हर राज्य में कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती के लिए चयन आयोग है जिनका काम है भर्ती निकालना, परीक्षा का आयोजन करना और फिर रिज़ल्ट प्रकाशित करना. क्या आप जानते हैं कि ये चयन आयोग किस तरह काम करते हैं, इनकी काम करने की क्षमता और कुशलता कैसी है. अगर आप चाहें और मांग करें तो एक व्यवस्था तो बन सकती है कि सरकार कम से कम यह हर तीन महीने पर बताये कि किस राज्य में किस किस विभाग में और कुल कितनी नौकरियां आईं, उनकी भर्ती प्रक्रिया कितने समय में पूरी हुई. सरकारें चाहें तो यह काम दो चार दिन के भीतर हो सकता है बशर्तें अगर आप यह बात जानना चाहते हैं तो. हम बेरोज़गारी को लेकर सरकारों का ज़िंदाबाद मुर्दाबाद करना तो जानते हैं मगर इस समस्या को कैसे समझा जाए, क्या किया जाए यह नहीं जानते. राजनीतिक दल भी ठीक से रोज़गार के बारे में अपना प्लान नहीं बताते हैं और ना ही आप उनसे पूछते हैं. सिर्फ चुनावी विज्ञापन आता है कि अब नहीं रहेगा कोई भूखा, सबको मिलेगा काम टाइप के, वही देखकर खूश हो जाते हैं.
हरियाणा के करनाल ज़िले में चपरासी के 70 पदों के लिए वैकेंसी आई थी जिसे भरने इतने लोग आ गए. ये सारी वैकेंसी ठेके की थी, परमानेंट नहीं थी, इसके बाद भी बेरोज़गारी का आलम देखिए कि चींटी तरह लोग अपनी बाम्बी से निकल आए. बेरोज़गारी का किसी ज़िले में सैंपल देखना हो तो आप वैकेंसी की घोषणा कीजिए, फार्म भरने की जगह तय कर दीजिए, फिर आपको घर-घर घूम कर सर्वे करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. 70 पदों के लिए करीब दस हज़ार लोग आ गए. संख्या कुछ कम भी हो सकती है और ज़्यादा भी. प्रशासन को भी इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी, लिहाज़ा भर्ती कैंसिल कर दी. वहां आए नौजवान गुस्से में आ गए और वहां थोड़ा बहुत उत्पात मचाया. करनाल से ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर आते हैं. हरियाणा में करनाल को सीएम सिटी बोलते हैं. 70 पदों के लिए आठवीं पास की योग्यता थी मगर आ गए बीए और एमए वाले.
राजस्थान में विधानसभा में 18 पदों के लिए आवेदन निकला. चौथी श्रेणी के 12,453 आवेदकों में से कम से कम 129 इंजीनियर थे, 23 वकील, 1 सीए, और 393 पोस्ट ग्रेजुएट शामिल थे. जिन 18 लोगों का चयन हुआ उनमें से एक बीजेपी विधायक जगदीश नारायण मीणा के बेटे भी शामिल है. पूर्व विधायक नहीं, मौजूदा विधायक के बेटे. नौकरी का आलम यह है कि इस पर पर्दा डालने के लिए एक ही रास्ता है. जम कर झूठ बोला जाए. झूठ ही नौकरी के सवाल से सबको बचा सकता है या फिर हिन्दू मुस्लिम टॉपिक जिसमें मीडिया का मन खूब रमता है. इस टॉपिक में इतना तो दम है कि आपका पूरा दिन चर्चा करते हुए निकल जाएगा, याद भी नहीं रहेगा कि जो परीक्षा दी थी, उसमें पास हुए या फेल. कोई भी फार्म फ्री का नहीं होता है. लाखों लोग फार्म भरते हैं जिससे परीक्षा बोर्ड को ठीक ठाक कमाई हो जाती है. बेरोज़गार भले न कमा सकें मगर बेरोज़गारों से कमा लेने का फार्मूला हर चयन आयोग का है. आपने कभी सवाल ही नहीं पूछा कि ऐसा क्यों है. मध्य प्रदेश में पिछले साल पटवारी की परीक्षा हुई. पहले इसके लिए दसवीं पास की योग्यता होती थी मगर देखा गया कि भीड़ बहुत ज़्यादा हो जाएगी तो योग्यता बढ़ाकर ग्रेजुएट कर दी गई. इसके बाद भी 9,235 पदों के लिए 12 लाख से अधिक आवेदन आ गए. तीन लाख उम्मीदवार ऐसे आ गए जिनकी योग्यता ग्रेजुएट से ज़्यादा थी. इनमें से 20,000 उम्मीदवारों के पास पीएचडी की डिग्री थी.
