आरोप-प्रत्यारोप के दौर में बैकफुट पर सरकार

पेट्रोल-डीजल के दामों में उछाल से लेकर भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के बयान तक कई मुद्दों को लेकर राजनीतिक घात-प्रतिघात से भरा सप्ताह

आरोप-प्रत्यारोप के दौर में बैकफुट पर सरकार

मौजूदा हफ्ता राजनैतिक पत्रकारों के लिए लॉटरी से कम नहीं रहा... पहले लगातार पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें सुर्खियों में रहीं. तेल की कीमत आसमान छू रही है ..जनता परेशान है, सरकार से उम्मीद बांधे है कि शायद सरकार ही कुछ रहम कर दे. मगर केन्द्र सरकार ने जरा भी राहत देने से मना कर दिया.

अभी जो पेट्रोल की कीमत है उस पर केन्द्र सरकार करीब 20 रुपये एक्साइज टैक्स लेती है जबकि राज्य सरकार 17 रुपये वैट के रूप में वसूलती है...जबकि असली कीमत एक लीटर पेट्रोल की होती है करीब साढ़े 40 रुपये. इसी तरह डीजल पर केन्द्र सरकार 15 रुपये का टैक्स लेती है तो राज्य सरकार 10 रुपये का. जबकि एक लीटर डीजल की कीमत है करीब 44 रुपये. सोशल मीडिया सहित बाकी जगहों पर सरकार की काफी आलोचना होने लगी कि आखिर केन्द्र और राज्य सरकार अपना टैक्स कम क्यों नहीं करती. तब जाकर कुछ राज्य सरकारों ने एकाध रुपया प्रति लीटर दाम कम किया. लोगों ने सोशल मीडिया पर बीजेपी नेताओं, जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल थे, के पुराने वीडियो डालने शुरू कर दिए कि यूपीए के जमाने में जब तेल के दाम बढ़ते थे तो वे क्या बयान देते थे. एक तरह से सोशल मीडिया पर सरकार पिछड़ती नजर आई..

दूसरी बड़ी खबर रही इस हफ्ते की- डालर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट. रुपया लुढ़कते-लुढ़कते 72 रुपये के पार चला गया. सरकार का फिर बयान आया कि हम इस पर कुछ नहीं कर सकते, यह विश्वव्यापी हालात की वजह से हो रहा है और डॉलर हर करेंसी के मुकाबले मजबूत हो रहा है. सोशल मीडिया पर फिर पुराने वीडियो की बाढ़ आ गई कि मनमोहन सिंह के समय किस तरह बीजेपी नेताओं ने क्या-क्या बयानबाजी की थी. दरअसल बीजेपी ने और खुद प्रधानमंत्री ने 2014 के लोकसभा चुनाव में तेल की बढ़ती कीमत और रुपये की गिरावट को चुनावी मुद्दा बनाया था.

फिर एक खबर आई रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की तरफ से कि यूपीए के समय सबसे ज्यादा खराब बैंक लोन उद्योगपतियों को दिया गया. इस पर बवाल मच गया. बीजेपी और सोशल मीडिया कांग्रेस के पीछे पड़ गया. मगर बाद में यह भी पता चला कि मौजूदा एनडीए के समय उससे ज्यादा लोन दिया गया है. इस पर भी बीजेपी और कांग्रेस की तू तू-मैं मैं शुरू हो गई. फिर फरार मेहुल चौकसी का एक वीडियो आ गया जिसमें वह रोता दिख रहा है और सरकार पर फंसाने का आरोप लगा रहा है. भले ही कोई भी उसके आंसुओं पर भरोसा नहीं कर रहा, मगर वह भी मीडिया में भरपूर जगह खा गया..

अभी हफ्ता खत्म नहीं हुआ है कि खबरों का सबसे बड़ा बम फोड़ा विजय माल्या ने, यह कहकर कि भारत से भागने के पहले 2016 में उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी. यह खबर ऐसी थी जो बीजेपी को न तो निगलते बन रही और न उगलते. जेटली जी का तुरंत बयान आया कि मैं तो सिर्फ 40 सेकेंड के लिए माल्या से मिला था.. मगर राजनैतिक धारणा में जो नुकसान बीजेपी को होना था वह हो चुका. सोशल मीडिया फिर सरकार के पीछे लग गया. सरकार एक बार फिर बैकफुट पर नजर आई. दूसरे दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और विजय माल्या के संबंधों और कांग्रेस द्वारा किंगफिशर एयरलाइंस का मुफ्त में इस्तेमाल करने का आरोप लेकर बीजेपी आ गई. इस पर खुद कांग्रेस अध्यक्ष सामने आए एक प्रेस कांफ्रेस में और  इस बार एक गवाह भी साथ लाए थे पीएल पुनिया को. पुनिया ने खुलासा किया कि जब जेटली और माल्या की मुलाकात हो रही थी तो वे संसद के सेंट्रल हॉल में मौजूद थे और उनकी मुलाकात पांच मिनट से लंबी चली थी. पुनिया ने दावा किया कि सरकार चाहे तो सेंट्रल हॉल का सीसीटीवी कैमरा का फुटेज मंगाकर सार्वजनिक करे, इससे सारी बात साफ हो जाएगी. पूनिया ने कहा कि यदि उनकी बात सच नहीं हुई तो वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे.

अब सरकार एक बार फिर बैक फुट पर आ गई है और फिर सोशल मीडिया उसके पीछे पड़ा है... जिस सोशल मीडिया को काबू में या कहें इस्तेमाल करने में बीजेपी पारंगत मानी जाती है, आज उसी में वह पिछड़ती नजर आ रही है. उसी की दवा का इस्तेमाल कांग्रेस उसी के खिलाफ कर रही है. और सबसे बड़ी बात है कि अभी हफ्ता खत्म नहीं हुआ, देखते हैं आगे-आगे होता है क्या-क्या...


मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...

 
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