मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने कमलनाथ को क्यों बनाया मुख्यमंत्री, ये रहे पांच कारण

मध्य प्रदेश में कमलनाथ (Kamal Nath) को कांग्रेस ने क्यों बनाया मुख्यमंत्री, जानिए पांच कारण.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने कमलनाथ को क्यों बनाया मुख्यमंत्री, ये रहे पांच कारण

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश में आखिरकार कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर ही लिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने आवास पर राज्य के पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री पद के दोनों दावेदारों कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को बुलाकर मीटिंग ली. पार्टी विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के बाद राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेता कमलनाथ के हाथों मध्य प्रदेश की कमान देने का फैसला लिया. 18 नवंबर 1946 को यूपी के कानपुर में जन्मे कमलनाथ ने देहरादून के दून स्कूल के बाद कोलकाता यूनिवर्सिटी के सेंट जेवियर कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की है. पेश से बड़े बिजनेसमैन कमलनाथ  मध्य प्रदेश में अपनी चार दशक की राजनीति के खुद को बड़ा महारथी साबित करने में सफल साबित हुए हैं.

आखिर ज्योतिरादित्य सिंधिया की दावेदारी क्यों हुई कमजोर और कमलनाथ क्यों बने मुख्यमंत्री ?  तह तक पहुंचने में ये पांच कारण निकलकर सामने आए हैं. 

चुनाव लड़ने में धन को रोड़ा नहीं बनने दिया
मध्य प्रदेश का चुनाव ऐसे समय में हुआ, जिस वक्त कांग्रेस पार्टी की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं रही. केंद्र की सत्ता से हटने के बाद कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में चंदा मिलना भी काफी कम हुआ. कई बार मध्य प्रदेश में पार्टी कोष खाली होने होने की खबरें भी आईं. पार्टी सूत्र बताते हैं कि इस स्थिति में कमलनाथ सामने आए और उन्होंने पूरे विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को आर्थिक रूप से मजबूती दिलाने में अहम भूमिका निभाई. वजह कि खुद कमलनाथ आर्थिक रूप से काफी मजबूत हैं. दो दर्जन से अधिक कंपनियों के मालिक हैं. मनमोहन सरकार में सबसे धनी केंद्रीय मंत्री होने का रिकॉर्ड रहा है. वर्ष 2011 में केंद्रीय मंत्री रहते कमलनाथ ने 2.73 बिलियन डॉलर यानी 2.73 अरब रुपये की संपत्ति घोषित की थी

लंबा सियासी अनुभव
राजनीतिक अनुभव के मामले में कमलनाथ के आगे ज्योरादित्य सिंधिया कहीं नहीं ठहरते. कमलनाथ  लोकसभा के अति वरिष्ठ सांसदों में शुमार हैं. मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से लगातार नौ बार सांसद होने का रिकॉर्ड है. कमलनाथ पहली बार सातवीं लोकसभा यानी 1980 में जीते. वह फिर 1985, 1989 और 1991 में भी जीते. जून 1991 में पहली बार वह केंद्रीय मंत्री बने. उन्हें पर्यावरण और वन मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का पद मिला.1995 से 1996 में वह केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री रहे.1998 और 1999 में भी कमलनाथ विजयी रहे. 2001 से लेकर 2004 तक वह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे. 2004 में फिर चुनाव जीते तो मनमोहन सरकार में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री हुए. 2009 तक इस पद रहे. 2009 में फिर से छिंदवाड़ा सीट से जीते तो यूपीए दो सरकार  में सड़क परिवहन मंत्री बने. 2011 में कैबिनेट फेरबदल हुआ तो कमलनाथ को शहरी विकास मंत्री बनाया गया.अक्टूर 2012 में कमनाथ को संसदीय कार्यमंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली.

संगठन पर मजबूत पकड़
करीब चार दशक की लंबी राजनीति में कमलनाथ मध्य प्रदेश की नस-नस से वाकिफ है. छिंदवाड़ा से लगातार नौ बार से सांसद और कई बार केंद्रीय मंत्री रहने के कारण कमलनाथ ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में मजबूत पकड़ बनाई. केंद्रीय मंत्री रहते, कार्यकर्ताओं से हमेशा जुड़े रहे और उनकी मांगों को पूरा करने पर जोर दिया. कांग्रेस सूत्र कहते हैं कि दिग्विजय सिंह को अगर छोड़ दें तो कार्यकर्ताओं के बीच मध्य प्रदेश में आज भी दबदबा कमलनाथ का ही है.  यह दीगर बात है कि युवाओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया का ग्लैमर है. 

गुटबाजी पर काबू पाया
जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेताओं में गुटबाजी चरम पर थी, विधानसभा चुनाव में इससे बड़े नुकसान की आशंका थी, तब पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसी साल अप्रैल मे उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था. पार्टी सूत्र बताते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ ने अपने राजनीतिक प्रबंधन शैली का इस्तेमाल कर रूठों को मनाने में सफलता हासिल की. काफी हद तक पार्टी में गुटबंदी खत्म करने में सफल रहे. कार्यकर्ताओं तक यह संदेश देने में सफल रहे कि जीत होने के बाद ही उन्हें फायदा हो सकता है,आपसी सिरफुटव्वल से कुछ हासिल नहीं होने वाला. आखिर कमलनाथ का मंत्र पार्टी के काम आया और कमलनाथ, सिंधिया दोनों गुटों ने मिलकर काम किया. नतीजा जीत के रूप में मिला.

गांधी परिवार के नजदीकी रहे हैं कमलनाथ
नेहरू-गांधी परिवार के काफी करीबी वफादारों में कमलनाथ की गिनती होती रही है. कमलनाथ संजय गांधी के बचपन के दोस्त और दून स्कूल के दौरान क्लासमेट रहे हैं. इस वजह से इंदिरा गांधी से भी उनकी निकटता रही. कमलनाथ द इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नॉलजी ए मैनेजमेंट इंस्टीट्यूशन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष रहे हैं. पीपीपी मॉडल और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, वर्ल्ड मार्केट को लेकर गहरी जानकारी रखते हैं. 2011 में दवोस में हुई वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में कमलनाथ अपने विचार व्यक्त कर चुके हैं.

VIDEO: कमलनाथ के CM बनने पर किसी को कोई दिक्कत नहीं: दिग्विजय सिंह


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