कुछ दिन पहले बिहार से एक नौजवान ने मुझे ईमेल किया बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के बारे में. अब इसका हाल बताऊंगा तो आप खाना छोड़ देंगे लेकिन मुझे पता है आप ऐसा नहीं करेंगे. दो बातें समझिए. बिहार में कई साल तक वैकेंसी नहीं आई. तो अब हर साल कई साल के बैच की एक साथ वैकेंसी आती है. जैसे 2014 में एक साथ 56, 57, 58, 59 बैच के लिए बीपीएससी की परीक्षा हुई. इस परीक्षा को पास कर बबुआ और बबुनी लोग बीडीओ, पटवारी, एसडीएम और डीएसपी बनते हैं. फार्म निकलने से लेकर परीक्षा होने के बीच तारीख और महीना ध्यान में रखिएगा तभी पता चलेगा कि टीवी पर क्यों नौकरी का टॉपिक नहीं चलता है और क्यों वही वाला चलता है जो आपको खूब पसंद आता है. 56-59 बैच का फॉर्म निकला सितंबर 2014 में. 749 पोस्ट के लिए 2,47,272 छात्रों ने पीटी की परीक्षा दी. 15 मार्च 2015 को प्रीलिम्स की परीक्षा होती है. 21 नवंबर 2015 को पीटी का रिज़ल्ट आता है. 28,308 छात्र पीटी की परीक्षा पास करते हैं. फार्म भरने से पीटी की परीक्षा के बीच एक साल गुज़र जाता है. जुलाई 2016 में मेन्स की परीक्षा होती है. रिजल्ट 30 नवंबर 2016 को आ जाना चाहिए था जो आज तक नहीं आया था.
2014 के सितंबर में फार्म भराया, उस परीक्षा का रिजल्ट जनवरी 2018 तक नहीं आया है. तीन साल में बिहार प्रशासनिक सेवा की रिज़ल्ट नहीं आया है. है न यूथ के लिए गुड न्यूज़. सैड न्यूज़ है ये. इन परीक्षाओं के लड़के प्रदर्शन भी करते हैं, मंत्रियों से मिलते भी हैं जिनकी ख़बर भीतर के पन्नों पर बेकार ख़बर की तरह छप जाती है. बेरोज़गारी की ख़बरें बेकार की तरह ही छपती हैं. तो आपने ये जाना कि 2014 की परीक्षा का रिज़ल्ट जनवरी 2018 तक नहीं आया. इस बीच बिहार प्रशानिक सेवा आयोग ने 2016 के साल में फिर से वैकेंसी निकाल दी. 60,61,62 बैच के 642 पदों के लिए फार्म मंगाए गए. फरवरी 2017 में 1,60,0,86 छात्रों ने पीटी की परीक्षा दी. 31 सितंबर 2017 को पीटी का रिज़ल्ट आता है. इसमें 8,282 छात्र मेन्स के लिए पास होते हैं. मेन्स की परीक्षा का अभी फार्म ही भरा रहा है. कब इम्तहान होगा, कब रिज़ल्ट आएगा, और अठजाम कब होगा, पता ही नहीं.
