बाबा की कलम से : बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना

नई दिल्ली:

दिल्ली के दंगल पर पूरे देश के नेताओं की निगाहें हैं, और इस बीच, तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा है कि तृणमूल सर्मथक आम आदमी पार्टी को वोट दें। दिलचस्प जानकारी यह है कि तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दौरान नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से पुराने जमाने के अभिनेता विश्वजीत को टिकट दिया था, जिन्हें केवल 909 वोट मिले थे, सो, उनके कितने समर्थक हो सकते हैं, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं। वैसे, एक ही दिन पहले सीपीएम ने भी अपने समर्थकों से आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की अपील की थी। विडंबना यह है कि दिल्ली में सीपीएम भी अभी तक केवल एक वार्ड की सीट जीत पाई है, और मजेदार बात यह है कि पश्चिम बंगाल में एक-दूसरे के घनघोर विरोधी दिल्ली में एक ही पार्टी को समर्थन देने की अपील अपने-अपने वोटरों से कर रहे हैं।

यही नहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव भी आम आदमी पार्टी को ही सर्मथन दे रहे हैं। दिल्ली में जेडीयू के एकमात्र विधायक रहे शोएब इकबाल अब कांग्रेस में हैं। वैसे, इसका मतलब यह नहीं है कि जेडीयू का कुछ वोट दिल्ली में है, क्योंकि शोएब इससे पहले रामविलास पासवान की पार्टी में भी रह चुके हैं। दरअसल, उनका अपना वोट बैंक है, किसी पार्टी का नहीं। हां, इतना ज़रूर है कि पूर्वांचल के लोग यहां बड़ी संख्या में हैं, मगर वे दिल्ली की राजनीति के अनुसार वोट करते हैं, अपने राज्यों की राजनीति या नेता के कहने पर नहीं...

बात यहीं तक भी नहीं थमी, और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस), यानि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी ने भी आम आदमी पार्टी को सर्मथन देने की अपील की है, और समाजवादी पार्टी के नेता, या कहें थिंक टैंक, रामगोपाल यादव भी कह चुके हैं कि अरविंद केजरीवाल एक अच्छे मुख्यमंत्री साबित होंगे। अब समाजवादी पार्टी ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में अपने समर्थन का बयान भी जारी कर दिया है। भले ही समाजवादी पार्टी का कोई भी विधायक दिल्ली में नहीं है, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं में मुलायम सिंह की पकड़ मानी जाती है।

समाजवादी पार्टी को पता है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अपार सफलता के बाद मुलायम सिंह हाशिये पर हैं और बीजेपी उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का दम भर रही है, सो, समाजवादी पार्टी द्वारा केजरीवाल को समर्थन देने का मतलब है कि ये सभी दल, जो खुद को गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस बताते रहे हैं, इस बार झाड़ू के साथ खड़े होने में झिझक नहीं रहे हैं। यह आने वाले दिनों की राजनीति का संकेत भी हो सकता है कि मोदी लहर को रोकने के लिए जिस तीसरे मोर्चे को एक विश्वसनीय चेहरे की तलाश थी, वह शायद अरविंद केजरीवाल के रूप में पूरी हो जाए।

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अब अगर अरविंद केजरीवाल दिल्ली का दंगल जीत जाते हैं तो एक मुख्यमंत्री के रूप में उनका कद इसलिए बढ़ेगा कि उन्होंने मोदी के रथ को रोक दिया, और दूसरी तरफ बिहार के विधानसभा चुनाव में यदि आम आदमी पार्टी खुद नहीं उतरती है तो नीतीश कुमार चाहेंगे कि केजरीवाल इसी तरह की अपील बिहार के लोगों से करें कि वे जेडीयू को वोट दें। वैसे, दिल्ली के बाद निकट भविष्य में सबसे बड़ा चुनावी दंगल बिहार में ही होने वाला है, जहां बीजेपी दिल्ली की तरह ही सब कुछ झोंक देगी, सो, ऐसे में नीतीश कुमार ने एक मंझे हुए नेता की तरह केजरीवाल के पक्ष में बयान देकर पासा फेंका है, जिसके भारतीय राजनीति में दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, बशर्ते अरविंद केजरीवाल दिल्ली फतह कर लें...