पाकिस्तान पर भरोसा कर कहीं गलती तो नहीं कर रहा भारत ?

भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लंबे समय बाद तोपों की गूंज और गोलों की बारिश रुकने के आसार बनने लगे हैं

पाकिस्तान पर भरोसा कर कहीं गलती तो नहीं कर रहा भारत ?

प्रतीकात्मक फोटो.

भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लंबे समय बाद तोपों की गूंज और गोलों की बारिश रुकने के आसार बनने लगे हैं. दोनों देशों के डीजीएमओ की बैठक के बाद 2003 के युद्धविराम को फिर से लागू करने पर सहमति बनती दिख रही है. हालांकि बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत पाकिस्तान पर भरोसा कर सकता है? यह सवाल इसलिए कि जब-जब भारत की ओर से युद्ध विराम किया गया, पाकिस्तान ने उसका उल्लंघन किया. पाकिस्तान की गोलाबारी से सीमा के गांवों पर रहने वाले सैंकड़ों भारतीय प्रभावित हुए. पाकिस्तान युद्ध विराम के उल्लंघन को युद्ध के स्तर तक लेकर चला गया है.

जम्मू के कई गांवों में पाकिस्तान ने मोर्टार के 120 और 180 एमएम के गोले दागे. इनसे घर तो घर गांव के गांव तबाह हो गए. पाकिस्तान जानबूझकर भारतीय चौकियों के बजाए गांवों को निशाना बनाता है ताकि लोगों में दहशत फैले और वे इलाका खाली कर दें. भारत ने हर बार पाकिस्तान की इस हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया. एक बार तो हालात यहां तक पहुंच गए कि सांभा सेक्टर में बीएसएफ की जवाबी कार्रवाई से डरे पाकिस्तान ने गोलीबारी बंद करने की गुहार लगाई, लेकिन भारत के ऐसा करने के कुछ ही समय बाद एक बार फिर शातिराना अंदाज़ में गोलीबारी शुरू कर दी.

रक्षा जानकार कहते हैं कि भारत की जवाबी कार्रवाई के तरीके में पिछले चार साल में बुनियादी बदलाव आया है. पहले पाकिस्तान पर बरसाए जाने वाले गोलों के खोखों का हिसाब रखना होता था, लेकिन एनडीए सरकार में सेना और बीएसएफ को खुली छूट है कि वे बिना गिने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दें. यह एक बड़ी वजह है कि पाकिस्तान दबाव में आकर बार-बार युद्धविराम की गुजारिश करता है. कल शाम छह बजे भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ की हॉट लाइन पर बात हुई. इसमें तय हुआ कि नवंबर 2003 में हुए युद्धविराम के समझौते को पूरी तरह से लागू किया जाए. हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि भारतीय सेना नियंत्रण रेखा पर अपने आतंकवाद विरोधी अभियान में किसी तरह की ढील देगी. आपको बता दूं कि पिछले पांच महीनों में युद्धविराम उल्लंघन ने 2003 से लेकर अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक इस साल अब तक 1300 बार युद्ध विराम का उल्लंघन हुआ, जिसमें भारत के 36 सैनिक और गांव वाले मारे गए, जबकि पाकिस्तान को इससे भी कहीं ज्यादा नुकसान हुआ है.

पिछले साल दोनों देशों के बीच 971 बार और 2016 में 449 बार युद्धविराम का उल्लंघन हुआ है. कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि युद्धविराम की अपील भी पाकिस्तान की रणनीति का ही हिस्सा है. इसे जम्मू कश्मीर के हालात से जोड़कर देखा जाना चाहिए. वहां आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑलआउट चल रहा है. पिछले साल 214 आतंकवादी मारे गए और इस साल अब तक 70 आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया, आतंकवादियों के टॉप कमांडर मारे जा चुके हैं. यह स्पष्ट किया जा चुका है रमज़ान के दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध विराम नहीं है, बल्कि कुछ समय के लिए ऑपरेशन रोका गया है, लेकिन जवाबी कार्रवाई हो रही है.

गर्मी में बर्फ पिघलने के बाद पाकिस्तान आतंकवादियों को घुसाने की कोशिश करता है, इसलिए उसका इरादा है कि युद्ध विराम हो ताकि न सिर्फ आतंकवादियों को घुसाने में मदद मिले बल्कि भारतीय सेना की जबर्दस्त जवाबी कार्रवाई से तबाह हुए सैनिक ढांचे को दोबारा खड़ा किया जा सके. हालांकि इसका एक मानवीय पक्ष है जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता. दोनों तरफ की सीमा पर रहने वाले सैंकड़ों लोगों के लिए युद्धविराम बहुत बड़ी राहत भी साबित हो सकता है जो पटरी से उतरे उनके जीवन को फिर ढर्रे पर ला सकता है. रहा सवाल, दोनों देशों के बीच बातचीत का, तो दो दिन पहले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कह चुकी हैं कि सीमा पर जनाज़े उठ रहे हों तब बातचीत की आवाज़ अच्छी नहीं लगती. तो क्या पाकिस्तान के साथ युद्धविराम का समझौता भारत के लिए गलती तो नहीं होगी? 

(अखिलेश शर्मा एनडीटीवी इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

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