2014, 2016 की परीक्षा का रिज़ल्ट नहीं आया है और इसी बीच पिछले साल यानी दिसंबर 2017 में बैच 63 का फार्म भरा गया. 2014 में 749 पदों, 2016 में 642 पदों और 2017 में पदों की संख्या घटकर 355 हो गई. आपने किसी मंत्री का इस पर कोई ट्वीट देखा है. कभी देखेंगे भी नहीं. वो ठीक करते हैं क्योंकि रोज़गार तो मुद्दा है भी नहीं. कुलमिलाकर आपने यह जाना कि बीपीएससी के स्टेशन से तीन रेलगाड़ियां चली हैं जो रास्ते में खो गई हैं. बिहार के मां बाप अठजाम की तैयारी करके बैठे हैं कि कब बबुआ और बबुनी डिप्टी कलेक्टर होंगे और कब अठजाम होगा. दहेज़ का सीन थोड़ा ख़राब हो रहा है. नीतीश कुमार मानव श्रृंखला बनाने वाले हैं. इसकी जगह उन्हें यह करना चाहिए कि हर शादी में अलमुनियम का बक्सा और विदाई के पीछे चलने वाले ट्रेक की चेकिंग की जाएगी. मोटरसाइकिल के डीलर वालों का सेल रसीद निकाल कर चेकिंग शुरू करवा दें फिर पता चलेगा कि सरकार कितनी सीरीयस है. वैसे बुरा हाल बीपीएससी का नहीं है, दूसरे राज्यों के चयन आयोग का भी वही हाल है.
देश के करोड़ों नौजवानों को दिल्ली के सीजीओ कांप्लेक्स स्थित स्टाफ सलेक्शन कमिशन का पता मालूम है. मैंने भी सोचा था कि इसी की परीक्षा पास कर कहीं किनारे चुप चाप नौकरी कर टाइम काट दूंगा मगर प्राइम टाइम में फंस गया. ऊपर से इतनी गालियां सुनने को मिलती हैं और प्यार संभालने के लिए जगह नहीं है. मुझे आज किसी ने व्हाट्सअप किया कि मैं हरियाणा हिसार से हूं. 2015 में ssc chsl की परीक्षा दी थी, रिज़ल्ट भी आ गया, पंजाब सर्किल में पोस्टल असिस्टेंट का पद मिला है मगर वहां से अभी तक ज्वाइनिंग की चिट्ठी नहीं आई है. अगस्त 2017 में रिजल्ट में पास हो गए और जनवरी 2018 का आधा बीत गया अभी तक ज्वाइनिंग नहीं आई है. मुझे समझ नहीं आया कि ये छात्र क्या कह रहे हैं. फिर हमने जानकारी जमा करनी शुरू की.
2015 की परीक्षा की रिज़ल्ट 2017 तक नहीं आए, तो आपको क्या करना चाहिए. उम्मीद छोड़ देनी चाहिए. बिल्कुल नहीं. जब आप तीन साल इंतज़ार कर सकते हैं तो फिर उम्मीद क्यों छोड़नी चाहिए. है न. बेशक हर आयोग के पास कई कारण होते हैं. वे सीधे नहीं कहते हैं कि नकल हो गई. कहते हैं अनियमितताओं के कारण परीक्षा रद्द करनी पड़ी. कई बार मुकदमे भी होते हैं मगर सवाल नौकरी का है. हज़ारों सफल छात्रों की जवानी का है. क्या उनकी परीक्षा के रिज़ल्ट का इंतज़ार तीन तीन साल करना सही है. फिर तो इस तर्क से ईवीएम मशीन हटाकर बैलेट से गिनती करा देनी चाहिए। विधायक अपने रिजल्ट के लिए दो दिन नहीं रुक सकते, उन्हें वोट देने वाले तीन तीन साल इंतज़ार कर रहे हैं.
