कर्नाटक बना कुरुक्षेत्र...

हाल के दिनों में जो दलित आंदोलन हुए हैं उससे दलित बीजेपी से नाराज़ बताए जा रहे हैं. मुस्लिम वोटों की बात करें तो उस पर परंपरागत तौर पर कांग्रेस का कब्ज़ा रहा है.

कर्नाटक बना कुरुक्षेत्र...

कर्नाटक में दलित और आदिवासी सीटों की संख्या कुल 224 में से 51 है जिनमें 36 दलित और 15 आदिवासी सीटें हैं. 36 दलित सीटों में से कांग्रेस के पास 17, जेडीएस के पास 10 और बीजेपी के पास 6 सीट है. जबकि 15 आदिवासी सीटों में कांग्रेस के पास 9, जेडीएस और बीजेपी के पास एक-एक सीट है. हाल के दिनों में जो दलित आंदोलन हुए हैं उससे दलित बीजेपी से नाराज़ बताए जा रहे हैं. मुस्लिम वोटों की बात करें तो उस पर परंपरागत तौर पर कांग्रेस का कब्ज़ा रहा है. मगर इस बार हालात पहले की तरह नहीं हैं. यहां मैदान में एक नया चेहरा पैर ज़माने की कोशिश में है. जी हां, असदुद्दीन ओवैसी इस बार देवेगौड़ा के साथ गठबंधन में हैं और कांग्रेस का गणित बदलना चाहते हैं. हालांकि बिहार विधानसभा में भी ओवैसी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में उम्मीदवार उतरे थे मगर उनकी पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली थी. तेलंगाना में भी ओवैसी की पार्टी हैदराबाद के मुस्लिम बहुल इलाकों खास कर चार मीनार के बहार अपना प्रभाव नहीं दिखा पाई है.

अब देखते हैं सिद्धारमैया के पक्ष में क्या बातें जाती हैं और खिलाफ में क्या. कर्नाटक में 2013 से 2017 के बीच 3500 किसानों ने आत्महत्या की है. यह बड़ी संख्या है और बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया हुआ है. हर मीटिंग में बीजेपी के बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा नेता इसे चुनावी मुद्दा बनाने से नहीं चूका. दूसरी तरफ सिद्धारमैया के पक्ष में जो बातें जाती हैं उसमें है इंदिरा कैंटीन जहां 5 रुपये में नाश्‍ता और 10 रुपये में खाना भी मिलता है. यह योजना सभी शहरों में लागू है. दूसरी उपलब्धि है गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले अल्पसंख्यक परिवार की लड़कियों की शादी के लिए 50 हज़ार की सरकारी मदद.

अब ज़रा नज़र डालते हैं कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों पर. सबसे पहले मुंबई कर्नाटक जहां 50 सीटें हैं, जिसमें से कांग्रेस के पास 31, बीजेपी के पास 13, जेडीएस और कजप के पास एक-एक सीट है. ये इलाके हैं हावेरी, धारवाड़, बेलगाम, बीजापुर, हुबली और बागलकोट. इसी इलाके से पूर्व मुख्‍यमंत्री जगदीश शेट्टार, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रह्लाद जोशी और केंद्रीय मंत्री रमेश जिगजैगानी भी आते हैं. दूसरा प्रमुख इलाका है तटीय कर्नाटक जिसमें मंगलोर, उडि‍पी, करवार, चिकमंगलूर जैसे इलाके आते हैं. यहां 19 सीटें हैं जिनमें से कांग्रेस के पास 13, बीजेपी के पास 3 और अन्य के पास भी 3 सीटें हैं. तीसरा इलाका है हैदराबाद कर्नाटक. इसमें गुलबर्गा, बीदर, रायचूर, बेल्लारी, कोप्पल और यादगीर जैसी जगहें हैं. यहां 40 सीटें हैं जिनमें कांग्रेस के पास 23, बीजेपी और जेडीएस के पास 5-5 सीटें, कजप के पास 3 और अन्य के पास 4 सीटें हैं. चौथा महत्वपूर्ण इलाका हैं मध्य कर्नाटक जहां 28 सीटें हैं. यह येदियुरप्‍पा का इलाका है. पिछली बार येदियुरप्‍पा बीजेपी से अलग हो गए थे मगर इस बार बीजेपी के साथ हैं. खुद शिमोगा के शिकारीपुर से चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी को इस इलाके से काफी उम्मीदें हैं. यह लिंगायत बहुल इलाका है. यहा मुक़ाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. पांचवा महत्वपूर्ण इलाका है मैसूर कर्नाटक जिसे दक्षिण कर्नाटक भी कहते हैं. यहां 59 सीटें हैं. यहां मैसूर, चामराजनगर, हासन, मांड्या, चिकबल्‍लपुर जैसे इलाके आते हैं. यह वोक्कालिगा का गढ़ है. यहां जेडीएस मजबूत है, देवेगौड़ा खुद हासन से आते हैं. यहां मुक़ाबला जेडीएस बनाम कांग्रेस बनाम बीजेपी है.

अंत में बात करते हैं बेंगलुरू की. यहां हालात कुछ अलग हैं. यहां के ग्रामीण और शहरी इलाकों में हिंदी बोली जाती है और इसी पर बीजेपी ने भरोसा जताया है. बीजेपी को लगता है यहां वो अच्छा करेगी. हलाकि यहां भी मुक़ाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस ही है. यानी कर्नाटक का मुक़ाबला दिलचस्प होने वाला है. कर्नाटक चुनाव महत्वपूर्ण है बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी के लिए. यही वजह है कि प्रधानमंत्री की जहां 15 रैलियां होने वाली थीं उसे बढ़ा कर 21 कर दिया गया यानी 6 रैली अधिक. अमित शाह और राहुल गांधी मठों और मंदिरों पर माथा टेकते नज़र आए. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी इसलिए मायने रखता है कि गुजरात के बाद एक बार और उनकी परीक्षा है क्योंकि गुजरात में नजदीक आते आते कुर्सी कांग्रेस के हाथ से फिसल गयी. इस बार कर्नाटक में राहुल गांधी के साथ-साथ सिद्धारमैया कि इज़्ज़त भी दांव पर लगी है.

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...

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