नौकरीपेशा करदाताओं को अपने आर्थिक भविष्य के बारे में सोचना होगा क्योंकि...

नौकरीपेशा करदाताओं को अपने आर्थिक भविष्य के बारे में सोचना होगा क्योंकि...

वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

इस देश के 3% सीधे टैक्स देने वालों को लेकर और मूल प्रश्न मेरा यही है कि क्या हमें आर्थिक आज़ादी मिलनी चाहिए या नहीं? सरकार को किसने हक दिया ये आज़ादी छीनने का? क्योंकि सरकार हमारे ईपीएफ के पैसे पर कर तभी माफ़ करने को तैयार है जब हम जबरन सरकार की पेंशन योजना में अपने ईपीएफ का 60% निवेश करें।

सरकार की ईपीएफ पर दलीलें कमजोर नज़र आ रही हैं, अभी भी वित्तमंत्री कह रहे हैं कि इसका मतलब सरकार के लिए पैसा कमाना नहीं है। लेकिन सवाल वही है कि सरकार कैसे तय कर रही है कि कोई कहां निवेश करे और ना ये बता पा रही है कि इस बड़े पैसे के इकट्ठा होने के बाद उसके इस्तेमाल क्या क्या हैं।

क्या सरकार ईपीएफ को लेकर अपने फ़ैसले पर सोच विचार करेगी? इस सवाल पर सरकार सोचे या ना सोचे लेकिन हमारी आपकी तरह अपनी तनख़्वाह से हर महीने एक तय रकम कटाने वाले लाखों करोड़ों वेतनभोगी ज़रूर ये बात सोच रहे होंगे। सरकार एक तरफ जहां कर्मचारियों पर अपनी कड़ी शर्त रखती है वहीं दूसरी तरफ बड़े घरानों का कर्ज़ माफ किया जाता है और काला धन वालों को राहत का मौका मिलता है। इसीलिए मेरे हिसाब से देश के नौकरीपेशा करदाताओं को अपने आर्थिक भविष्य के बारे में सोचना होगा क्योंकि अब सरकारें उनके दूरगामी आर्थिक भविष्य को तय करने की कोशिश कर रही हैं।

(अभिज्ञान प्रकाश एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर हैं)

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