स्टाफ सलेक्शन कमिशन, कंबाइंड हायर सेकेंडरी लेवल एग्ज़ामिनेशन ssc chl के ये लोग मारे हैं. इस परीक्षा के तहत चुने गए छात्र कें सरकार के अलग अलग विभागों में जूनियर सहायक बनते हैं. जिसे आम बोलचाल की भाषा में ssc chl कहते हैं. इसकी परीक्षा के लिए 2015 में फार्म निकला. नवंबर-दिसंबर 2015 में करीब 30,444,139 लाख छात्र इसमें शामिल हुए. 9 महीने बाद रिज़ल्ट आता है 30 जुलाई 2016 को. 60,000 छात्र सलेक्ट होते हैं. यहां पर बताया जाता है कि एक और परीक्षा देनी होगी और दोनों परीक्षा के टोटल से रैंकिंग बनेगी. 18 सितंबर 2016 को दूसरी परीक्षा होती है. 1 जनवरी 2017 को रिज़ल्ट आता है. मगर तीन छात्र किसी बात को लेकर केस कर देते हैं. इससे भी देरी होती है. कुल मिलाकर 28 अगस्त 2017 को अंतिम परिणाम निकलते हैं. लेकिन जनवरी 2018 आ गया किसी की ज्वाइनिंग नहीं हुई है. रिजल्ट आने से पहले छात्रों ने कई बार प्रदर्शन भी किया. इनका अपना एक फेसबुक पेज है.
पीसफुल प्रोटेस्ट अगेंस्ट एसएससी नाम का एक पेज है. इस पर कई तरह के स्लोगन लिए पीड़ित छात्रों की तस्वीरें दिखीं. मास मीडिया के दौर में बेरोज़गार को खुद ही अपना मीडिया बनना पड़ रहा है जबकि वे केबल और अखबार के पैसे भी देते हैं. इंडिया में बेरोज़गार बहुत अच्छे मार्केट हैं. आप इन स्लोगन को देखते रहिए और समझिए कि बेरोज़गारों की कौन सुन रहा है. वे खुद ही अपना बुलेटिन बना रहे हैं, अपने फेसबुक पेज पर डाल रहे हैं और एक दूसरे को पढ़ रहे हैं. यही नहीं इन लोगों ने मई और जून के महीने के लिए पे टीएम से चंदा भी जमा किया. गंगा नगर के अरुण कुमार ने बताया कि 28000 रुपये जमाकर बैनर पोस्टर बनाया. कोचिंग सेंटर गए. पैम्फलेट बांटे. न छात्रों को फर्क पड़ा और न कोई मीडिया आया.
बहुत से छात्र ऐसे मिले जो 2015 की परीक्षा पास कर ज्वाइनिंग का इंतज़ार कर रहे हैं. 2016 की परीक्षा पास कर ज्वाइनिंग का इंतज़ार कर रहे हैं. इम्तहान होने में साल से ज्यादा वक्त लगता है और ज्वाइनिंग का कोई पता ही नहीं. छात्रों की पूरी जवानी इसी में तमाम है. घर बैठे इन्हीं नौजवानों के लिए हम लोग चैनलों से वही वाला टॉपिक रोज़ परोस रहे हैं ताकि उन्हें अपनी नौकरी का पता ही न चले. मैं हिन्दू मुस्लिम टॉपिक को कभी कभी वही वाला टॉपिक कहता हूं. हमारे दफ्तर पर कुछ छात्र आए जो 22 जनवरी को एसएससी के मुख्यालय पर प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं.
कर्मचारी चयन आयोग स्टाफ सलेक्शन कमिशन. इसकी परीक्षाएं समय पर क्यों नहीं हो सकतीं, क्यों नतीजा नहीं आ सकता. क्या आप यकीन करेंगे कि 2012 के साल का ssc combined graduate leval exam का रिजल्ट 15 जनवरी 2018 को आया है. अदालत में मामला फंसे होने के कारण 286 उम्मीदवारों का रिजल्ट छह साल बाद आया है. क्या नौकरी से जुड़े मामलों के लिए अलग से फास्ट ट्रेक कोर्ट नहीं हो सकता था. क्या 6 साल तक किसी को इंतज़ार करना चाहिए, उनकी जवानी तो टीवी देखते देखते ख़ाक हो गई होगी. जबकि कें सरकार के डीओपीटी विभाग का निर्देश है कि 11 जनवरी 2016 का ही आदेश है कि वैकेंसी के विज्ञापन और प्रक्रिया पूरी होने में काफी समय का अंतर देखा जा रहा है. इस देरी के कारण नए उम्मीदवारों को चांस नहीं मिल पाता है. साथ ही जिन उम्मीदवारों ने अप्लाई किया है, उनके भीतर असुरक्षा का माहौल पैदा हो जाता है. इसलिए सभी मंत्रालय और विभागों से गुज़ारिश की जाती है कि सारी प्रक्रिया यानी विज्ञापन निकालने, फार्म भरने, लिखित परीक्षा और इंटरव्यू केबाद रिजल्ट आने की प्रक्रिया छह महीने के भीतर पूरी की जाए.
