच साल तक किसका राज रहेगा. लोगों की पसंद ईवीएम में कैद हो गई है. अब सवाल यह है कि शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर कांग्रेस सत्ता में आएगी. पूरे राज्य में लोगों में मतदान के प्रति खासा उत्साह देखने को मिला. अब सवाल यह उठता है कि क्या शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनकर पीएम मोदी (PM Modi) की बराबरी कर पाएंगे. शिवराज सिंह चौहान यहां 2005 से मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं.

यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में 'बैटल ऑफ बुधनी' पर सबकी निगाहें, जहां बीजेपी और कांग्रेस की प्रतिष्ठा है दांव पर

राज्य में सबसे लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री पद पर रहने का रिकॉर्ड भी शिवराज सिंह चौहान के नाम ही दर्ज है. बता दें कि प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. नरेंद्र मोदी 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के 11वें मुख्यमंत्री बने. इसके बाद वह लगातार 4 बार इस पद पर बने रहे. 7 अक्टूबर 2001 से लेकर 22 मई 2014 तक नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहे. नरेंद्र मोदी के नाम भी गुजरात में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड है. अगर शिवराज सिंह चौहान इस बार फिर मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह पीएम मोदी की बराबरी कर लेंगे.

यह भी पढ़ें: क्या मध्य प्रदेश में खत्म होगा कांग्रेस का वनवास या बीजेपी फिर मारेगी बाजी, मिजोरम में किसे मिलेगी सत्ता,10 बड़ी बातें 

शिवराज सिंह चौहान पहली बार 29 नवंबर 2005 को मुख्यमंत्री बने. इसके बाद 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल की और दोबारा मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए. 12 दिसंबर 2008 को उन्होंने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वर्ष 2013 में शिवराज के नेतृत्व में बीजेपी ने तीसरी बार मध्यप्रदेश में विजय हासिल की. शिवराज ने 13 दिसंबर 2013 को जीत हासिल की.

यह भी पढ़ें: मध्यप्रदेश में शिवराज या महाराज?

अब आते हैं मतदान पर. सुबह मतदान की रफ्तार धीमी थी, लेकिन दोपहर होते-होते लोगों में जोश आया. कई जगहों से ईवीएम और वीवीपैट मशीनें खराब होने की शिकायतें भी आईं. चुनाव आयोग के मुताबिक मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड 75% मतदान हुआ है. यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है. यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है. 2013 के विधानसभा चुनाव में 72.13 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 2008 में 69.52 प्रतिशत, 2003 में 67.41 प्रतिशत, 1998 में 60.21 प्रतिशत, 1993 में 60.17 प्रतिशत वोट डाले गए थे. यानी करीब सात फीसदी अधिक मतदान ने बीजेपी को तीन चौथाई बहुमत दिलाया था. इसके बाद क्रमश करीब दो और तीन फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई और बीजेपी भारी बहुमत से चुनाव जीतकर सरकार बचाने में कामयाबी रही.

यह भी पढ़ें: यूनिवर्सिटी टॉपर, गोल्ड मेडलिस्ट शिवराज सिंह चौहान के CM बनने की कहानी

इतने भारी मतदान के बाद विश्लेषण शुरू हो गया है कि इसका फायदा किसे मिलेगा? बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं. वैसे आज सुबह ही बीजेपी ने राज्य के तमाम अखबारों में विज्ञापन देकर 90 प्रतिशत मतदान करने की अपील की थी. यह जानबूझकर किया गया ताकि कमलनाथ के उस बयान की लोगों को याद दिलाई जा सके, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर मुस्लिम 90 फीसदी मतदान नहीं करेंगे तो कांग्रेस को नुकसान होगा. हालांकि मध्य प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं होता है फिर भी बीजेपी को लगता है कि कमलनाथ का यह बयान हिंदुओं को एकजुट कर अपने घरों से निकलकर वोट डालने के लिए काफी है.

VIDEO:  किसका होगा मध्य प्रदेश ?


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com