यह ख़बर 14 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर

श्रीनगर:

जम्मू कश्मीर में बाढ़ का प्रकोप जारी है और अब भी एक लाख से ज्यादा लोग राज्य के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं, लेकिन इस विपदा की घड़ी में बाढ़ पीड़ितों की सबसे ज्यादा मदद स्थानीय लोगों ने की। जो बड़ी तस्वीर सामने आ रही है उसके मुताबिक, बाढ़ आने के पहले 24 घंटे में स्थानीय लोगों ने जाति और धर्म की दीवारों से ऊपर उठ कर एक दूसरे की मदद की।

एनडीटीवी की टीम ने जब श्रीनगर के शहीद बुंगा बार्जुला बागाहाट गुरुद्वारे का दौरा किया तो ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली। इस गुरुद्वारे में करीब लोगों ने शरण ले रखा है और यहां राज्य का कोई भी बाढ़ मुफ्त में रह सकता है, खा सकता है और इलाज करा सकता है। इस गुरुद्वारे में हर रोज हजारों लोगों के खाना बनाया जाता है।

एनडीटीवी की टीम को यहां बाढ़ से प्रभावित अलग अलग समुदायों के लोग मिले, जिनके लिए इस मुसबित के वक्त गुरुद्वारा ही आखिरी आश्रय साबित हुआ। यहां ऐसे हजारों लोग रह रहे हैं जिनका बाढ़ में सबकुछ लुट चुका है। यहां लगे मेडिकल कैंप में हज़ारों लोगों का इलाज हो चुका है और उन्हें मुफ्त में दवाइयां बांटी गई हैं। इस मेडिकल कैंप में जो डॉक्टर पीड़ितों के इलाज में जी-जान से जुटे हैं उनके खुद के घर पानी में डूबे हैं और इस बाढ़ में बहुत कुछ खो चुके हैं।

इस राहत शिविर में अमेरिका और दुनिया के कई देशों में बसे सिख संस्थाओं की तरफ में राहत सामग्री पहुंच रही हैं। कई दवाई कंपनियों ने मुफ्त में दवाइंया भेजी हैं और दूसरी चिकित्सीय सुविधाएं मुहैया कराई हैं।

वहीं इस गुरुद्वारे से कुछ ही मीटर दूर एक स्थानीय मस्जिद में भी राहत शिविर बनाया गया है, जहां देश के विभिन्न इलाके से बड़ी संख्या में आए प्रवासी मजदूरों सहित करीब 500 परिवार रह रहे हैं।

मस्जिद के कार्यकर्ता गुलाम कादिर कहते हैं, 'हमने अपने सिख भाइयों से लंगर की अवधारणा ली और सूखा अनाज देने के बजाए मस्जिद में रहने वाले लोगों को हम पका-पकाया खाना परोस रहे हैं।' बाढ़ के कारण घाटी में फंसे कई पर्यटक भी मस्जिद में ठहरे हुए हैं। उनका कहना है कि कश्मीर के लोगों के प्यार से वे अभिभूत हैं।

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यहां यह बताना अहम हो जाता है कि इस बाढ़ का असर श्रीनगर के कई बड़े अस्पतालों पर पड़ा है, जो अब भी पानी में डूबे हैं और जहां रखे चिकित्सीय उपकरण और दवाइंयां नष्ट हो चुकी हैं। इस कारण इलाज के अभाव में राज्य के कई मरीजों और नवजातों की मौत हो चुकी है। (एजेंसी इनपुट के साथ)