बाबा की कलम से : राहुल गांधी के बदले-बदले तेवर

नई दिल्‍ली:

आक्रामक रवैया अपनाए हुए हैं राहुल, हर जगह जा रहे हैं, लोगों से बातचीत कर रहे हैं और मीडिया से भी। पहले यही राहुल मीडिया को देखते ही भाग खड़ होते थे। राहुल छुट्टी पर गए थे, कहां गए थे अभी तक पता नहीं कर पाया हूं, केवल अटकलें ही लगाते रहे मगर जहां भी गए अच्छा हुआ है।

इसका फायदा कांग्रेस को मिला है। संसद हो या बाहर राहुल ने ऐसा हमला बोला है कि लोग अब बातें करने लगे हैं। आलम यह है कि वो सरकार पर हमला करते हैं और सरकार अपना बचाव करती है। सरकार की तरफ से मंत्रियों को जबाब देना पड़ता है। माहौल ही कुछ ऐसा बन गया है कि राहुल किसानों की बात करते हुए इस सरकार को सूटबूट की सरकार साबित करने में कुछ हद तक सफल रहे हैं।

पहले राहुल का भाषण सुनिए, लिखा हुआ होता था। मगर अब वो तैयारी कर के आते हैं और बोलते हैं। पहले सामने की भीड़ से संवाद नहीं होता था, अब वो भी होने लगा है, जुमले बोलने लगे हैं। एनएसयुआई के अधिवेशन में भी राहुल अपने रंग में दिखे।

प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर चुटकी ली और लोगों को यह भी बताया कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने कब गए। बकौल राहुल गांधी, मनमोहन सिंह और मोदी जी ने देश की अर्थव्यवस्था पर चर्चा की। यह मुलाकात इसलिए भी महत्वर्पूण हो गई क्योंकि मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था पर तीखी टिप्पणी की थी।

मनमोहन सिंह ने इस सरकार की मेक इन इंडिया की हवा निकालते हुए कहा कि यह उन्हीं की सरकार की नीति है और केवल नाम नया है। फिर मनमोहन सिंह ने कहा कि रिर्जव बैंक के गर्वनर और वित्त मंत्री के सलाहकार की चिंता इस अर्थव्यवस्था के लिए जायज है उस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। अब जब मनमोहन सिंह जैसा व्यक्ति देश की अर्थव्यवस्था पर बोले तो उसे गंभीरता से लेना ही समझदारी है। और शायद प्रधानमंत्री ने उन्हें बुला कर अच्छा ही किया।

दरअसल मोदी सरकार के एक साल पूरे होने पर कांग्रेस ने रणनीति के तहत अच्छी टक्कर दी है। राहुल ने जब एक रैंक एक पेंशन पर सेना के रिटार्यड लोगों से मुलाकात की तो सरकार हरकत में आई। अब लगता है कि इस मामले में शायद कुछ हो जाए। एक लड़ाई अमेठी में भी चल रही है जहां प्रियंका ने मोर्चा संभाल रखा है। अब राहुल गांधी के लिए चुनौती है कि वो पार्टी में क्या करते हैं कितना बदलाव ला पाते हैं।

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क्योंकि किसान, मजदूर और अकलीयत की बात करने वाली पार्टी का चरित्र बड़ा ही सामंतवादी है। इनकी बात केवल गांधी परिवार ही कर रहा है बाकी कांग्रेसी कहां हैं। लोगों को इस बात में भी दिलचस्पी होगी कि राहुल की टीम में कौन कौन से लोग होंगे। शुरुआत तो राहुल ने ठीक की है मगर क्या वो इसे अंजाम तक ले जा पाते हैं, इसी पर हम सब की निगाहें होंगी।