
गणतंत्र दिवस की परेड में इस साल भी बिहार सरकार की झांकी को जगह नहीं मिली (फाइल फोटो)
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की बिल्कुल नहीं सुनते हैं, भले ही PM मोदी ने नीतीश कुमार को कम सीटें आने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फिर से पदासीन कर दिया हो लेकिन लगता हैं कि वह नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को गंभीरता से नहीं लेते हैं. अब तो लगता हैं कि केंद्र में कई विभाग ने भी बिहार सरकार को नजरअंदाज करने की आदत बना ली है. इसका एक उदाहरण मंगलवार को दिल्ली के गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day Parade) में देखने को मिला, जब इस साल भी बिहार सरकार की झांकी राजपथ पर नहीं दिखी. पिछले कई सालों से देखा गया है कि रक्षा मंत्रालय, जो इसका नोडल विभाग है, कई दौर तक बिहार से विचार विमर्श करने के बावजूद झांकी को अंतिम सहमति नहीं देता है. सूत्रों की मानें तो पिछले साल की तरह बिहार सरकार (Nitish Government) ने झांकी अपने महत्वकांक्षी कार्यक्रम ‘जल,जीवन,हरियाली' पर निकालने की पेशकश की, लेकिन फिर अंतिम सहमति न आने के कारण वह धरा का धरा रह गया.
इसके अलावा सोमवार को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का एक ट्वीट आया था जिसमें यह गिनाया गया था कि कितनी बार पूर्व मुख्यमंत्री और प्रख्यात समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की अनुशंसा की गई.
हमने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने के लिए अपनी अनुशंसा केन्द्र सरकार को पहले ही भेज दी है। इससे पहले भी वर्ष 2007, 2017, 2018 एवं 2019 में भारत रत्न के लिए इनके नाम की अनुशंसा की गई थी। हमारी ख्वाईश है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से विभूषित किया जाय। pic.twitter.com/dshDkS9D4l
— Nitish Kumar (@NitishKumar) January 25, 2021
नीतीश कुमार के इस ट्वीट में खुद स्वीकार किया गया है, जब से बीजेपी के साथ (2017) उन्होंने सरकार बनाई है, उसके बाद से दो बार (2018 तथा 2019) में उन्हें भारत रत्न देने का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन चूंकि यह फ़ैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का होता हैं इसलिए वह नीतीश सरकार की इस अनुशंसा को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं. इसके अलावा उन्होंने 2017 में भी यह प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उस नीतीश कुमार महागठबंधन सरकार के मुखिया थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे. हालांकि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर नीतीश कुमार से दिल्ली में राष्ट्रपति भवन मार्च करने की अपील की. जिसमें तेजस्वी ने साथ चलने का भी वादा किया गया है.
जननायक कर्पूरी जी को भारत रत्न के लिए मैंने 4:04 PM पर ट्वीट किया। CM ने 4:24 पर दिखावटी जवाब दिया।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 25, 2021
अगर वास्तव में कर्पूरी जी को भारत रत्न दिलाने की नीतीश जी की ख्वाहिश है तो क्या इस माँग पूर्ति के लिए वो हमारे साथ राष्ट्रपति के सामने परेड़ में सम्मिलित होंगे?अन्यथा वो पहल करें pic.twitter.com/UZe9woPgWR
इससे पहले भी कई ऐसे उदाहरण हैं, जिससे साफ़ होता हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार को भाव नहीं देते हैं. अगर वो राजनीतिक रूप से उनको अहमियत देते तो जब उन्होंने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्विद्ययकाय बनाने का प्रस्ताव सार्वजनिक कार्यक्रम में मांगा था तो प्रधानमंत्री मोदी ने पटना विश्वविद्यालय के उस कार्यक्रम में उसे वहीं ख़ारिज कर दिया था. इसके अलावा हर साल बाढ़ के बाद जो नुक़सान होता हैं उसके ऐवज में जो भी आर्थिक सहायता की मांग की जाती है, उसकी मात्र बीस प्रतिशत राशि ही केंद्र सरकार से बिहार को मिलती है. राजनीतिक रूप से जब प्रधानमंत्री के रूप में 2019 में नरेंद्र मोदी की वापसी हुई तो केंद्रीय मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार ने संख्या के आधार पर अनुपातिक प्रतिनिधव मांगा था लेकिन तब भी उन्हें केवल एक सदस्य को मंत्री बनाने का न्योता मिला था. वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि जहां तक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग हैं उस संबंध में फ़ैसला सही समय पर किया जाएगा. वैसे ही मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी नीतीश कुमार के शर्तों पर नहीं बल्कि बीजेपी के अनुसार होगा.