मध्य प्रदेश में क्या बीजेपी की इकलौती मुस्लिम प्रत्याशी ले पाएंगी पिता की हार का बदला ?

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतरी बीजेपी की इकलौती मुस्लिम महिला प्रत्याशी फातिमा रसूल सिद्दीकी क्या अपने पूर्व कांग्रेस विधायक पिता की हार का बदला ले पाएंगी ?

मध्य प्रदेश में क्या बीजेपी की इकलौती मुस्लिम प्रत्याशी ले पाएंगी पिता की हार का बदला ?

मध्य प्रदेश की भोपाल उत्तर सीट से बीजेपी ने इकलौता मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है वो भी महिला को मौका दिया है.

भोपाल:

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इकलौती मुस्लिम महिला प्रत्याशी को भोपाल उत्तर से टिकट दिया है. नाम है फातिमा रसूल सिद्दीकी. फातिमा कहती हैं कि वह अपने पिता की हार का बदला लेने के लिए कांग्रेस के आरिफ अकील के खिलाफ मैदान में उतरी हैं. इलाके में मुस्लिम वोटरों का दबदबे के बीच बीजेपी ने मुस्लिम प्रत्याशी का दांव खेला है.भोपाल में कच्ची मस्जिद का इलाका बीजेपी के पोस्टरों से पटा है, छोटे से मंच पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आने की तैयारी है टोपी कैमरे पर दिखें, लिहाज़ा नई टोपियां बांटी जा रही हैं. कच्ची मस्जिद के आसपास जो लोग मिले, वो सरकार के गुणगान कर रहे थे. उन्हें लगता है बीजेपी ने जो किया अच्छा किया.तभी पहले ढोल की आवाज़ गूंजी, पीछे मुख्यमंत्री के साथ कांग्रेस के पूर्व विधायक रसूल अहमद सिद्दीकी की बेटी फातिमा आईं.

रसूल अहमद सिद्दीकी 90 के दशक में भोपाल उत्तर सीट से दो बार कांग्रेस विधायक रहे. 1992 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार के तौर पर आरिफ अकील ने कांग्रेस के रसूल अहमद सिद्दीकी को मात देकर इस सीट पर कब्जा जमाया था.मंच से मुख्यमंत्री कहते हैं, उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम में कभी भेदभाव नहीं किया. लोग फातिमा को वोट देकर वो विकास को चुनें.सभा खत्म कर फटाफट मुख्यमंत्री फातिमा के साथ काजी कैम्प के लिये रवाना हुए, रास्ते में हर जगह फूलों से स्वागत हुआ.यहां मंच पर चंद मिनटों के भाषण के बाद मुख्यमंत्री निकल गये, मंच फातिमा ने संभाला. फातिमा अपने पिता के नाम पर भोपाल की उत्तर सीट से वोट मांग रही हैं.  मुस्लिमों के साथ-साथ बीजेपी के परंपरागत वोट की उम्मीद लगाए हैं. मौजूदा विधायक आरिफ अकील से पिता की हार का बदला लेने के लिए फातिमा ने दोपहर को कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी की सदस्यता ली और रात होते-होते पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार के तौर पर घोषित कर दिया. अब कहती है उम्मीद हर वोटर से है.हालांकि यहां आरिफ अकील को चुनौती देना आसान नहीं है, फातिमा के मंच से कुछ दूरी पर ही उनके झंडे लगे हैं. वो लगातार पांच बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. 15 साल से मध्यप्रदेश विधानसभा में इकलौते मुस्लिम विधायक हैं.

आरिफ ने भोपाल में 1984 में यूनियन कार्बाइड गैस लीक हादसे के बाद लोगों के बीच गहरी पैठ बनाने में कामयाब रहे थे. उन्होंने फैक्ट्री से कुछ दूरी पर एक आरिफ नगर बसाया. इस जगह पर गैस त्रासदी के पीड़ित और उनके परिवारों को बसाया गया.भोपाल उत्तर सीट पर करीब 54 फीसदी मुस्लिम वोट हैं, लोग कहते हैं उनके हर सुख दुख में आरिफ बस एक फोन कॉल पर दौड़े चले आते हैं.2011 की जनगणना के मुताबिक मध्यप्रदेश में मुसलमानों की आबादी 47.74 लाख है. यानी कुल आबादी का 6.5 फीसद, जो कुल 5,03,94,086 वोटरों का लगभग 10 फीसद हैं. ये आबादी पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ और भोपाल संभाग में 40 सीटों पर दखल रखती है. शाजापुर, मंडला, नीमच, महिदपुर, मंदसौर, इंदौर-5, नसरुल्लागंज, इछावर, आष्टा जैसी सीटों में तो मुस्लमानों की आबादी लगभग 20 फीसद है.

बावजूद इसके बीजेपी ने मुस्लिम नेताओं को टिकट देने के मामले में हमेशा से कंजूसी की है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों में सिर्फ दो मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया. जबकि कांग्रेस ने 2013 में पांच मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे, इस बार बीजेपी ने एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया, तो कांग्रेस ने तीन मुस्लिमों को मैदान में उतारा है. वैसे पिछले कुछ चुनावों से आरिफ की जीत का फासला कम होता गया है, 2013 के विधानसभा चुनाव में आरिफ अकील महज छह हजार मतों से जीते थे. बीजेपी ने तब भी उनके सामने मुस्लिम चेहरे के तौर पर आरिफ बेग को उतारा था, लेकिन वो आरिफ अकील को मात नहीं दे सके हैं, इस बार भी वो चुनौती के लेकर गंभीर नहीं हैं.

वीडियो-  मध्य प्रदेश में बीजेपी की इकलौती मुस्लिम उम्मीदवार फातिमा से मिलिए. 

 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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