कथित राष्‍ट्रवादियों के मुंह पर करारा तमाचा है शहीद औरंगज़ेब के पिता का बयान...

भारतीय सेना के शहीद जवान औरंगज़ेब के पिता को सलाम... जवान बेटे को आतंकियों के हाथों गंवाने के बाद देशप्रेम की भावना से पगी ऐसी बात वतन से बेइंतहा मोहब्‍बत करने वाला कोई शख्‍स ही कर सकता था.

कथित राष्‍ट्रवादियों के मुंह पर करारा तमाचा है शहीद औरंगज़ेब के पिता का बयान...

भारतीय सेना के शहीद जवान औरंगज़ेब के पिता को सलाम... जवान बेटे को आतंकियों के हाथों गंवाने के बाद देशप्रेम की भावना से पगी ऐसी बात वतन से बेइंतहा मोहब्‍बत करने वाला कोई शख्‍स ही कर सकता था. सेना में तैनात औरंगज़ेब परिवार के साथ ईद मनाने के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलवामा जिला स्थित अपने घर जा रहा था, तभी आतंकियों ने उसका अपहरण कर लिया था. औरंगज़ेब को बर्बरतापूर्वक मौत के घाट उतारने से पहले आतंकियों ने उससे पूछताछ का वीडियो भी बनाया था. इस वीडियो में औरंगज़ेब आतंकियों की आंख से आंख मिलाकर सवालों का जवाब दे रहा था. ऐसा लगा, मानो, मौत का उसे कोई खौफ ही नहीं है. सेना के इस जवान की शहादत को सैल्‍यूट करने सेनाप्रमुख जनरल बिपिन रावत और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन उसके पिता मोहम्‍मद हनीफ से मिलने पहुंचे थे. हनीफ का पूरा परिवार ही भारतीय सेना से जुड़ा है. बेटे के 'बलिदान' पर हनीफ ने जो कुछ कहा, वह देश के उन कथित राष्‍ट्रवादियों के मुंह पर करारा तमाचा था, जो देशप्रेम को किसी धर्म-संप्रदाय विशेष की बपौती मानते हैं.

हनीफ ने कहा, 'बेटे को गंवाने का मुझे कोई पछतावा नहीं है, एक न एक दिन तो सबको ही मरना है. अगर वह घर में भी रहता, तो भी एक न एक दिन उसकी मौत होती...' बेटे को खोने का कोई भाव अपने चेहरे पर नहीं लाते हुए जांबाज़ हनीफ ने कहा, 'औरंगज़ेब तभी तक मेरा बेटा था, जब तक मेरी गोद में था... उसके बाद वह मेरा नहीं, भारत देश का बेटा था...' उन्‍होंने कहा कि इस घटना के बाद भी लोगों को अपने बेटों को सेना में भेजना बंद नहीं करना चाहिए. हनीफ के शब्‍दों पर गौर करेंगे, तो आपकी आंखें भर आएंगी. अफसोस की बात है कि उनके ये शब्‍द उस तरह मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाए, जिसके वे हकदार थे. आतंकियों को मुजाहिद का नाम देने वालों पर भी हनीफ जमकर बरसे. उन्‍होंने कहा, 'मुजाहिद वे हैं, जो इस्‍लाम का पालन करते हैं और इस्‍लाम को मानने वाला ऐसा काम कर ही नहीं सकता...'

कश्‍मीर से आती नकारात्‍मक खबरों के बीच वहां के किसी व्‍यक्ति और वह भी मुस्लिम के मुंह से ऐसी बातें सुनकर मन गर्व और दुःख से भर गया. हनीफ की पीड़ा को शब्‍दों में बयां करना मुश्किल है, लेकिन उनकी बातें किसी धर्म विशेष के लोगों को ही देशभक्‍त मानने वालों को सुननी चाहिए. देशप्रेम केवल 'भारत माता की जय' और 'जय हिन्द' के नारे बुलंद करने या राष्‍ट्रध्‍वज के प्रति सम्‍मान जताने तक ही सीमित नहीं है. इसे अपने व्‍यवहार और रोजमर्रा की ज़िन्दगी में भी उतारना होता है. जिन कथित राष्‍ट्रवादियों का ध्‍यान महाराणा प्रताप और अकबर, शिवाजी और औरंगज़ेब में से महान कौन, जैसी बेसिरपैर की बातों पर ही अटका है, वे यह बात आखिर कैसे समझेंगे. देश में असहिष्‍णुता का माहौल लगातार बढ़ रहा है, लेकिन वे इसे मानने को तैयार नहीं है. अपने कान बंद कर चुके हुक्‍मरान तक क्‍या औरंगज़ेब के पिता की यह बात पहुंच पाएगी...?

आनंद नायक Khabar.NDTV.com में डिप्‍टी एडिटर हैं...

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