
एन श्रीनिवासन का फाइल चित्र
भारतीय क्रिकेट अपने सबसे बड़े संकट के दौर से गुज़र रहा है। सुप्रीम कोर्ट भारतीय क्रिकेट की गंदगी साफ करने में जुटा हुआ है, और बीसीसीआई और आईसीसी के अध्यक्ष श्रनिवासन बुरी तरह घिर गए हैं। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि भारतीय क्रिकेट का होगा क्या...?
यदि आप बीसीसीआई की संरचना को देखें तो यह भारत के संभ्रांत लोगों, खासकर बड़े बिजनेसमैन, बड़े वकीलों, बड़े नेताओं, नौकरशाहों का जमावड़ा है, और यहां सारे पद अवैतनिक हैं। बीसीसीआई ने भारतीय क्रिकेट को कई ज़ोनों में बांट रखा है, और तय होता है कि अध्यक्ष बारी-बारी से अलग-अलग ज़ोन से बनेंगे।
हाल के सालों में बीसीसीआई में एक बड़ा टकराव जगमोहन डालमिया बनाम शरद पवार हुआ था, लेकिन तब तक बीसीसीआई का दफ्तर तक नहीं होता था और मीटिंग अध्यक्ष के शहर में आयोजित की जाती थी। उस चुनाव में पहले पवार हार गए, फिर अगले साल पवार ने डालमिया से हार का बदला लिया। यहां दूसरा सबसे बड़ा विवाद आईपीएल बनने के बाद ललित मोदी बनाम बीसीसीआई हुआ और ललित मोदी को बीसीसीआई के साथ-साथ देश भी छोड़ना पड़ा।
अब श्रीनिवासन देश की सबसे बड़ी अदालत के सामने खड़े हैं। अब रणनीति क्या है बाकी लोगों की। यदि सुप्रीम कोर्ट श्रीनिवासन को क्लीन चिट दे दे तो वह दोबारा अध्यक्ष बनेंगे, लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर शतरंज की बिसात बिछेगी, और यहीं शुरू होगी भारतीय क्रिकेट में राजनीति, जिसने मेरे जैसे राजनीतिक संवाददाता को बीसीसीआई कवर करने के लिए प्रेरित किया।
शरद पवार मुंबई क्रिकेट एसोसिएसन के अध्यक्ष हैं तो उनके फिर चुनाव लड़ने की चर्चा लाजिमी है, मगर श्रीनिवासन उनके लिए तैयार नहीं होंगे, और दक्षिण भारत के क्रिकेट बोर्ड श्रीनिवासन की जेब में हैं। ऐसे में पवार को अरुण जेटली की मदद की जरूरत पड़ेगी। अब सवाल उठता है कि क्या जेटली दक्षिण के बोर्डों को राजी कर पाएंगे। आपको बता दूं कि जेटली केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भले ही सक्रिय रूप से क्रिकेट प्रशासन से दूर हैं, लेकिन उनका अभी भी काफी प्रभाव है।
अब सबसे बड़ा सवाल है कि कौन होगा बीसीसीआई का अगला अध्यक्ष...? चलिए, एक संकेत देकर छोड़ देता हूं... अगला अध्यक्ष या ईस्ट जोन से हो सकता है, या सेंट्रल जोन से - वैसे ईस्ट का दावा अधिक मजबूत है...