चंडीगढ़:
पंजाब में स्थानीय निकाय चुनाव सिर पर हैं, लेकिन गुटबाजी से बदहाल कांग्रेस पार्टी अकाली-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ लोगों में नाराज़गी को भुनाने में नाकाम दिख रही है।
पंजाब में कांग्रेस की मुश्किलें ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। फरवरी के आखिरी हफ्ते में आठ नगर निगम और 123 परिषदों, पंचायतों के चुनाव होने हैं, लेकिन बटाला से पार्टी एमएलए प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ आग उगल रहे हैं।
बटाला से एमएलए अश्वनी सेखरी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी पर गुंडों का कब्ज़ा हो गया है और इनसे मुक्ति का अभियान बटाला से शुरू होगा, मेरे 35 उम्मीदवारों को ज़लील किया गया। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को ज़लील किया गया, एमएलए ज़लील हुआ है।
प्रदेश के बाकी इलाकों में ऐसा ही हाल है। कांग्रेस मुकाबले से गायब है। मोगा, कोटकपूरा में पार्टी नेता आज़ाद उम्मीदवार की तरह मैदान में हैं। जीरकपुर में 5 अकाली नेता निर्विरोध चुने गए। गुरु हर सहाय में कांग्रेस उम्मीदवार समय पर पर्चा दाखिल नहीं कर पाए। कादियान में दो सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार नहीं खड़े कर पाई। जलालाबाद में 8 अकाली उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। हालांकि, जहां विधायकों को टिकट बांटने की आज़ादी मिली वहां कई टक्कर है। मोहाली से पार्टी, एमएलए बलबीर सिंह सिद्धू कहते हैं कि किसी भी परिवार में समस्या आती है, लेकिन कांग्रेस पार्टी इनका समाधान ढूंढ लेगी और सभी नेता एक मंच से 2017 की तैयारी करेंगे।
मजबूत विपक्ष देने में कांग्रेस की नाकामी से आम आदमी पार्टी खुश है। आम आदमी आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता योगेन्द्र यादव के मुताबिक पंजाब में एक बहुत बड़ा अवसर है, चूंकि वहां राजनीतिक शून्य है, अकालियों की धक्केशाही से लोग तंग हैं, बीजेपी को उनका हिस्सा समझते हैं, कांग्रेस वापस आकर उसे ठीक कर सकती है, किसी को भरोसा नहीं है।
राज्य में विधानसभा चुनाव में दो साल से कम वक़्त बचा है और पार्टी हाई कमांड के सामने राज्य इकाई को पटरी पर लाने की पहाड़ सी चुनौती है।