लाहौर में नवाज शरीफ के साथ नरेंद्र मोदी
25 दिसंबर यानी अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के दिन एकाएक नरेंद्र मोदी लाहौर पहुंचे नवाज शरीफ से मिलने। बढ़िया स्वागत, गर्मजोशी और बढ़िया खाना। कई जानकार ये सवाल करने लगे कि क्या नरेंद्र मोदी, वाजपेयी का अनुसरण कर रहे हैं?
लेकिन ऐसा करने के साथ-साथ सबको ये याद रखना पड़ेगा कि वाजपेयी की लाहौर यात्रा का 'जवाब' पाकिस्तान सेना ने करगिल से दिया था। अपने पड़ोसी के साथ दोस्ती की किसी भी कोशिश को कोई भी नकारेगा नहीं, लेकिन ट्विटर पर नवाज शरीफ का धन्यवाद देने वाले नरेंद्र मोदी को ये बताना भी जरूरी है कि हालात में ऐसी क्या तब्दीली हो गई है, जो ये साबित करे कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते अब पहले से बेहतर हैं।
पीएम मोदी और उनके सलाहकार इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि पाकिस्तान में चुनी हुई सरकार के समांतर या उससे ज्यादा सेना या आईएसआई की ताकत है, जिसका स्टैंड हमेशा से भारत विरोधी रहा है। इसीलिए कम समय में विदेशमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों की यात्रा के बाद ये सवाल उठेगा ही कि क्या ये पारंपरिक कूटनीतिक कदमों को खारिज करने के संकेत हैं?
इसका एक मतलब ये भी निकलता है कि एक बेहद संवदेनशील मसले को लेकर अभीतक के उठाए गए तमाम कदम क्या बेकार साबित हो चुके हैं और इसमें अब बड़े बदलाव की जरूरत थी?
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