मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम चिट्ठी : हुजूर कभी बिना पूर्व सूचना के भी आइए!

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम चिट्ठी : हुजूर कभी बिना पूर्व सूचना के भी आइए!

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो).

माननीय मुख्यमंत्री जी
 
नमस्कार.
 
इन दिनों आप फिर से यात्रा पर निकले हैं. आपकी यात्रा सुखद हो, इसके लिए खूब तैयरियां हो रही हैं. होना भी चाहिए. आपकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन आपके राज्य का यह नागरिक उस वक्त परेशान हो जाता है, जब आपके आगमन से पहले शहर-गांव में अचानक निर्माण कार्य शुरू हो जाता है.  
 
मुख्यमंत्री जी, आंगनबाड़ी, महादलित टोले की साफ-सफाई, ग्रामीण सड़कें, बिजली की व्यवस्था आदि जो आरंभ से ही रहना चाहिए, वह आपके आगमन के ठीक पहले दुरुस्त किया जाता है. यदि आप अचानक किसी ग्रामीण इलाके का दौरा करेंगे तो जमीनी हकीकत से रूबरू हो पाएंगे. मेरे गांव में सभी आंगनबाड़ी केंद्र आधे-अधूरे हैं. स्कूल के लिए जमीन है लेकिन केवल शौचालय का निर्माण हुआ है. पंचायत भवन के लिए जमीन है लेकिन भवन नहीं! नीतीश जी, सूबे में ऐसे कई गांव होंगे.
 
मैं उस वक्त दुखी हो जाता हूं, जब किसी अखबार में पढ़ता हूं कि 'मुख्यमंत्री के आगमन से पहले गांव की तकदीर बदल गई' या फिर 'गांव लगने लगा शहर'. मुख्यमंत्री जी, यदि यह सब आरम्भ से ही रहे तो क्या दिक्कत! सोचिए, आपकी ही योजना है, आपका ही फैसला है लेकिन आपके आने की खबर के बाद विकास की बात होती है. सरकार के आने की सूचना पर गांव की सूरत बदलती है, सड़कें चकाचक हो जाती हैं. यकीन मानिए, यदि ऐसा सबकुछ पहले से हो तो बिहार मुल्क को आईना दिखाने लगेगा.
 
माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपका प्रशंसक हूं. आपके कामकाज का तरीका मुझे पसंद है. भक्त नहीं हूं, इसलिए आज सवाल उठा रहा हूं.  
 
नीतीश जी, आपके आने की खबर के कारण पूर्णिया जिले के सुपौली पंचायत के लगभग 1400 घरों में नल का कनेक्शन उपलब्ध करा दिया गया. नाला बन रहा है, गोबर गैस प्लांट बन रहा है, चकाचक आंगनबाड़ी केंद्र और सामुदायिक भवन बन गया!  नीतीश जी, वक्त निकालकर जरा सोचिएगा कि 'नीतीश निश्चय' जमीन पर तब क्यों दिखता है जब नीतीश कुमार इलाके में कदम रखते हैं.
 
माननीय मुख्यमंत्री जी, आप यात्रा करें लेकिन आपके लिए सबकुछ संवारा न जाए. अच्छा होगा यदि आपकी सरकार की योजनाओं के कारण सबकुछ पहले से सजा-संवरा रहे. मुझे यह सब लिखते हुए बंसीलाल याद आ रहे हैं. उन्होंने हरियाणा को बदलकर रख दिया था. वे भी यात्रा करते थे. अस्पताल, ग्रामीण इलाकों का दौरा करते थे. सोचिए, यदि आप हर महीने दो जिलों का दौरा करेंगे तो बिहार की तस्वीर कैसी होगी.
 
नीतीश जी, इन सब शिकायतों के बावजूद मेरे जैसा नागरिक इस बात से खुश है कि आप रैली नहीं करते हैं, आप संवाद करते हैं.
 
अंत में यही कहूंगा कि आप इस सूबे के मुखिया हैं, अभिभावक हैं, इसलिए कभी कार्यक्रमों में फेरबदल कर अचानक किसी अस्पताल, किसी पंचायत या फिर जिला मुख्यालय पहुंच जाएं. बिहार को आपसे उम्मीदें हैं.
 
आपका

किसान गिरीन्द्र नाथ झा
ग्राम पोस्ट- चनका, जिला- पूर्णिया
बिहार


गिरीन्द्रनाथ झा किसान हैं और खुद को कलम-स्याही का प्रेमी बताते हैं...

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