तो इसलिए ख़ास हैं रोहित शर्मा...

तो इसलिए ख़ास हैं रोहित शर्मा...

रोहित शर्मा को लेकर बीते कई सालों में जब-तब ये चर्चा होती है कि उन्हें ज्यादा मौके दिए जा रहे हैं। उन्हें हर कोई ऐसा टैलेंट मानता रहा है, जो मौकों को बर्बाद करता रहा है। टैलेंटेड बल्लेबाज़ का स्लोगन तो कुछ ऐसा चिपका कि खुद रोहित शर्मा ने भी कहा कि टैलेंटेड होने के चक्कर में उनका नुकसान ज्यादा हुआ है जबकि वे अपनी मेहनत से बल्लेबाज बने हैं और नंबर आठ बल्लेबाज़ से नंबर एक तक पहुंचे हैं।

हालांकि इन चर्चाओं की सबसे बड़ी वजह यही है कि रोहित शर्मा अहम मौकों पर चूकते रहे। सेट होने के बाद अपनी पारी को बड़ी पारी में तब्दील नहीं करने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाते और तो और अच्छा भला बल्लेबाजी करते हुए खराब शाॅट्स खेल कर विकेट गंवा देते हैं।

इन सबके बावजूद रोहित शर्मा ख़ास क्यों हैं, ये उन्होंने कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में एक बार फिर दिखा दिया। दक्षिण अफ्रीका के 304 रनों के लक्ष्य के सामने रोहित शर्मा ने बेहतरीन अंदाज में पारी की शुरुआत की और उसके बाद उन्होंने अपने अंदाज में रन बटोरे।

देखते-देखते उन्होंने अपने वनडे करियर का आठवां शतक बना दिया। हालांकि इसके लिए उन्होंने 139 वनडे खेले हैं। अब जरा इसकी तुलना हाशिम अमला से भी कर लीजिए, जिन्होंने 121 वनडे मैचों में 21 शतक ठोके हैं।

इस लिहाज से देखें तो रोहित शर्मा के शतकों का ग्राफ कहीं बेहतर होना चाहिए, लेकिन उनकी बल्लेबाज़ी की सबसे खास बात ये है कि जब वे बल्लेबाज़ी कर रहे होते हैं, तो किसी भी गेंदबाज़ी आक्रमण को औसत बना देते हैं। हालांकि विदेशी पिचों पर उन्हें अपनी काबिलियत साबित करनी है। बावजूद इसके जब वे लय में होते हैं, तो किसी फनकार की भांति रन बटोरते नजर आते हैं।

उन्हें सहजता से तूफानी शाट्स खेलते हुए देखने से लगता है कि ये बल्लेबाज तो आउट ही नहीं होगा। अगर अपनी मेहनत, प्रैक्टिस और प्रतिबद्धता में रोहित अपना शत प्रतिशत देने लगे तो ये संभव भी है। यही वो पहलू हैं, जिसके चलते रोहित शर्मा वनडे क्रिकेट में दो दोहरे शतक के बाद भी स्टार बल्लेबाज़ों में अपनी जगह मज़बूती से जमा नहीं पाए हैं।

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हालांकि वह उनसे बहुत दूर भी नहीं दिखता और उनके पास समय भी मौजूद है।