
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो).
बिहार (Bihar) में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार ने अपनी नियोजन नीति में परिवर्तन लाते हुए अब नया दिशानिर्देश जारी किया है. नीतीश कुमार ने कहा है कि संविदा पर नियुक्त लोग ना तो सरकारी सेवक माने जाएंगे ना ही उनकी तरह सुविधाएं मिलेंगी. इसके साथ संविदाकर्मी उसी समय तक काम कर सकेंगे जब तक वो पद रिक्त हो. इस ताज़ा फैसले में साफ कहा गया है कि सरकारी सेवा में उनको नियमित करने का कोई दावा भी नहीं बनेगा.
इस फ़ैसले की ख़बर जैसे ही अख़बारों में आई विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने कहा कि नौकरी देने की तो नहीं, बिहार सरकार ने नौकरी समाप्त कर देने की नीति की घोषणा ज़रूर कर दी है. उन्होंने कहा कि ''स्मरण होगा कि विधानसभा चुनाव अभियान के दरमियान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने घोषणा की थी कि अगर उनकी सरकार बन गई तो मंत्रिमंडल की पहली बैठक में वे दस लाख नौजवानों को नौकरी देने के आदेश पर दस्तखत कर देंगे. इसके जवाब में नीतीश कुमार और उनके गठबंधन की ओर से घोषणा की गई कि चुनाव के बाद उनकी सरकार बनते ही बीस लाख युवाओं को हम काम देंगे.''
शिवानंद ने इस बयान में कहा कि ''अभी तक तो नीतीश जी की सरकार का पूर्ण रूप से गठन ही नहीं हो पाया है. लेकिन इस आधी अधूरी सरकार ने अलग-अलग विभागों में निविदा पर बहाल लाखों लोगों के भाग्य का फ़ैसला सुना दिया. सरकार ने बता दिया कि सरकार के विभिन्न विभागों में निविदा पर काम कर रहे लोग सरकारी सेवक नहीं हैं. एक महीने का अग्रिम मानदेय देकर कभी भी उनको कार्य मुक्त कर दिया जा सकता है. आज न कल नीतीश जी हमें नियमित सरकारी सेवक बना देंगे यह उम्मीद लगाए लाखों निविदा कर्मियों की उम्मीदों पर नीतीश जी की सरकार ने तुषारापात कर दिया. आगे-आगे देखिए अब होता है क्या.''