कोरोना का संकट गंभीर, कई राज्यों में तालाबंदी की तैयारी

आधा-अधूरा मगर नाटक पूरा. काश सीन में थाली बजाने वाले और फूल बरसाने वाले ईवेंट भी आ ही जाते. सब कुछ हमें पहले दिन से पता है लेकिन एक साल बाद भी उन्हीं आदेशों को हर मीटिंग और ब्रीफिंग में दोहराया जा रहा है. टेस्टिंग और कांट्रेक्ट ट्रेसिंग करेंगे. तो कर क्यों नहीं रहे थे?

कोरोना को लेकर गंभीरता के दो केंद्र हैं. मीटिंग और ब्रीफिंग. तालाबंदी को लेकर सब अलग-अलग तालियां बजा रहे हैं. इस बार भांति भांति की तालाबंदी है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दस दिनों के लिए पूरी तरह तालाबंदी कर दी गई है. महाराष्ट्र में कई ज़िलों में तालाबंदी है तो दिल्ली में रात दस बजे से लेकर सुबह पांच बजे तक की तालाबंदी है. गुजरात में हाई कोर्ट ने ही कहा है कि तीन-चार दिनों की तालाबंदी कर दी जाए. गुजरात सरकार ने पूरे महीने के लिए 20 शहरों में रात 8 बजे से सुबह छह बजे का कर्फ्यू घोषित कर दिया है. कहीं आठ बजे से कर्फ्यू है तो कहीं दस बजे से कर्फ्यू है. कुछ भी. आधा-अधूरा मगर नाटक पूरा. काश सीन में थाली बजाने वाले और फूल बरसाने वाले ईवेंट भी आ ही जाते. सब कुछ हमें पहले दिन से पता है लेकिन एक साल बाद भी उन्हीं आदेशों को हर मीटिंग और ब्रीफिंग में दोहराया जा रहा है. टेस्टिंग और कांट्रेक्ट ट्रेसिंग करेंगे. तो कर क्यों नहीं रहे थे? इसका मतलब है कि जो कह रहे हैं और जिनसे कहा जा रहा है दोनों ने अभी तक ऐसा सिस्टम नहीं बनाया है जो एक ही बात को बार बार कहे बिना अपने आप चलता रहे. एक तरफ आम जनता के पीछे पुलिस पड़ी है कि मास्क नहीं पहना है तो थाने चल, फाइन दे.

दूसरी तरफ गृह मंत्री अमित शाह बिना मास्क के रोड शो कर रहे हैं. अमित शाह ने बुधवार को चार रोड शो किए हैं. क्या चुनाव आयोग के किसी अधिकारी ने अमित शाह को बिना मास्क में नहीं देखा? जब आयोग अपने निर्देशों का पालन नहीं करा सकता है तो कम से कम इतना ही बता दे कि ऐसे निर्देशों को बनाने के लिए कितनी बैठकें हुई हैं और उन बैठकों में चाय और बिस्कुट पर कितना पैसा खर्च हुआ है. रोड शो को लेकर चुनाव आयोग का निर्देश है कि रोड शो के लिए गाड़ियों के काफिले को हर पांच गाड़ियों के बाद तोड़ा जाए. दो काफिले के बीच काफी दूरी हो. 100 मीटर की बजाय आधे घंटे की दूरी हो. क्या आपको इन नियमों में से कुछ भी यहां दिखाई दे रहा है? क्या किसी को सोशल डिस्टेंसिंग दिखाई दे रही है? क्या चुनाव आयोग कोई एक्शन ले सकता है? क्या भारत का चुनाव आयोग गृह मंत्री की सभा में अपने ही नियमों को लागू नहीं करा पा रहा है? तो वह विपक्ष की रैलियों के खिलाफ कैसे कार्रवाई करेगा? 2019 के चुनाव में ओडिशा में चुनाव पर्यवेक्षक मोहम्मद मोहसिन ने प्रधानमंत्री का हेलिकाप्टर चेक कर दिया था, उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. प्रधानमंत्री के चार भाषणों पर आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप लगे थे. आयोग ने क्लियर किया तो एक चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आपत्ति जता दी. कहा कि उनकी आपत्ति फैसले में दर्ज होनी चाहिए. इसके बाद से अशोक लवासा के यहां दूसरी मुसीबत शुरू हो गई. अशोक लवासा की पत्नी को आयकर का नोटिस आ गया. चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आयोग से इस्तीफा दे दिया. बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कई पत्रकारों को इंटरव्यू दिए. आप देख सकते हैं कि क्या उनमें इन बातों को लेकर सवाल पूछे गए हैं. सीआरपीएफ के जवान राकेश्वर सिंह मनहास को माओवादियों ने अगवा कर लिया है. उनकी 5 साल की बेटी रिहाई की अपील कर रही है. ऐसे वक्त में गृहमंत्री को रोड शो में होना चाहिए था या कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास की रिहाई को लेकर ऑपरेशन का नेतृत्व करना चाहिए था.

