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This Article is From May 01, 2018

गुजरात का हिसाब, कर्नाटक में होगा बराबर?

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    May 01, 2018 20:44 IST
    • Published On May 01, 2018 20:44 IST
    • Last Updated On May 01, 2018 20:44 IST
तो गुजरात का हिसाब कर्नाटक में चुकाने की तैयारी है. गुजरात बीजेपी का गढ़ तो कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार. वैसे 2013 के बाद से अब तक जिस भी राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ, कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है. लेकिन गुजरात में कांग्रेस जैसे जीतते-जीतते हार गई और बीजेपी हारते-हारते जीत गई. अब कर्नाटक में प्रचार अंतिम दौर में है. क्रिकेट की भाषा में इसे स्लॉग ओवर कहा जाता है. यानी बल्लेबाज़ आंखें मूंद कर बल्ला घुमाता है. बल्ला लगा तो गेंद सीमा पार, चूके तो पवेलियन चलो यार. बीजेपी नेता कह भी रहे थे कि अमित शाह ने कर्नाटक में एक के बाद एक रोड शो कर अंतिम ओवरों में धुआंधार बल्लेबाजी के लिए पिच तैयार कर दी है और नरेंद्र मोदी महेंद्र सिंह धोनी की तरह आकर चौकों-छक्कों की बरसात कर देंगे.

आज पीएम मोदी ने प्रचार के पहले दिन अपने इरादे साफ कर दिए. सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह, सिद्धारमैया किसी को नहीं छोड़ा. चुन-चुन कर हरेक पर निशाना साधा. लेकिन सबसे तीखे हमले किए राहुल पर. राहुल ने कहा था कि अगर संसद में उन्हें 15 मिनट बोलने का मौका मिले तो वे राफेल, नीरव मोदी जैसे मुद्दों पर ऐसे तीखे सवाल पूछेंगे कि मोदी बैठ भी नहीं पाएंगे. पीएम मोदी ने इसका जवाब दिया. उन्होंने राहुल गांधी को बिना हाथ में कागज लिए 15 मिनट तक बोलने की चुनौती दी. यह भी कहा कि पांच बार विश्वेशरैया का नाम लेकर देखें.

ज़ाहिर है यह राहुल गांधी के भाषण देने की कला पर तीखा तंज है. लेकिन कांग्रेस ने भी इसका जवाब दिया है. कहा है कि मोदी राहुल के सामने 15 सेकंड भी खड़े नहीं हो सकते.

हालांकि चुनाव में इस तरह के बयान आम हैं. नेताओं को सुनने आई जनता को ऐसे तीखे बयान सुनकर मज़ा आता है. पीएम मोदी वंशवाद को लेकर भी कांग्रेस पर हमले करते रहे. उन्होंने एक नया नारा भी दिया. उन्होंने नामदार बनाम कामदार का जिक्र किया. 28 अप्रैल को मोदी सरकार ने दावा किया कि देश के हर गांव में बिजली पहुंच गई. इस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं.

आज पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछा कि उन्होंने 2009 तक हर गांव और हर घर में बिजली पहुंचाने का जो वादा किया था उसका क्या हुआ. उन्होंने राहुल गांधी से पूछा कि आपकी माताजी ने कहा था कि देश के हर घर में बिजली पहुंचाएंगे. 2014 तक आप बैठे रहे. आप झूठ क्यों बोलते हो.

चुनाव के बाद जेडीएस और बीजेपी के साथ आने की अटकलें हैं. हालांकि दोनों पार्टियां इससे इनकार कर चुकी हैं. लेकिन पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की तारीफ की. कहा जब भी वे दिल्ली में उनसे मिलने आए उन्होंने हमेशा समय दिया. यहां तक कि उनके लिए कार का दरवाजा खोल कर स्वागत भी किया. लेकिन हाल ही में राहुल गांधी ने उनके बारे में जिस तरह से बात की वो शर्मनाक है.

इसके बाद पीएम मोदी के निशाने पर आए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार से जुड़े हर आदमी के खिलाफ भ्रष्टाचार की खबरें आईं. उन्होंने मुख्यमंत्री के दो सीटों से लड़ने पर भी सवाल उठाया. मोदी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री पराजय के डर से भाग रहे हैं. बेटे को बलि चढ़ाने के लिए उसे पुरानी सीट से लड़ा रहे हैं.

और सिद्धारमैया जैसे टीवी पर मोदी का भाषण ही सुन रहे हों. जैसे ही पीएम का भाषण खत्म हुआ, सिद्धारमैया का ट्वीट आया. उन्होंने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, क्या आप डर की वजह से 2 संसदीय सीट वाराणसी और वडोदरा से चुनाव लड़े थे? आप तो 56 इंच के सीने वाले शख़्स हैं, आपके पास इसका बुद्धिमत्तापूर्ण जवाब ज़रूर होगा! 2 सीटों को भूल जाइए सर, आपकी पार्टी 60-70 सीटों का आंकड़ा नहीं पार कर पाएगी, इस बात की चिंता कीजिए."

अब जल्दी ही राहुल गांधी भी कर्नाटक में चुनाव मैदान में नज़र आएंगे. यानी एक बार फिर दोनों दिग्गज नेता आमने-सामने होंगे. कर्नाटक चुनाव को 2019 के लोकसभा चुनाव का पहला सेमीफाइनल कहा जा रहा है. इसका नतीजा कई चीज़ें तय करने वाला है.

लेकिन सवाल है कि क्या पीएम मोदी के आक्रामक चुनाव प्रचार का कांग्रेस दे पाएगी जवाब? क्या कर्नाटक के चुनाव में भ्रष्टाचार बन पाएगा मुद्दा? और क्या कर्नाटक बन पाएगा बीजेपी के लिए दक्षिण का प्रवेश द्वार? जाहिर है इनके अभी कुछ वक्त इंतजार करना होगा.

(अखिलेश शर्मा एनडीटीवी इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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