उत्तर प्रदेश के यादव परिवार के झगड़े को लेकर सोशल मीडिया में चर्चा है कि अखिलेश यादव ने घर बदल लिया. दफ्तर बदल लिया. दिल भी बदल गया है. क्या अब दल भी बदलेंगे? कुछ लोग लिख रहे हैं कि अमित शाह ने उन्हें ऑफर दिया है कि अगर वो पिता और चाचा से अलग हो जाएं तो बीजेपी उन्हें चुनाव में यूपी के सीएम के तौर पर पेश कर सकती है. जबकि कुछ कह रहे हैं कि उनका 'नुचेरल अलाय' कांग्रेस है. वो अगर पार्टी तोड़ेंगे तो कांग्रेस के साथ जाएंगे. इस कयास को इससे भी बल मिलता है कि पिछले कुछ मौकों पर राहुल गांधी और अखिलेश एक-दूसरे की सार्वजनिक मंचों से तारीफ कर चुके हैं. एक-दूसरे को 'अच्छा लड़का' बता चुके हैं. कहा ये भी जा रहा है कि अखिलेश ने चुनाव प्रचार करने से इंकार कर दिया है.
यादव परिवार में आजकल रोज कुछ ऐसा होता है, जिससे इन अफवाहों को बल मिलता है. आज लखनऊ में लोहिया की पुण्यतिथि पर हो रहे कार्यक्रम में अखिलेश यादव और मुलायम सिंह अलग-अलग वक्त पर आए, जिससे इन कयासों को बल मिला कि अखिलेश चाचा जी और पिता जी के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते.
राममनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर यादव परिवार लखनऊ में बने लोहिया पार्क में हर साल एक बड़ा कार्यक्रम करता है. इस बार वहां लोहिया को श्रद्धांजलि देने सबसे पहले शिवपाल यादव पहुंचे. उसके बाद अखिलेश आए और फौरन ही चले गए. और सबसे बाद में मुलायम सिंह यादव पहुंचे. इसके बाद आपसी मनमुटाव बढ़ जाने की चर्चाएं तेज हो गईं.
लेकिन यादव परिवर के एक करीबी ने कहा कि 'नेताजी (मुलायम सिंह) दिल्ली में थे और उनके आने का कार्यक्रम पक्का नहीं था, इसलिए भईया (अखिलेश यादव) अलग से आए और चूंकि पहले से तयशुदा एक कार्यक्रम में उन्हें पहुंचना था इसलिए वो जल्दी निकल गए. फिर नेताजी अचानक आ गए'.
लेकिन पिछले कुछ दिनों में मुलायम सिंह और शिवपाल यादव ने जिस तरह अखिलेश यादव की मर्जी के खिलाफ सात बड़े फैसले लिए हैं, उससे अखिलेश उनसे सख्त नाराज बताए जाते हैं. अखिलेश की मर्जी के खिलाफ मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया गया. मुख्तार अंसारी को टिकट देने का भरोसा दिया गया. अलिखेश यादव के करीबी तीन युवा एमएलसी और चार युवा संगठनों के अध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया गया. अमर सिंह को अखिलेश के बाहरी बताने के बाद महासचिव बना दिया गया और बर्खास्त मंत्री गायत्री प्रजापति को दोबारा मंत्री बनवा दिया गया. और उनसे पूछे बिना अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी को टिकट दे दिया.
अखिलेश की भी कुछ बातों से ये फूट ज्यादा बड़ी नजर आती है. पिछले 43 साल से अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह के घर में रह रहे थे. चंद दिनों पहले वो मुलायम का घर छोड़कर पत्नी और बच्चों के साथ अपने नए घर में शिफ्ट हो गए. अखिलेश यादव ने कहा कि 'जीत उसी की होती है, जिसके पास ट्रंप कार्ड होता है.. और वह अभी हमारे पास है'. यही नहीं, अखिलेश यादव ने लखनऊ में बने जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट के दफ्तर का उद्घाटन किया तो उनके साथ वे सारे के सारे युवा नेता मौजूद थे, जिन्हें मुलायम सिंह ने पार्टी से बर्खास्त कर दिया है.
यादव परिवार के झगड़े के नतीजे में मुलायम सिहं की आजमगढ़ रैली, अखिलेश यादव की रथ यात्रा और पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक टाल दी गई है.
(कमाल खान एनडीटीवी में रेजिडेंट एडिटर हैं)
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