
प्रतीकात्मक फोटो
भले ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रिपोर्ट साझा करने को तैयार न हो लेकिन पर्यावरण पर शोध करने वाली संस्थाओं में से एक की रिपोर्ट हमारे पास है जिससे साफ होता है कि सरकारी महकमों की लापरवाही की वजह से इतनी सारी मछलियां बेंगलुरु शहर की अलसूर झील में मरीं।
अमोनिया बढ़ी और ऑक्सीजन घटी
सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड एनवायरांनमेंट के रिसर्च फेलो शरत चन्द्रा लेले के मुताबिक नाले के गंदे पानी की वजह से झील के साफ पानी में अमोनिया का प्रतिशत बढ़ा। पिछले दो दिनों से पड़ रही गर्मी ने हालात और खराब कर दिए। इससे पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्र काफी कम हो गई। मछलियों को सांस लेने में परेशानी हुई और वे मर गईं।
पानी को प्रदूषण मुक्त किए बिना समस्या का समाधान नहीं
झील में सक्रिय वेक्टीरिया दिन में ऑक्सीजन की पैदावार ज्यादा करते हैं लेकिन प्रदूषण की मात्र ज्यादा होने से ऑक्सीजन मछलियों तक पहुंचने से पहले ही नष्ट हो गई। विशेषज्ञों के मुताबिक नाले के गंदे पानी को झीलों तक पहुंचने से पहले अगर ट्रीटमेंट प्लांट में साफ नहीं किया गया तो ऐसी समस्याओं से छुटकार नहीं पाया जा सकता है। बेंगलुरु की लगभग 80 झीलों की हालात कमोबेश खस्ता है। प्रत्येक ट्रीटमेंट प्लांट पर 2 करोड़ रुपये के आसपास का खर्च आता है। यानि लगभग 160 करोड़ रुपये की लागत से बहुमूल्य पर्यावरण की हिफाज़त की जा सकती है।