
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह. (फाइल फोटो)
चुनाव से ठीक पहले सवर्णों-ओबीसी के आंदोलन से बीजेपी परेशान है. सारे जातिगत समीकरण उलट बैठ रहे हैं. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तक को राज्य में कई जगहों पर काले झंडे दिखाने की कोशिश हुई. ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने उनका पहला सवाल जातिगत समीकरणों का ही था. नाराज़गी ऐसी कि राजधानी भोपाल सहित, राज्य के कई शहरों में लोगों ने राजनीतिक दलों से इन पोस्टरों के जरिये कह दिया है कि वो प्रचार करने के लिए उनके घर ना आएं, उनका वोट नोटा को जाएगा. भोपाल के भरतनगर में रहनेवाले अमित शर्मा ने कहा हम नोटा को ही वोट देंगे, दलों को नहीं आने देंगे.
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शायद यही वजह थी कि अपने मध्यप्रदेश दौरे में अमित शाह ने दृष्टि पत्र समिति के संयोजक विक्रम वर्मा से पूछा कि मैनिफेस्टो में सवर्णों के लिए क्या है? बीजेपी प्रवक्ता - राहुल कोठारी ने कहा मप्र में सवर्ण समझ चुके हैं कि बीजेपी उनकी शुभचिंतक है. अध्यक्ष जी को पूछने का पूरा अधिकार है. उनके गाइडलाइंस के अनुसार सवर्णों के लिए हम काम करके दिखाएंगे हमारे दृष्टिपत्र में योजनाओं प्रतिलिक्षित होंगी, लेकिन एक बात बहुत स्पष्ट है कि हम सबका साथ सबका विकास पर काम करते आए हैं.
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तैयारियों पर चर्चा के बाद शाह ने अपने सिपहसालारों से कहा हर बूथ पर किसी स्कीम का कटआउट हो. नारे विशेषज्ञ लिखें, विपक्ष पर तीखा प्रहार हो ख़ासकर राहुल गांधी पर. दावेदारों को लेकर पैनल तैयार हो. उम्मीदवार तय करने मंत्री, सांसदों, पदाधिकारियों की 2-2 लोगों की टीम बनेगी. हर ज़िले में रायशुमारी के बाद 3-3 लोगों के नाम संगठन को सौंपे जाएंगे. टिकट कटने वाले से पहले ही चर्चा कर नाराज़गी दूर की जाएगी. हालांकि कांग्रेस का मानना है बीजेपी कुछ भी कर ले, उनकी सरकार नहीं बनेगी.
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कांग्रेस प्रवक्ता जे पी धनोपिया ने कहा मुख्यमंत्री ने भरी सभा में कहा कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ है, नतीजा इतने माई के लाल पैदा हो गये कि इनके विधायकों को घुसने नहीं दिया. सारे लोग नाराज हैं अमित शाह कुछ भी करें समर्थन नहीं मिलेगा, सरकार भी नहीं बनेगी.