हिमांशु शेखर की कलम से : कब रुकेंगे बीजेपी नेताओं के ओछे बयान?

साक्षी महाराज की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

विवादित बयान न देने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हिदायत के बावजूद बीजेपी के नेता बाज नहीं आ रहे हैं। पहले गोडसे के महिमामंडन को लेकर घिर चुके उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने फिर एक विवादित बयान देकर एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। इस बार एक सार्वजनिक मंच से साक्षी महाराज ने कह दिया कि हिंदू महिलाओं को कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए।

साक्षी महाराज के इस बयान से विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक नया मौका मिल गया है। कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि पहले सब्ज़ियां हुईं महंगी, फिर बाज़ार में आई मंदी और किसानों की आमदनी हुई कम और अब साक्षी महाराज के बयान से लगता है कि बस नफ़रत फैलाने वालों के आए अच्छे दिन आ गए हैं। अभिषेक मनु सिंघ्वी ने यहां तक कहा, बीजेपी को बताना चाहिए कि क्या वो अपना एजेंडा बदल रही है।

इससे पहले केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने "ये देश रामज़ादों का है या ---ज़ादों का?" कहकर राम नाम का अपमान किया। फिर बीजेपी सांसद, योगी आदित्यनाथ ने छेड़ा लव जेहाद का विवाद और अब साक्षी महाराज ने फिर वही घिसी-पिटी बातें दोहरा दी हैं।

ये बात कि मुसलमान चार शादियां करते हैं और फिर ज़्यादा बच्चे पैदा करते हैं, आपने भी सुनी होगी। लेकिन एक आदमी एक शादी करे या चार- एक औरत उतने ही बच्चे पैदा करेगी। फिर वह एक मर्द से शादी करे या चार मर्दों से। ये बिल्कुल सिंपल गणित है। दूसरी बात ये कि आप जब जनगणना के आंकड़े देखेंगे तो एक चीज़ साफ़ हो जाएगी- एक से ज़्यादा पत्नियां हिंदुओं में ज़्यादा हैं और मुसलमानों में कम।
 
रही बात साक्षी की तो वही समझा पाएंगे कि ये बात छेड़ने से किसको फ़ायदा मिल रहा है, लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि इसका जवाब बीजेपी के नेतृत्व को भी देना पड़ेगा कि जहां प्रधानमंत्री मोदी की बात टालने की हिम्मत बड़े से बड़ा नेता नहीं करता है, वहीं साक्षी महाराज, योगी आदित्यनाथ और साध्वी निरंजन ज्योति- बार-बार लक्ष्मण रेखा पार करने की हिम्मत कहां से जुटा रहे हैं?

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बीजेपी के सूत्र बार-बार कहते हैं कि प्रधानमंत्री ऐसे बेतुके बयानों से नाराज़ हैं। लेकिन सवाल ये है, इन बयानों को बंद करने के लिए पार्टी कड़े क़दम कब उठाएगी?