बिहार के 'चाणक्य' माने जाने वाले नीतीश कुमार फिर बने 'चंद्रगुप्त'

बिहार के 'चाणक्य' माने जाने वाले नीतीश कुमार फिर बने 'चंद्रगुप्त'

फाइल फोटो

पटना:

अक्सर बिहार की राजनीति के 'चाणक्य' कहे जाने वाले नीतीश कुमार ने फिर से अपनी रणनीति का लोहा मनवा दिया है। विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज कर वह एक बार फिर से 'प्रदेश के चंद्रगुप्त' बनने जा रहे हैं । 'बिहार के चाणक्य' के अपने नाम को साबित करते हुए नीतीश ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भारी पराजय झेलने के बाद अपने चिर प्रतिद्वंद्वी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के साथ हाथ मिलाकर राजनीतिक पंडितों को हैरत में डाल दिया था।

लालू से मतभेदों को भुलाया
'दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है' सदियों पुरानी इस कहावत का अनुसरण करते हुए जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने अपने कट्टर दुश्मन नरेन्द्र मोदी रूपी तूफान को रोकने के लिए लालू से गलबहियां डालीं। लोकसभा चुनाव की हार के बाद नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए जीतन राम मांझी को सत्ता सौंप दी थी। लालू और नीतीश ने अपने मतभेदों को भूलाकर 40 साल पुराने छात्र आंदोलन के जमाने के गठबंधन को फिर से खड़ा किया। इसी छात्र आंदोलन को वरिष्ठ समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने हिंदुस्तान की राजनीति में बड़े बदलावकारी आंदोलन का रूप दिया था।

तब सीएम पद के लिए किया था लालू का समर्थन
उस आंदोलन की सीढ़ी पर चढ़कर 1977 के लोकसभा चुनाव में पहली बार कूदे लालू की किस्मत रंग लाई और वह चुनाव जीत गए। लेकिन नीतीश कुमार को 1985 में राज्य विधानसभा चुनाव में पहली बार जीत हासिल करने में आठ साल लग गए। नीतीश ने 1989 में बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए लालू का समर्थन किया। इसके बाद 1990 में बिहार में जनता दल के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश ने फिर लालू के कंधे पर हाथ रखा जिन्होंने प्रधानमंत्री वीपी सिंह के नामित उम्मीदवारों राम सुंदर दास तथा रघुनाथ झा को चुनौती दी थी।

अटलजी की सरकार में रहे मंत्री
बारा से 1989 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले नीतीश कुमार ने अपनी नजरें बाद में दिल्ली पर केंद्रित कर दीं। उन्‍होंने अटल सरकार में कृषि मंत्री और 1999 में कुछ समय के लिए रेल मंत्री का पदभार संभाला। लेकिन 1999 में पश्चिम बंगाल के घैसाल में ट्रेन हादसे में करीब 300 लोगों के मारे जाने की घटना के बाद उन्‍होंने रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। नीतीश 2001 में फिर से रेल मंत्री बने और 2004 तक इस पद पर रहे। रेल भवन में उनके आसीन रहने के दौरान ही फरवरी 2002 में गोधरा ट्रेन कांड हुआ जिसने जल्द ही गुजरात को सांप्रदायिक आग के लपेटे में ले लिया।
 
जार्ज के साथ समता पार्टी बनाई
बाद में नीतीश, लालू से दूर होते चले गए। पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए लालू द्वारा अपनी ही जाति के शरद यादव का समर्थन किए जाने के कारण 1994 में नीतीश कुमार, जार्ज फर्नांडिस के साथ जनता दल से बाहर निकल गए और समता पार्टी बनाई जिसने 1996 के आम चुनाव से पूर्व भाजपा के साथ हाथ मिला लिया। इसके बाद शरद यादव को भी जनता दल में हाशिये पर डाल दिया गया और लालू ने पार्टी को अपने कब्जे में ले लिया। बाद में शरद यादव की अगुवाई वाले जनता दल, समता पार्टी तथा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े की लोकशक्ति पार्टी का आपस में विलय हो गया और नया दल जेडीयू अस्तित्व में आया।

'विकास पुरुष' के रूप में छवि बनाई
खुद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से ताल्लुक रखने वाले कुमार बिहार की राजनीति में लौटे और लालू-राबड़ी सरकार के खिलाफ जबरदस्त अभियान छेड़ दिया। जेडीयू-भाजपा गठबंधन ने वर्ष 2005 में राज्य में अपनी सरकार गठित की जिसमें मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार की ताजपोशी हुई।। मुख्यमंत्री पद की कमान संभालते ही नीतीश मिशन मोड में आ गए। इस मिशन का परिणाम यह हुआ कि वे  जल्द ही 'विकास पुरुष' कहलाने लगे।

मोदी के साथ तनावपूर्ण ही रहे संबंध
भाजपा के साथ अपने मजबूत संबंधों के बावजूद नीतीश कुमार के संबंध नरेन्द्र मोदी के साथ लगातार तनावपूर्ण बने रहे। नीतीश  ने अपनी कमान में बिहार में गठबंधन द्वारा लड़े गए दोनों चुनाव में मोदी को प्रचार से रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख के तौर पर मोदी की नियुक्ति गठबंधन सहयोगी के साथ संबंधों में निर्णायक साबित हुई और नीतीश कुमार जून 2013 में राजग से किनारा कर अपने अलग रास्ते पर निकल पड़े ।

काम कर गई एकजुटता
लोकसभा चुनाव में जेडीयू की शर्मनाक पराजय के बाद नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को सरकार की कमान सौंप दी। इस लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को केवल दो सीटें मिली थीं। मोदी लहर का सामना करने के लिए नीतीश कुमार और लालू दोनों ही अपने डगमगाते राजनीतिक भविष्य की नैया पार लगाने के लिए नए दोस्त तलाश रहे थे। इसी के चलते दोनों पूर्व कामरेड ने अपनी पुरानी दुश्मनी को भुलाकर, एक होकर तूफान का मुकाबला करने का फैसला किया और यह एकजुटता काम कर गई।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com