लद्दाख डायरी : नए सांसदों को ऐसे मिलता है संसद में अपना सिक्का जमाने का मौका

लद्दाख के युवा सांसद को आर्टिकल 370 जैसे विषय पर बोलने का मौका कैसे मिला? जामयांग सेरिंग नामग्याल ने बातचीत में साझा किए विचार

लद्दाख डायरी : नए सांसदों को ऐसे मिलता है संसद में अपना सिक्का जमाने का मौका

लोकसभा में अनुच्छेद 370 पर हो रही बहस के दौरान एक नए युवा सांसद को बोलने का मौका मिला. वह सांसद थे लद्दाख के 34 वर्षीय जामयांग सेरिंग नामग्याल. नामग्याल ने संसद में जोरदार भाषण दिया था और जब इस बार मैं लेह गया तो उनसे मिलने का मौका मिला. मैंने उनसे पूछा कि आखिर आप जैसे युवा सांसद को आर्टिकल 370 जैसे विषय पर बोलने का मौका कैसे मिला? नामग्याल का कहना था कि 'यह सच है कि संसद में युवाओं को बोलने का मौका कम मिलता है. इसके कई कारण हैं. युवाओं को अपने में आत्मविश्वास लाना होगा. उन्हें विषय को पढ़ना होगा. साथ ही उन्हें संसदीय नियमों की जानकारी लेनी होगी. मेरे साथ भी यही हुआ.'

नामग्याल ने कहा कि 'मैंने पार्टी में नेताओं से कहा था कि 370 पर बहस के दौरान मुझे बोलने का मौका मिलना चाहिए, मगर उनके हाव भाव देखकर मुझे लग गया था कि मुझे शायद ही मौका मिले. मगर मैंने भी हार नहीं मानी. मैं भी बार-बार संसदीय पार्टी के दफ्तर में नेताओं को याद दिलाता रहा कि मुझे भी बोलना है. आखिर में कहा गया कि ठीक है, आपको दो मिनट का समय दिया जाएगा. मगर मैं पांच मिनट बोलना चाहता था. हालांकि मैं भी जानता था कि शायद ही मौका मिले क्योंकि बड़े-बड़े नेताओं का नाम वक्ताओं की लिस्ट में था.'

लद्दाख के सांसद ने बताया कि 'बहस के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता बोल रहे थे और उनके भाषण के दौरान किसी बात पर मैं खड़ा हो गया और बोलने लगा कि ये गलत बयानी कर रहे हैं. एक बार में मुझे बैठा दिया गया. तब मुझे लगा कि मेरा चांस खत्म हो गया है. मगर तुरंत ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कुछ ऐसा बोला कि मैं फिर उत्तेजित होकर खड़ा हो गया और विरोध करने लगा. इस बार सबसे आगे बैठे अमित शाह जी ने पीछे मुड़कर देखा कि कौन हल्ला कर रहा है. फिर मैं बैठ गया लेकिन मुझे लगा कि मेरी बात को हमारे बड़े नेताओं ने नोटिस कर लिया है. कुछ देर बाद मेरा नाम पुकारा गया. मैं बोलने उठा और बोलता ही चला गया. लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से जब पांच मिनट बाद भी रुकने के लिए घंटी नहीं बजी तो मैं बोलता ही गया. और बीस मिनट तक बोलता रहा. कहीं से किसी ने कोई टीका-टिप्पणी भी नहीं की. जब मेरे पास कुछ भी बोलने के लिए नहीं बचा तो मैं चुप हो गया और बैठ गया, क्योंकि मुझे लगा कि कहीं और ज्यादा बोलने के चक्कर में मैं कुछ गलत न बोल जाऊं. अब मुझे लगता है कि शायद यह मेरे बड़े नेताओं का भरोसा ही था कि लोकसभा अध्यक्ष ने भी मेरे जैसे नए सदस्य को बोलते रहने दिया. अनुच्छेद 370 पर बहस खत्म होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने मुझे एक चिट्ठी भी भेजी है जिसमें उन्होंने मेरी प्रशंसा की है.'

आर्टिकल 370 पर लद्दाख के सांसद के विचार कुछ इस तरह से हैं कि वे मानते हैं कि यह लद्दाख का राष्ट्रीय एकीकरण है. अब पूरे देश में एक ही संविधान चलेगा. लद्दाख वासी ने हर युद्ध में भारतीय सेना का सबसे अधिक साथ दिया है और भारतीय सेना से एक कदम आगे रही है. नामग्याल यह भी मानते हैं कि लद्दाख का केन्द्र शासित प्रदेश होना दिल्ली से बेहतर है क्योंकि दिल्ली के पास वहां की जमीन पर उनका अधिकार नहीं हैं जबकि लद्दाख की जमीन पर यहां की हिल कांउसिल का हक है. साथ ही हिल कांउसिल के पास जिला स्तर की नौकरियों पर भी हक है.

नामग्याल मानते हैं कि थोड़ा वक्त तो लगेगा मगर लद्दाख को इससे काफी फायदा होगा. दरअसल लद्दाख के सबसे बड़े शहर लेह की कुल आबादी महज डेढ़ लाख है और यहां के लोग बहुत ज्यादा कुछ नहीं चाहते. इलाज की बेहतर व्यवस्था और आवागमन के लिए अच्छी सड़कें. बाकी यहां का जीवन थोड़ा कष्टप्रद है क्योंकि ठंड के मौसम में यह देश के बाकी हिस्से से कट जाता है जिसके लिए नए तरह के वैकल्पिक साधनों की जरूरत होगी.

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)

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