शिवराज पाटिल का ज़माना होता तो बीजेपी इस्तीफे की मांग को लेकर सड़क पर आ जाती और मीडिया दिन रात इसी पर डिबेट कर रहा होता. गृह मंत्री बिना मास्क के रोड शो कर रहे हैं. वो भी पब्लिक स्पेस में. दिल्ली हाई कोर्ट ने आज ही फैसला दिया है कि कार भी एक पब्लिक स्पेस है. इसके भीतर अगर आप अकेले भी बैठे हैं तो भी मास्क पहनना होगा. एक तरफ गृह मंत्री बिना मास्क के रोड शो कर रहे हैं दूसरी तरफ आज़मगढ़ के एक सर्राफा व्यापारी आशीष गोयल को मास्क न पहनने के आरोप में दुकान से घसीट कर थाने लाया जाता है.

मंगलवार को आज़मगढ़ के सर्राफा व्यापारी आशीष गोयल को पुलिस उनकी दुकान से ऐसे खींच कर ले गई. आप देख सकते हैं कि मास्क न पहनने पर कैसे बाहर निकाल जा रहे हैं. ऊपर से लिए इस दूसरे वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे पुलिस आशीष गोयल को गाड़ी में ठूंस रही है और आशीष गोयल ठूंसे जाने का विरोध कर रहे हैं. नतीजे में ज़मीन पर गिर जाते हैं. इसके बाद अब सीन चेंज होता है. यह कोतवाली है. यहां पर व्यापारी समुदाय के लोगों ने कोतलावी को घेर लिया है. पुलिस और लोगों में बहस हो रही है और हंगामा होने लगता है. कुछ समय के लिए आज़मगढ़ कोतवाली के आस-पास युद्ध जैसा माहौल हो गया. पुलिस पर पथराव भी हुआ और कोतवाली का गेट उखाड़ दिया. ज़िलाधिकारी के एस्कार्ट वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. कई पुलिसकर्मी घायल बताए जा रहे हैं.

इस घटना के विरोध में आज़मगढ़ में व्यापारियों ने दुकानें बंद कर दी. व्यापारियों की मांग है कि SDM सदर और CO को हटाया जाए. पुलिस ने एक पत्रकार और कांग्रेस नेता प्रवीण सिंह सहित 150 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया है. दिल्ली में भी चालान काटने वालों पर हमले की एक घटना सामने आई है.

दिल्ली के आईआईटी गेट के पास सिविल डिफेंस के लोग चालान काट रहे थे. एक आई टेन कार से चालक उतरा, वह मास्क नहीं पहना था. उसने सिविल डिफेंस की टीम पर हमला कर दिया. सिविल डिफेंस के सुल्तान को ज़मीन पर गिरा दिया और नोडल अफसर विष्णु को भी मारा. कार चालक ने अपने लोगों को भी बुलाया जिन्होंने सिविल डिफेंस की टीम पर हमला कर दिया. यही नहीं सिविल डिफेंस की महिला सदस्यों के साथ बदतमीज़ी भी की गई. एक महिला सदस्य ने कपड़े फाड़ने की भी बात कही है. क्या इनके साथ बदतमीजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी?

