जनता ने चंदा देकर चुनाव लड़वाया और बीजेपी-कांग्रेस को धूल चटाकर विधायक बन गया यह कर्जदार किसान

किसान गिरधारीलाल ने कहा- जनता के समर्थन और प्यार से चुनाव जीता, एक तरफ धन था और दूसरी तरफ जनता का मन था, यह ऐतिहासिक चुनाव था जिसमें जनता खुद चुनाव लड़ रही थी

जनता ने चंदा देकर चुनाव लड़वाया और बीजेपी-कांग्रेस को धूल चटाकर विधायक बन गया यह कर्जदार किसान

एक सभा में लोगों को संबधित करते हुए श्रीडूंगरपुर के विधायक गिरधारीलाल माहिया.

नई दिल्ली:

लोकतंत्र में सब संभव है. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में एक विरला उदाहरण सामने आया जहां एक कर्ज से दबे रहने वाले किसान ने बीजेपी और कांग्रेस के दमदार उम्मीदवारों को धूल चटा दी. और चुनाव में भी इस किसान को कोई राशि खर्च नहीं करनी पड़ी. चुनाव पर भारी व्यय करने में असमर्थ यह किसान जनता द्वारा एकत्रित पैसों से चुनाव लड़ा और विधायक चुना गया.      

चुनाव सिर्फ पैसे से ही नहीं जीता जा सकता बल्कि जनता के प्यार और स्वीकार्यता से भी फतह हासिल हो सकती है. राजस्थान के गिरधारीलाल माहिया एक ऐसे ही किसान हैं जो खेती भले ही कर्ज लेकर करते रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव बिना कर्ज लिए जीत गए. लोगों के प्यार और समर्थन ने उन्हें विधानसभा तक पहुंचा दिया है. गिरधारीलाल ने श्रीडूंगरपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की है. सीपीएम के टिकट से चुनाव लड़े गिरधारीलाल ने करीब 24000 वोट से जीत हासिल की है. यह विरल उदाहरण है जब लोगों के पैसे से कोई प्रत्याशी चुनाव लड़ा और जीता भी.

गिरधारीलाल से लोगों ने जब चुनाव लड़ने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया था. उन्हें लग रहा था कि चुनाव में बहुत पैसा खर्च होगा और कांग्रेस और बीजेपी जैसी बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों के सामने संसाधन के मामले में टिकना आसान नहीं होगा. गिरधारीलाल के परिवार वाले भी उनके चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं थे. लेकिन लोगों ने गिरधारीलाल को समझाया और अपनी तरफ से चंदा देने का वादा किया.   

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NDTV से बात करते हुए गिरधारी लाल जी ने कहा कि “यह जनता का चुनाव था और संघर्ष जनता कर रही थी. कांग्रेस और बीजेपी ने अपने संसाधनों का उपयोग किया और साथ-साथ पैसा खर्च किया, लेकिन जनता के समर्थन और प्यार से यह चुनाव जीता. एक तरफ धन था और दूसरी तरफ जनता का मन था. यह ऐतिहासिक चुनाव था जिसमें जनता चुनाव लड़ रही थी.''

गिरधारीलाल किसान हैं और पिछले 35 सालों से किसान नेता के रूप में किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं. कई बार गिरधारीलाल अपनी खेती के लिए  लोगों से कर्जा ले चुके हैं. वे बिजली, नहर, नरेगा, पानी के आंदोलन में जुड़े हुए हैं. उन्होंने सन 2001 में लगातार 14 दिन तक मूंगफली के दाम को लेकर आंदोलन किया था. गिरधारीलाल चाह रहे थे कि सरकार मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करे. उस समय की अशोक गहलोत सरकार को इस आंदोलन के सामने झुकना पड़ा था और राजस्थान सरकार ने मूंगफली के दाम 1340 रुपये तय किए थे.

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सन 2006 में बिजली कनेक्शन को लेकर गिरधारीलाल के नेतृत्व में श्रीडूंगरगढ़ में 56 दिन तक लगातार आंदोलन चला. किसानों की मांग थी कि आठ घंटे बिजली सप्लाई दी जाए. किसानों की मांग के सामने सरकार को झुकना पड़ा था. साल 2017 में किसानों के कर्ज माफ करने की मांग को लेकर भी कई दिनों तक उन्होंने आंदोलन किया था. वसुंधरा सरकार ने पहले 50000 कर्ज माफी की बात तो मान ली थी लेकिन बाद में कहा था कि सिर्फ छोटे किसानों का कर्ज माफी होगी. फिर कई दिनों तक किसानों ने गिरधारीलाल के नेतृत्व में आंदोलन किया था.

गिरधारीलाल ने पहली बार 1995 में डूंगरपुर से ब्लाक स्तर का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वे उस समय भी कांग्रेस और बीजेपी को हराकर जीते थे. सन 2000 में फिर ब्लॉक मेंबर का चुनाव लड़े और जीत हासिल की. वे वर्ष 2004 में पंचायत समिति का चुनाव लड़े और 450 वोट से हार गए. सन 2008 में गिरधारीलाल ने श्रीडूंगरगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. सन 2014 में उन्हें सीपीएम से टिकट नहीं मिला था. इस बार चुनाव लड़े और जीत हासिल की.

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एनडीटीवी से बात करते हुए गिरधारीलाल ने कहा कि वे फील्ड की राजनीति करते हैं. फील्ड की राजनीति करते रहेंगे और पब्लिक के लिए जीवन गुजारेंगे. उन्होंने कहा कि वे अब विधानसभा में किसानों के मुद्दे उठाते रहेंगे. वे चाहते हैं कि किसानों का कर्ज माफी हो, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो, किसानों को बिजली मिले और फसलों का सही दाम मिले. साथ-साथ दूध का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागू किया जाए. गिरधारीलाल ने कहा कि वे सरकार से कहेंगे कि श्रीडूंगरपुर में किसान ट्यूबवेल के लिए जितना पैसा खर्च करता है उसका 33 प्रतिशत सरकार दे. उन्होंने कहा कि एक ट्यूबवेल लगाने में किसान को 10 से 15 लाख रुपये खर्च करना पड़ता है, जो बहुत ज्यादा है.


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