नई दिल्ली:
लिएंडर पेस, रोहन बोपन्ना और सोमदेव देववर्मन - इन तीनों टेनिस सितारों ने इंचियॉन एशियाई खेलों में भारत की ओर से भाग नहीं लिया, लेकिन ठीक उसी समय एटीपी टूर्नामेंट में खेलने को तरजीह दी। अब इस मामले को खेल मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है, और इन खिलाड़ियों का नाम लिए बिना साफ कहा है कि अगर एथलीटों को सरकारी अनुदान चाहिए तो उन्हें देश के लिए खेलना होगा। सरकार के इस कदम का भारतीय ओलिम्पिक संघ ने भी समर्थन किया है।
भारतीय ओलिम्पिक संघ के अध्यक्ष एन रामचंद्रन ने भी सरकार से सुर मिलाते हुए कहा है कि सरकारी अनुदान के चलते ही खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा ले पाते हैं, इसलिए एशियाई खेलों और ओलिम्पिक खेलों में हिस्सा लेने से इनकार करना ठीक बात नहीं है।
लिएंडर पेस, रोहन बोपन्ना और सोमदेव देववर्मन - तीनों ने हमेशा यही कहा कि उन्हें रेटिंग प्वाइंट हासिल करने के चलते एटीपी टूर्नामेंट में खेलना पड़ा। वैसे भी, ओलिम्पिक, 2012 के बाद से टेनिस खिलाड़ियों को सरकार की ओर से कोई अनुदान नहीं मिला है, लेकिन हर बड़े टूर्नामेंट से पहले सरकार से खेल संघों को भारी-भरकम रकम दी जाती है।
इस लिहाज से देखें तो सरकार का फैसला सख्त भले ही हो, लेकिन देशहित में है। देश के तमाम खेल सितारों को इसे मानने में संकोच नहीं होना चाहिए। दुनिया के नामचीन प्रोफेशनल स्टार रोजर फेडरर, राफेल नडाल और नोवाक जोकोविच जैसे खिलाड़ी भी अपने देश के लिए खेलते रहे हैं। वैसे, इस पूरे मामले में एक बात तो साफ है कि भारत के टेनिस खिलाड़ियों ने देशहित पर पैसों को तरजीह नहीं दी, क्योंकि अगर उनमें पैसों का लालच होता तो एशियाई खेलों में ही हिस्सा लेने जाते। मेडल जीतकर इनाम हासिल करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते, क्योंकि वे जिन टूर्नामेंटों में हिस्सा लेने गए, वे बेहद कम पैसे वाले टूर्नामेंट थे, सो, ऐसे में संभवतः खिलाड़ियों ने सचमुच अपनी रैंकिंग और प्वाइंट को बेहतर करने को ही तरजीह दी है।
उधर, टेनिस खिलाड़ियों के अलावा अखिल भारतीय टेनिस संघ की मान्यता भी खतरे में है। अगर संघ ने सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक अपने चुनाव नहीं कराए तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जाहिर है, अब खेल मंत्रालय, संघ और खिलाड़ियों को रियायत देने के मूड में नहीं है। ऐसे में बेहतर यही होगा कि खिलाड़ी प्रोफेशनल टूर्नामेंटों और देश के लिए खेले जाने वाले टूर्नामेंटों को लेकर बेहतर प्लानिंग करें, और दूसरी ओर, सरकार को भी इन खिलाड़ियों को समय से अनुदान देने की जरूरत है, तभी भारत में खेल की तस्वीर बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।