कहीं ज़्यादा शोहरत के हक़दार हैं संगकारा

'संगकारा टेस्ट क्रिकेट भी छोड़ना चाहते हैं! क्या बकवास है! इतना अहम फ़ैसला उनपर नहीं छोड़ा जा सकता!

ये ट्वीट है मशहूर कमेंटेटर हर्षा भोगले का। दुनिया भर के क्रिकेट पंडित और क्रिकेट को चाहने वालों की राय भी इससे जुदा नहीं हो सकती।

कुमार चोकशनादा संगकारा। खब्बू बल्लेबाज़ और विकेटकीपर। किसी खिलाड़ी का करियर कितना लंबा हो इसके लिए तय तमाम मापदंडों को ये खिलाड़ी लगातार झुठला रहा है। 37 साल की उम्र में रुकने का नाम नहीं ले रहा। उम्र का असर न ता फ़िटनेस पर है और न ही फ़ॉर्म पर। फॉर्म इतना ज़बरदस्त है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में चल रहे आईसीसी वर्ल्ड कप में लगातार 4 शतक ठोक दिए हैं। बांग्लादेश के खिलाफ़ 105, इंग्लैंड के खिलाफ़ 117, ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 104 और और स्कॉटलैंड के खिलाफ़ 124 रन। वर्ल्ड कप तो क्या अब तक खेले गए 3632 वनडे मैचों में भी ऐसा कारनामा कोई नहीं कर पाया है।

सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट किया, 'लगातार 4 शतक! ज़बरदस्त बल्लेबाज़ी और गज़ब का फ़ॉर्म।'

इसी वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उन्होंने 14 हजार रनों का आंकड़ा भी छू लिया। वनडे में अब सिर्फ़ सचिन तेंदुलकर 18,246 रनों के साथ उनसे आगे हैं। टेस्ट में सबसे ज़्यादा रन बनाने वालों में वे पांचवे नंबर पर हैं। उनसे आगे सचिन तेंदुलकर, रिकी पॉन्टिंग, ज़ैक कैलिस और राहुल द्रविड़ हैं। टेस्ट में उनका औसत 58.66 है। पिछले 47 साल में इससे बेहतर औसत किसी भी खिलाड़ी का नहीं रहा है। ये ही नहीं आपको ये जानकर शायद हैरानी हो कि टेस्ट में 5000 से ज़्यादा रन बनाने वालों बल्लेबाज़ों में उनका औसत सिर्फ़ दो ही खिलाड़ियों से कम है-सर डॉन ब्रैडमैन और केन बैरिंगटन।

वर्ल्ड कप के बाद कुमार संगकारा वनडे को अलविदा कहने वाले हैं। अगस्त में वे भारत के साथ 3 टेस्टों की सीरीज़ के बाद टेस्ट से भी रिटायर हो जाएंगे। क्या इस बल्लेबाज़ को यों ही संन्यास लेने देना चाहिए? शायद संगकारा उस दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति से हैं जिनका मानना रहा है कि असल चैंपियन वही है जो चोटी पर रहते खेल को विदा कह दे।

ये हैरान करता है कि करियर के आखिरी सालों में संगकारा दुनिया के सबसे कामयाब बल्लेबाज़ बन कर उभरे हैं। आंकड़े इस बात की तसदीक करते हैं। अगर क्रिकेट के तीनों फ़ॉर्मैट को मिला दें तो पिछले 5 साल में संगाकारा ने विश्व में सबसे ज़्यादा रन बनाए हैं। उन्होंने इन पांच साल में 269 मैचों में 14211 रन बनाए हैं। इसमें 35 शतक और 85 अर्धशतक शामिल हैं। दूसरे नंबर पर तिलकरत्ने दिलशान उनसे करीब 4 हजार रन पीछे हैं। एबी डिविलियर्स तीसरे, हाशिम आमला चौथे, महेला जयवर्धने पांचवे और भारत के विराट कोहली छठे नंबर पर हैं।

पिछले 3 साल में उनका औसत घटने की बजाए बढ़ाता गया है। 2013 में उनका टेस्ट औसत 91.40, 2014 में 71.09 और इस साल 104.00 तक पहुंच गया है। वनडे में भी यही कहानी है। 2013 में उनका औसत 63.91, पिछले साल 46.51 और इस साल बढ़कर 90.77 हो गया है।

15 साल पहले 22 साल के कानून के एक छात्र ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा था तब ही क्रिकेट के जानकारों ने कह दिया था कि सौम्य और शांत दिखने वाला ये शख़्स कामयाबी की एक नई कहानी लिखने जा रहा है। वे गलत नहीं थे। 2006 में महेला जयवर्धने के साथ उन्होने कोलंबो को सिंहलीज स्पोर्ट्स क्लब मैदान पर दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 624 रनों की साझेदारी की। वो भी डेल स्टेन और मखाया एंटिनी जैसे गेंदबाज़ों के सामने। संगकारा ने 287 रनों की यादगार पारी खेली। एक साल बाद होबार्ट में 192 रनों की उनकी पारी भी ज़बरदस्त रही।

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कुमार संगकारा ने अपने प्रदर्शन से कई नई इबारतें लिखी। एक विकेटकीपर के लिए नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी करना बेहद मुश्किल माना जाता है। लेकिन संगकारा ने इसे भी आसान बना दिया है। अक्सर दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के कट और पुल को सुघड़ और दर्शनीय माना जाता है लेकिन बाएं हाथ के संगकारा ने इस मिथक को भी तोड़ दिया। ये उनकी काबलियत ही है कि आईपीएल में उन्हें हर फ़्रेंचाइजी उन्हें अपनी टीम में रखना चाहता है। ज़ाहिर है ये खिलाड़ी जितनी शोहरत का हकदार रहा है वो उसे नहीं मिली। अगस्त में संगकारा के संन्यास के बाद ये प्रश्न अधूरा रह जाएगा- अगर कुमार संगकारा रिटायर नहीं होते तो और कितने रिकॉर्ड टूटते।