झारखंड में नई सरकार का गठन अगले कुछ दिनों में हो जाएगा। चुनावी रुझान से साफ़ है कि इस बार जनता ने बहुमत की सरकार बनाने का प्रयास किया है। यह प्रयास कितना सार्थक हो पाएगा वो तो परिणाम से पता चल पाएगा। लेकिन, लोगो में सबसे ज्यादा इस बात को लेकर जिज्ञासा है कि अगली सरकार का भ्रष्टाचार के मुद्दे पर क्या रुख होगा।
झारखंड में पहली सरकार बाबूलाल मरांडी से अब तक जो भी मंत्रिमंडल बना हैं कोई भी भ्रष्टाचार के आरोप से अछूता नहीं रहा। ये भी एक महज संयोग हैं कि पहली सरकार में करप्शन के मुद्दे पर सबसे ज्यादा आरोप चल रहे हैं और उस समय समता पार्टी के विधायक और पूर्व मंत्री लालचंदा महतो को इस बार बीजेपी ने अपने टिकट पर मैदान में उतारा।
पार्टी के इस फैसले को जनता कितना स्वीकार करती हैं वो आने वाले 24 घंटों में सबको पता चल पाएगा। लेकिन ये भी सच है कि अगर झारखंड में भ्रष्टाचार का बोलबाला है तो यहां की जनता भी उसके लिए उतना ही जिम्मेदार हैं। नहीं तो 2009 के चुनावों में निर्दलीय मधु कोड़ा को चाइबासा की जनता ने लोकसभा में नहीं पहुंचाया होता। और उनके ऊपर आरोपों के बाबजूद छापेमारी के बाद भी उसी साल हुए विधानसभा चुनावों में उनकी पत्नी गीता कोड़ा को मनोहरपुर से विधायक नहीं चुना होता।
इस बार भी दोनों पति-पत्नी चुनावी मैदान में हैं। साथ-साथ चर्चित एनोस एक्का समेत कई दागी चाबी के लोग अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। अभी तक गठबंधन की सरकार के कारण अधिकांश भ्रष्टाचार के मामले में दागी लोगों को खिलाफ चाहे वो सीबीआई हो या राज्य की निगरानी अपनी जांच को कभी तार्किक परिणीति तक नहीं पहुंचा सकी।
झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां राज्य विधानसभा के चुनावों में 81 में से 30 से अधिक विधायक फंसे हैं। सभी दलों के विधायक इसमें आरोपी हुए, लेकिन किसी पार्टी ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की माने तो झारखंड में जितने खनिज पदार्थ हैं जितना नेचुरल रिसोर्सेज हैं कोई भी पैसा कमाने की लालसा त्याग नहीं सकता।
अगर विधायक पैसा नहीं बनाएंगे तो राजनैतिक दल के शीर्ष नेता लेने-देने का खेल कैसे करेंगे। और जांच एजेंसियों का यही रोना हैं कि एक ऐसा राज्य जहां सीबीआई, एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट, इनकम टैक्स, राज्य निगरानी सहित सभी जांच में लगे हुए हैं। वहां के नेता और अधिकारी पैसा बनाने या भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आते। उम्मीद है कि नई सरकार 14 वर्षों से चले आ रहे इस खेल को बंद कर पाएगी।