लालू यादव ने 23 अक्टूबर को आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार करवा दिया था और उनकी रथयात्रा रोक दी थी.
आज राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन है. वे आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं और उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देने के लिए राजद नेताओं व समर्थकों का पटना आवास पर तांता लगा हुआ है. लालू के 71वें जन्मदिन पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने 71 पाउंड का केक तैयार करवाया है, जिसे उनके बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव और तेजप्रताप यादव काटेंगे. बिहार की सियासत के धुरी माने जाने वाले लालू यादव का जब भी जिक्र होता है तो उस घटना की जरूर चर्चा होती है जब उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी के 'शिखर' पर बैठे भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को बिहार में रोक दिया था और उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था. आज हम आपको इस गिरफ्तारी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं. यह साल था वर्ष 1990. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जोर पकड़ रहा था. इसी बीच लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक 'रथयात्रा' निकालने की घोषणा कर दी. इस रथयात्रा के प्रबंधन की जिम्मेदारी मिली थी देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को. इसके पीछे दो वजहें थीं. एक तो नरेंद्र मोदी नेशनल मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत थे और दूसरा उनका प्रबंधन कौशल. यहां तक कि उन्होंने वीपी सिंह से लेकर यूपी सरकार तक को रथयात्रा रोकने की चुनौती दे डाली थी.
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बहरहाल रथयात्रा शुरू हुई, लेकिन असली ट्विस्ट बाकी था. इधर आडवाणी रथ पर सवार थे और उधर बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दिलो-दिमाग में कुछ और चल रहा था. उन्होंने बिहार में लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोकने की ठान ली थी और इसके लिए पूरा प्लान बना लिया गया. आडवाणी की रथयात्रा धनबाद से शुरू होने वाली थी और उन्हें सासाराम के नजदीक गिरफ्तार करने की योजना थी. हालांकि यह योजना लीक हो गई. बाद में धनबाद में गिरफ्तारी का प्लान बना, लेकिन अधिकारियों के बीच मतभेद के बाद यह योजना भी खटाई में पड़ गई. इस बीच आडवाणी की यात्रा का एक पड़ाव समस्तीपुर भी था. लालू यादव उन्हें यहां हर हाल में गिरफ्तार करना चाहते थे. लालकृष्ण आडवाणी समस्तीपुर के सर्किट हाउस में रुके थे और लालू यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि उन्हें कहीं न जाने दिया जाए. हालांकि उस शाम आडवाणी के साथ काफी समर्थक भी थे. ऐसे में उस दौरान गिरफ्तारी के बाद बवाल होने की आशंका भी थी. ऐसे में लालू यादव ने इंतजार करना ठीक समझा.
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इसके बाद देर रात करीब दो बजे लालू यादव ने पत्रकार बनकर सर्किट हाउस में फोन किया. ताकि पता लगाया जा सके कि आडवाणी के साथ कौन-कौन है. फोन आडवाणी के एक सहयोगी ने उठाया और बताया कि वो सो रहे हैं और सारे समर्थक जा चुके हैं. आडवाणी को गिरफ्तार करने का यह सबसे मुफीद मौका था और लालू यादव ने इसमें देरी नहीं की. 25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू हुई आडवाणी की रथयात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी, लेकिन 23 अक्टूबर को आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद केंद्रीय सियासत में भूचाल मच गया था और केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी, लेकिन उस घटना ने सियासत में लालू यादव का कद ऊंचा कर दिया था.
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