चालान को लेकर लोगों के बीच कई स्तरों पर गुस्सा है. वे देख रहे हैं नेता की रैली में सबको छूट है लेकिन उनसे वसूली हो रही है. कोविड के कारण आर्थिक तंगी है. लोगों की कमाई घट गई है. ऐसे समय में सरकार को उदार होना चाहिए. जो व्यक्ति दिन का 200 रुपया तक भी नहीं कमा पा रहा है उससे 500 से 2 हज़ार का फाइन लिया जा रहा है. अगर यही ज़रूरी कदम है तो फिर फाइन वसूलने वाले अधिकारी अमित शाह के रोड शो में क्यों नहीं जाते हैं.

इंदौर के दो सिपाहियों की करतूत को देख ही लिया होगा आपने. मास्क न पहनने पर कृष्णा कुंजीर नाम के व्यक्ति की पुलिस ने ये हालत कर दी. ऑटो चलाने वाले कुंजीर अपने पिता को दोपहर का भोजन देने जा रहे थे. मास्क नाक के थोड़ा नीचे आ गया तब दो सिपाहियों कमल प्रजापत और धर्मेंद्र जाट ने कुंजीर की ये हालत कर दी. दोनों निलंबित हैं और जिसे पीटा गया है उसके आपराधिक मामलों का रिकार्ड निकाला जा रहा है. ये है इंसाफ.

अमित शाह इस रोड शो में भी बिना मास्क के हैं. बुधवार का ही है. आज चार रोड शो किए हैं. आज़मगढ़ और इंदौर की पूरी पुलिस को अमित शाह के रोड शो के समय ड्यूटी पर भेजा जाना चाहिए, देखना चाहिए कि यही पुलिस इस रोड शो में आए लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर पाती है कि नहीं जो मास्क में नहीं. मैं फिर से सवाल कर रहा हूं कि क्या चुनाव आयोग गृह मंत्री को चालान कर सकता है? i am asking this question to our very own chunaav ayoga... am asking a question not doing yoga... oh dear ayoga...

बीजेपी के नेता सुनील बंसल ने आज ट्विट किया है कि उन्हें कोविड-19 हो गया है_ सुनील बंसल ने लिखा है कि उन्होंने खुद को आइसोलेट कर लिया है और जो भी उनके संपर्क में आए हैं वे भी आइसोलेट कर लें.

छह अप्रैल की एक तस्वीर में सुनील बसंल के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हैं. अच्छी बात है कि सबने मास्क पहना है. लेकिन जब सुनील बंसल संक्रमित हो चुके हैं तो क्या बाकियों को भी आइसोलेट नहीं होना चाहिए? इस ट्वीट के डेढ़ घंटे बाद योगी आदित्यनाथ बंगाल के दार्जीलिंग में एक सभा को संबोधित करते दिखाई देते हैं. मुमकिन है उन्हें सुनील बंसल की जानकारी न हो लेकिन क्या जानकारी होने पर मुख्यमंत्री खुद को आइसोलेट करेंगे? आप नेता संजय सिंह ने कहा है कि चुनाव आयोग कहां सो रहा है? अगर गृह मंत्री और मुख्यमंत्री ही कोविड के नियमों के अनुरुप आचरण नहीं करेंगे तब फिर स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन की इस शिकायत का क्या मतलब है कि लोगों का व्यवहार सही नहीं है.

देश के स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं कि लोगों ने कोविड से बचाव के लिए जो उचित आचरण हैं, उनकी तिलांजली दे दी है. ये वही आचरण हैं जिनके लागू कराने की ज़िम्मेदारी गृह मंत्री अमित शाह की है लेकिन वे तो बिना मास्क के रोड शो कर रहे हैं. डॉ हर्षवर्धन चुनावों का भी ज़िक्र कर रहे हैं लेकिन बहुत दबे स्वर में. क्या उन्हें चुनाव आयोग से नहीं कहना चाहिए कि आप कोविड के नियमों का पालन क्यों नहीं करा रहे हैं, अगर नहीं करा सकते तो मास्क के नियम हटा ही दें. one nation, no mask, do you get my point. आपको एक और प्रमाण दिखाता हूं.

