देश के सीने में खंजर की तरह धंसे हैं ये 7 घोटाले

धीरे-धीरे व्यवस्था में पूंजीपतियों, अफसरशाही और नेताओं का गठजोड़ बन गया और मुनाफे और काली कमाई के चक्कर में घोटाले होना शुरू हो गए.

देश के सीने में खंजर की तरह धंसे हैं ये 7 घोटाले

लाल किला ( फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

इस भारत आजादी की 70वीं वर्षगांठ मनाएगा. 1947 से लेकर भारत में बहुत कुछ बदल गया है. भारत आर्थिक सुधार के नाम पर नवउदारवाद की ओर बढ़ता चला गया. चमक-दमक को ही विकास का पैमाना मान लिया गया और जीडीपी के आंकड़े को आर्थिक सेहत से जोड़ दिया गया. सरकारी तंत्र में जकड़ी अर्थव्यवस्था को जब मुक्त किया तो पूरी दुनिया को भारत एक बाजार के तौर पर नजर आया. देश में विदेशी पूंजी का प्रवाह बढ़ने लगा और इसके साथ ही निजीकरण को भी खूब बढ़ावा मिला. लेकिन धीरे-धीरे व्यवस्था में पूंजीपतियों, अफसरशाही और नेताओं का गठजोड़ बन गया और मुनाफे और काली कमाई के चक्कर में घोटाले होना शुरू हो गए. ऐसा नहीं है कि इससे पहले घोटाले नहीं हुए थे. आजादी के तुरंत बाद ही भारत में घोटाले होना शुरू हो गए थे.  

1- जीप कांड ( 1948)
भारत सरकार ने लंदन की एक कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया था. सौदा 80 लाख रुपये का था. लेकिन केवल 144 जीपें ही आईं. घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वीके कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई, लेकिन बाद में केस बंद कर दिया गया और मेनन को नेहरू कैबिनेट में शामिल कर लिया गया.

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2- बोफोर्स कांड
इस कांड के बाद राजीव गांधी की 'मिस्टर क्लीन' की छवि को गहरा धक्का लगा था. इसमें स्वीडन की कंपनी बोफोर्स से रिश्वत लेने की बात सामने आई थी. मामला था कि बोफोर्स तोपों के सौदों में नेताओं ने करीब 64 करोड़ रुपये का घपला किया था. इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सहित कई नेताओं पर आरोप लगा था कि इस डील को पक्का करने के लिए स्वीडन की कंपनी से रिश्वत ली थी.

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3- सिक्योरिटी स्कैम (हर्षद मेहता कांड) (1992)
1992 में शेयर दलाल हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी करके बैंकों का पैसा शेयर बाजार में निवेश कर दिया था और जिससे बाजार को 5 हजार करोड़ का नुकसान हो गया था.

4- चारा घोटाला (1996)
यह देश के सबसे चर्चित घोटालों में से एक था. 1996 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित कई नेताओं पर आरोप लगा था कि राज्य के पशु पालन विभाग से धोखाबाजी से लिए गए 150 करोड़ रुपये कथित रुपये दबा लिए थे. इस घोटाले में लालू प्रसाद यादव को निचली अदालत दोषी भी ठहरा चुकी है.

5- ताबूत घोटाला (1999)
कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के शवों को उनके घर भेजने के लिए ताबूत खरीददारी में भी दलाली और रिश्वत की बात सामने आई थी. इस मामले में वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज को इस्तीफा देना पड़ा था हालांकि बाद में उनको क्लीनचिट दे दी गई. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ऐसा कोई घोटाला हुआ ही नहीं था. 

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6- कोयला घोटाला 
इस घोटाले को कोलगेट घोटाला भी कहा जाता है. इस घोटाले का खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में हुआ था. जिसमें कहा गया था कि इसमें देश के खजाने को 1.86 लाख करोड़ का घोटाला हुआ है. इसमें केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सरकार पर आरोप लगा था कि कोल ब्लॉक के आबंटन में गड़बड़ की गई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट  ने मामले की सुनवाई के दौरान 1993 से लेकर 2010 तक आबंटित किए गए सभी कोल ब्लॉकों को रद्द कर दिया.
 

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7- 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2010)
यह घोटाला यूपीए-2 के कार्यकाल में सामने आया था जिसमें आरोप लगा था कि 2 स्पेक्ट्रम की नीलामी में गड़बड़ की गई है और रिश्ववत लेकर इसमें कंपनियों को स्पेक्ट्रम दिया गया है. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि 1,76, 645 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. इस मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा जिनके आरोप था कि 3 हजार करोड़ की रिश्वत ली है, और तमिलनाडु के पूर्व सीएम एम करुणानिधि के बेटी कनिमोझी को गिरफ्तार कर लिया गया था.

Video : अब एनजीओ घोटाला


इसके अलावा और भी कई बड़े घोटाले हुए हैं जैसे यूरिया घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, सत्यम घोटाला, साइकिल आयात घोटाला, बीएचयू फंड घोटाला सहित कई कांड ऐसे हुए हैं देश की छवि पर दाग लगाते रहे हैं. सवाल इस बात का है जहां एक वर्ग ऐसा जो 2 जून की रोटी की मोहताज है वहीं लाखों-करोड़ों रुपए के होेने वाले ये घपले कब रुकेंगे.

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