आदेश तो है मगर इस आदेश का भी वही हाल है. हमारे मुल्क में आदेश भी लागू होने के इंतज़ार में बेरोज़गार बैठे हैं. अब के सिनेमा में लोग एंग्री यंगमैन को देखकर हंसते हैं इसलिए जावेद अख़्तर ने भी बेरोज़गारी पर फिल्म लिखना छोड़ दिया है क्योंकि बेरोज़गार व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी से अपनी राजनीति तय करते हैं. फिल्म से नहीं. हम बेरोज़गारों की पीड़ा समझते हैं. अपने फेसबुक पेज पर जब इनकी व्यथा के बारे में लिखा तो आईटी सेल से बहुत कम लोग गाली देने आए. शायद उन्हें भी पता है जहां नौकरी और बेरोज़गारी की बात हो वहां दूर रहो. मगर इतना बता सकता हूं कि हमारे ये नौजवान वाकई दुखी हैं. कोई उनसे बात करने वाला नहीं है. यहां तक उनके घर वाले भी उनकी बात नहीं करते हैं.
आप एक और चीज़ देखेंगे. अक्सर कई बुद्धिमान लोग युवाओं का मज़ाक उड़ाते हैं कि सरकारी नौकरी का इंतज़ार कर रहे हैं. मुझे आज समझ आया कि ऐसा नहीं करना चाहिए. क्या उन बुद्धिमानों को यह बात भी जायज़ लगती है कि चयन आयोग 600 पदों की भर्ती की परीक्षा की प्रक्रिया पूरी करने में तीन तीन साल लेते हैं. आप नौजवानों से आग्रह है कि ईमानदारी से और पूरी जानकारी के साथ हमें सूचना भेजें. फोन नंबर ज़रूर दें. कई बार आप आरआरबी लिख देते हैं, हमें नहीं पता आरआरबी क्या होता है, इसलिए पूरे विस्तार के साथ एक एक चीज़ के साथ लिखें. कहां लिखें ये आप आईटी सेल वालों से मेरा नंबर मांग सकते हैं. उनके पास है.
इस बीच हमने एसएससी की प्रवेश परीक्षाओं से जुड़े कुछ सवाल एसएससी के चेयरमैन को भेजे थे. उनके जवाब आए हैं. एक जवाब हम आज सुना रहे हैं, बाकी कल के कार्यक्रम में शामिल करेंगे. हमने एक सवाल ये पूछा था कि Combined Graduate Level परीक्षा, 2016 के अंतिम रूप से चुने गए छात्रों की जॉइनिंग क्यों नहीं हो पा रही है और कितने छात्र सफल हुए हैं और देरी के क्या कारण हैं? जवाब ये है Combined Graduate Level परीक्षा, 2016 का अंतिम रिज़ल्ट 5 अगस्त, 2017 को घोषित किया गया था. सफल अभ्यर्थियों के डोज़ियर को संबंधित विभागों में भेजने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. इनमें से 9,500 अभ्यर्थियों के डोज़ियर संबंधित विभागों को भेजे जा चुके हैं. शेष डोज़ियर जल्द ही भेज दिए जाएंगे. सफल अभ्यर्थियों को जॉइनिंग के आदेश संबंधित विभागों द्वारा ही दिए जाने हैं. SSC ने CAT प्रिंसिपल बेंच नई दिल्ली के OA No. 2964/2017 में दिए गए 23 अक्टूबर, 2017 के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील करने हेतु प्रस्ताव सरकार को अनुमोदनार्थ भेजा है. इस मामले में कुछ और समय लग सकता है.