गोवा का सियासी संकट...

कुछ महीने पहले भी ये कोशिश की गई कि गोवा में बीजेपी विधायक दल का नया नेता चुन लिया जाए मगर पार्टी हिम्मत नहीं जुटा पाई और हाथ पीछे खींच लिए.

गोवा का सियासी संकट...

गोवा के मुख्‍यमंत्री मनोहर पर्रिकर (फाइल फोटो)

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को उनके परिवार वाले गोवा ले गए हैं जहां उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पर्रिकर की तबियत नाजुक है फिर भी बीजेपी उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाए रखना चाहती है. यही वजह है कि अभी तक बीजेपी गोवा में मुख्यमंत्री बदलने से इनकार करती रही है. कुछ महीने पहले भी ये कोशिश की गई कि गोवा में बीजेपी विधायक दल का नया नेता चुन लिया जाए मगर पार्टी हिम्मत नहीं जुटा पाई और हाथ पीछे खींच लिए. वजह साफ है कि बीजेपी के अंदर और सरकार को बाहर से सर्मथन देने वाली पार्टियों ने पर्रिकर के सिवाय किसी और को नेता मानने से इनकार कर दिया है. यही वजह है कि बीजेपी इतने दिनों तक एम्स में भर्ती पर्रिकर को ही मुख्यमंत्री बना कर गोवा का कामकाज चलाती रही.

बीजेपी को डर था कि यदि गोवा में कोई नया मुख्यमंत्री वो बनाती है तो उसे विधानसभा में विश्वास मत लेना पड़ेगा जिसके लिए संख्या को लेकर बीजेपी पूरे भरोसे में नहीं थी कि वह बहुमत जुटा लेगी. क्योंकि गोवा में मुख्यमंत्री पर्रिकर के अलावा दो अन्य मंत्री भी उस वक्त गंभीर रूप से बीमार थे और वोट देने की हालत में नहीं थे. हालांकि अब उन बीमार मंत्रियों को हटा दिया गया है. मगर अब जब पर्रिकर को गोवा ले जाया जा चुका है, गोवा का संकट टला नहीं है. कारण है गोवा विधानसभा के आंकड़े.

गोवा में कुल 40 विधानसभा की सीटें हैं जिसमें सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है जिसके पास 16 सीटें हैं और एक एनसीपी के पास है. बीजेपी के पास 14 सीटें हैं जिसे महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के 3, गोवा फार्वड पार्टी के 3 और 3 निर्दलीय विधायकों का सर्मथन हासिल है. इन दलों ने यह साफ कर दिया है कि उनका सर्मथन पर्रिकर को है न कि बीजेपी को.

अब हालात नाजुक दौर में पहुंच चुके हैं पर्रिकर काफी बीमार हैं और बीजेपी को अपना नेता बदलना होगा और विधानसभा में बहुमत भी साबित करना होगा. बीजेपी इसके लिए तैयार दिख रही है, कई नामों की चर्चा है. दिल्ली में मंत्री श्रीपद नायक के नाम की भी चर्चा है तो गोवा से भी कई नाम हैं. गोवा के विधानसभा अध्यक्ष प्रमोद सांवत के नाम की भी चर्चा है. दरअसल गोवा में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनाने का एक फार्मूला है. अधिकतर मुख्यमंत्री कोंकणी हिंदू होता है तो उपमुख्यमंत्री कैथलिक ईसाई. पर्रिकर के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने फ्रांसिस डिसूजा को उपमुख्यमंत्री बना रखा था. अब बीजेपी को तय करना है कि वह कौन सा फार्मूला अपनाती है. वैसे अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री की संभावना कम ही दिखती है.

दूसरे बीजेपी को अपने सहयोगियों को भी नए मुख्यमंत्री के नाम पर मनाना पड़ेगा. इस सबके बीच कांग्रेस भी इंतजार कर रही है कि बीजेपी क्या करती है. कांग्रेस अपने पत्ते तभी खोलेगी. गोवा में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत का कहना है कि हम भी विचार विर्मश कर रहे हैं मगर पहला कदम बीजेपी को उठाना है तभी हम तय कर पाएंगे कि हमें क्या करना है. गोवा में बीजेपी की बैठक सोमवार को हो रही है यानी गोवा की राजनीति के लिए अगले 24 से 48 घंटे काफी महत्वर्पूण हैं.

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...
 
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