कोविड अप्रोप्रिएट बिहेवियर की बात करने वाले डॉ हर्षवर्धन अपने फेसबुक पेज से प्रधानमंत्री की रैली लाइव करते हैं. जिस रैली का फेसबुक लाइव कर रहे हैं उसमें प्रधानमंत्री तो मास्क में हैं लेकिन रैली में मास्क और दो गज की दूरी का पालन नहीं दिखता है. क्या डॉ हर्षवर्धन लोगों के ऐसे आचरणों को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं जो उनके हिसाब से कोविड अप्रोप्रिएट बिहेवियर नहीं है.

कोविड के नियम जनता को आंखें दिखाते हैं और मंत्री जी को देखते ही लजाने लग जाते हैं. तालाबंदी ने लोगों को डरा दिया है. और कितने लोग बेरोज़गार होंगे और कमाई कम होगी. मुंबई में तालाबंदी से व्यापारी भड़क रहे हैं. मेयर ने कहा है कि व्यापारी सड़क पर न उतरें.

मुंबई के मलाड में व्यापारियों ने बंदी के खिलाफ प्रदर्शन किया है. इस विरोध प्रदर्शन में बीजेपी के व्यापारी शेल के नेता भी शामिल हैं. नागपुर में भी व्यापारियों ने प्रदर्शन किया है. किसी तरह उनका बिज़नेस चलने लगा था एक बार फिर रुक गया है. दिल्ली के रेस्त्रां चलाने वालों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. सरकार के पास कोई डेटा नहीं है कि तालाबंदी में कितने होटल पूरी तरह पहले बंद हो गए और उस कारण कितने लोगों का रोज़गर गया है. नेता भले अपना रोड शो कर लें लेकिन अर्थव्यवस्था सड़क पर आने लगी है.

मुंबई में नियम बना है कि किसी हाउसिंग सोसायटी में पांच से अधिक केस आने पर माइक्रो कंटेंनमेंट ज़ोन में बदल दिया जाएगा. बाहर से आने वालों पर रोक लगेगी. जो हाउसिंग सोसायटी इस नियम का पालन नहीं करेगी उस पर दस हज़ार का जुर्माना लगेगा. लोगों पर तो लग रहा है लेकिन कोई गृह मंत्री के रोड शो में मास्क न पहनने और जुर्माना की बात कर ही नहीं रहा है.

महाराष्ट्र के बीड से मनोज सातपूतगेट ने एक रिपोर्ट भेजी है. यहां के अंबाजोगाई में आठ लोगों का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया. सभी अलग-अलग परिवार के हैं मगर इनकी मौत कोविड के कारण हुई है. सभी की उम्र साठ साल से अधिक की है. बीड ज़िले में चार अप्रैल तक पूर्ण तालाबंदी कर दी गई है. पूरे भारत में पिछले दस दिनों में कोरोना से 4300 से अधिक लोगों की मौत हुई है. दस दिन में भारत भर में सात लाख 77 हज़ार से अधिक नए मामले आए हैं.

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मुंबई की मेयर ने कहा कि महानगर में टीके का स्टाक चंद दिनों का रह गया है. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि राज्य के पास तीन से चार दिनों का ही टीके का स्टाक बचा है. महाराष्ट्र ने केंद्र से तुरंत 40 लाख टीके की मांग की है. केंद्र ने कहा है कि महाराष्ट्र को एक करोड़ छह लाख डोज़ दिए गए थे. 90 लाख डोज़ लग चुके हैं. अभी सोलह लाख डोज़ हैं और हर दिन सात लाख डोज़ दिए जा रहे हैं. आज 23 लाख डोज़ हो जाएंगे. अखबारों में भी कई जगहों से रिपोर्ट छपी है कि टीका नहीं मिल रहा है.