क्या भारत का कोई नेता झूठ बोलने में ट्रंप को नहीं हरा सकता?

किसी ने सोचा नहीं कि इससे झूठ पर कितना असर पड़ेगा. भारत को लेकर मैं बिल्कुल चिन्तित नहीं हूं. मुझे यकीन है कि यहां झूठ बोलने की प्रतियोगिता चल पड़ेगी और कोई न कोई बंदा ऐसा होगा जो ट्रंप को हराने की ठान लेगा.

क्या भारत का कोई नेता झूठ बोलने में ट्रंप को नहीं हरा सकता?

अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप (फाइल फोटो)

ट्रंप कितना झूठ बोलते हैं, इसका हिसाब रखने वाला भी खलिहर होगा. वाशिंगटन पोस्ट के दफ्तर में स्टूल पर बिठा दिया होगा कि लो गिनो कि राष्ट्रपति कितना झूठ बोलते हैं. अब उसने गिन दिया है कि अब तक कार्यकाल में 8,158 झूठ और भ्रामक बयान दे चुके हैं. यह ख़बर दुनिया भर में छप गई है. किसी ने सोचा नहीं कि इससे झूठ पर कितना असर पड़ेगा. भारत को लेकर मैं बिल्कुल चिन्तित नहीं हूं. मुझे यकीन है कि यहां झूठ बोलने की प्रतियोगिता चल पड़ेगी और कोई न कोई बंदा ऐसा होगा जो ट्रंप को हराने की ठान लेगा. ऐसा कैसे हो सकता है कि हम लोग ट्रंप से ज़्यादा झूठ नहीं बोल सकते. एक दिन बोल कर दिखा देना है. तभी हमारा दुनिया में ऑफिशियली नाम होगा. ऐसे तो नाम है ही.

वाशिंगटन पोस्ट की ख़बर ने मुझे निराश किया है. झूठ बोलने का मज़ा ही यही है कि हिसाब नहीं रखना पड़ता है. न ही सुनने वाले को हिसाब रखना चाहिए. अब कोई गिनना शुरू कर दे तो आदमी के लिए बोलना मुश्किल हो जाए. नेता तो जनता के बीच कुछ बोल ही नहीं पाएगा. ताली बजाने की जगह पब्लिक 1001, 1002,1003 चिल्लाने लगेगी. नेता बिना बोले ही जनता के बीच आएगा और हाथ हिलाकर चला जाएगा. ट्रंप से पहले भी नेता झूठ बोल गए हैं. मगर उनकी गिनती नहीं हुई है. मुझे लगता है कि झूठ गिनने का मकसद ही यही है कि नेताओं को चुप करा दिया जाए.

सत्य की हमेशा से कमी रही है. सत्य बोलने में झंझट भी बहुत है. एक तो सत्य क्या है इसे ही लेकर बड़े बड़े लोग परेशान हैं. कुछ तो इतने परेशान हुए कि घर-परिवार छोड़ जंगल में चले गए. कुछ ने युद्ध में अपने मित्र से पूछ कर काम चलाया. हमेशा दूसरे ज्ञानी से पूछना पड़ता है. सत्य सबके बस की बात नहीं है. सत्य के लिए साधना चाहिए. साधना के लिए टाइम. टाइम तो ट्रैफिक जाम में ही खल्लास हो जाता है. इसलिए आज के जीवन के अनुकूल झूठ ही ठीक है.

वे कौन सी शक्तियां हैं जो चाहती हैं कि ट्रंप सत्य के झंझट में पड़ जाएं तो इसकी तलाश में अपना वक्त बर्बाद कर दें. मुझे ट्रंप की यह बात पसंद है कि वे आम नागरिकों की तरह राष्ट्रपति बनने के बाद भी झूठ बोल रहे हैं. राष्ट्रपति लोगों को झूठ की ज़रूरत नहीं होती मगर वे बोल रहे हैं. मुझे यकीन है कि ट्रंप झूठ बोलने की कला के कारण स्कूल जीवन में भी बेहतरीन दोस्त यार रहे होंगे. हमेशा छुट्टी के लिए नए-नए बहाने गढ़ते होंगे. दोस्तों की मदद करते होंगे. पेट ख़राब से लेकर दादी बीमार तक बोरिंग बहानों से कहीं ज़्यादा शानदार बहाने बनाते होंगे. आज उनकी वजह से झूठ की वैल्यू बढ़ गई है वर्ना लोग याद भी नहीं रखते थे.

मुझे गर्व है कि ट्रंप झूठ बोलने की क्षमता में सुधार करते जा रहे हैं. देश के लिए अगर कुछ करना है तो पहले झूठ के लिए भी कुछ न कुछ करना होगा. अपने कार्यकाल के पहले साल में हर दिन 5.6 झूठ बोलते थे. दूसरे साल में वे 16.5 झूठ हर रोज़ बोल रहे हैं. सोचिए कि उनका माइंड कितना क्रिएटिव होगा. एक झूठ बोलना मुश्किल पड़ जाता है. वे हर रोज़ 16.5 झूठ बोलते हैं. वाव! ट्रंप ने व्हाईट हाउस को सफेद झूठ में बदला है. यह बड़ी बात है.

मैं नहीं चाहता कि कोई ट्रंप की बराबरी कर ले. बल्कि दुआ करूंगा कि ट्रंप हर दिन 20 झूठ तक बोलें. बल्कि एक दिन में 24 घंटे होते हैं तो कम से कम 24 झूठ ज़रूर बोलें. भारत में ठीक है कि कोई झूठ नहीं गिन रहा है. अगर भारत को अमरीका की बराबरी करनी है तो उसे झूठ को मुक्त करना होगा. उसमें रिफॉर्म 2.0 लाना होगा. ताकि झूठ बोलने के लिए तथ्यों की जांच से गुज़रना नहीं पड़े. भारत में जो लोग भी प्रयास कर रहे हैं, उन्हें शुभकामनाएं. मैंने किसी का नाम नहीं लिया है. इसलिए कमेंट बाक्स में गाली देकर दुनिया को यह पता न चलने दें कि झूठ बोलने का इशारा किसकी तरफ किया गया है.

ट्रंप ने अपने कार्यकाल के पहले 100 दिन में ही बता दिया था कि वे झूठ को लेकर उदार हैं. कुछ न कुछ अलग करेंगे. ट्रंप को पता था कि उनका झूठ गिना जा रहा है. इसके बाद भी उन्होंने झूठ का साथ नहीं छोड़ा. भारत में भी लोग ट्रंप की बराबरी की कोशिश कर रहे हैं. चूंकि भारत में किसी चीज़ की फाइल होती नहीं हैं, ग़ायब हो जाती है इसलिए सही आंकड़े नहीं हैं. जब नौकरी के आंकड़े नहीं हैं तो झूठ के आंकड़े कहां से मिल जाएंगे. काश भारत में भी गिना जाता तो आज दुनिया के सामने ट्रंप की जगह हमारे नेताओं की चर्चा हो रही होती है.

8,158 झूठ भी कोई बताने की चीज़ है. हम लोग अपने नेताओं के झूठ गिन दें तो ट्रंप साहब सत्य बोलना शुरू कर देंगे. उन्हें पता है कि भारत के नेता कुछ भी कर लें, सत्य नहीं बोल सकते हैं. हमारे नेता सत्य बोलने के लिए शहर नहीं आते, जंगल जाते हैं. वहीं जाकर एकांत में सत्य खोजते हैं. खुशी की बात है कि आज भी नेता जंगल जाते हैं.

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