नई दिल्ली। क्रिकेट की दुनिया में ABCDE का मतलब होता था AB Devilliers Can Do Everything, लेकिन सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले में जिस तरीके से दक्षिण अफ़्रीका की टीम आखिरी लम्हों में बिखर गई उससे 'चोकर्स' का टैग कुछ और ज़ोर से चिपक गया है।
इस हार के लिए एबी की कप्तानी पर सवाल उठने लगे हैं। जिस तरीके से एबी डिविलियर्स टॉस पर आए उससे साफ हो गया कि वो काफ़ी नर्वस थे। शायद टूर्नामेंट से पहले और इसके दौरान उन्होंने जो बड़े-बड़े बयान दिए उसका दबाव उन पर हावी होने लगा था।
पिछले मैच में काइल एबट ने शानदार गेंदबाज़ी की थी और श्रीलंका की बल्लेबाज़ी को ध्वस्त करने में अहम भूमिका निभाई थी। एबट को इस मैच में बाहर कर दिया गया और वनौर्न फिलेंडर को वापस लाया गया। ये वही वनौर्न फ़िलेंडर हैं जो मांसपेशियों के खिंचाव के चलते पिछले कई मैच से बाहर थे और इस अहम मैच में उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा।
इतना ही नहीं कप्तानी के दौरान एबी डिविलियर्स ज़रूरत से ज़्यादा उत्साहित नज़र आए। हर जगह वो गेंद को रोकने के लिए कूदते फांदते दिखे। नतीजा ये हुआ कि जब वाकई में रन-आउट करने का मौक़ा आया तो वो चूक गए। उनका सबसे बड़ा दांव ही उलटा साबित हुआ। डेल स्टेन की खराब गेंदबाज़ी प्रदर्शन के बावजूद भी आखिरी ओवर में गेंद फ़िर उन्हें थमाने का दांव बेहद घातक साबित हुआ।
इसमें दो राय नहीं कि एबी डिविलियर्स जैसा बल्लेबाज़ इस वक्त किसी भी फॉर्मेट में नहीं है, लेकिन किसी भी टीम का सबसे बेस्ट खिलाड़ी कप्तानी में भी शानदार रहे ये होता नहीं है। मैच के बाद दक्षिण अफ्रिका के चैंपियन खिलाड़ियों की आंखों में आंसू हर क्रिकेट फैन को दुखी कर गए। लेकिन क्या करें, दो टीमों में एक को तो हारना ही होता है और इस हार का ठीकरा अकसर उसके कप्तान के सिर पर ही फोड़ा जाता है।