बाबा की कलम से : केजरीवाल के लिए 'हनीमून' का भी वक्त नहीं

नई दिल्ली : अरविंद केजरीवाल की सरकार से लोगों की काफी उम्मीदें हैं। लोग इतने उतावले हैं कि अभी से बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। जहां भी, जरा भी गड़बड़ी है, लोगों को लगता है, वह सब तुरंत ठीक किया जाए। वजह साफ है। लोकसभा चुनाव में जिस तरह लोगों से वादे किए गए, लोगों को लगा था, सब पूरे किए जाएंगे और इसके लिए मोदी सरकार को लोगों ने छह महीने से अधिक वक्त दिया, और इस दौरान उन सभी राज्यों में बीजेपी को जिताया, जहां-जहां चुनाव हुए। लोगों ने मोदी सरकार पर आंख मूंदकर भरोसा किया, लेकिन दिल्ली की जनता ने आठ महीने के बाद बीजेपी के रथ को रोक दिया।

अब जनता मांग करने लगी थी कि काला धन कब आएगा, वही जुमला लोग दोहराने लगे, जो मोदी अपने चुनावी रैलियों में बोला करते थे। लोग सवाल पूछने लगे कि नाम वाला सूट कितने का आया। यही वजह है कि केजरीवाल की सरकार को दिल्ली की जनता हनीमून का वैसा मौका देने को तैयार नहीं हैं, जो अक्सर तीन से छह महीने का होता है।

जनता अभी से पूछने लगी है कि सीसीटीवी कैमरे कब लगेंगे। द्वारका और पालम के लोग पूछ रहे हैं कि पानी कब आएगा। सारी दिल्ली पूछ रही है कि बिजली कब सस्ती होगी। अब सब कुछ अरविंद केजरीवाल पर निर्भर करता है। जनता ने इतना जोरदार बहुमत दिया है कि अब मैदान छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता।

यही वजह है कि केजरीवाल शपथ लेने के पहले ही शहरी विकास मंत्री के पास पहुंच गए कि स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों के लिए पार्कों की जमीन दीजिए, क्योंकि केजरीवाल को मालूम है कि जमीन दिल्ली सरकार के पास नहीं, डीडीए के पास है। फिर केजरीवाल पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पास, क्योंकि दिल्ली पुलिस उनके हाथ में नहीं है, फिर नारी सुरक्षा कैसे होगी। दिल्ली सरकार केवल होमगार्ड नियुक्त कर सकती है, और दिल्ली के पास अभी 10,000 से ज़्यादा होमगार्ड हैं।

केजरीवाल प्रधानमंत्री से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मांग रहे हैं, जो दिल्ली का हर मुख्यमंत्री अभी तक मांगता रहा है, मगर किसी भी केंद्र सरकार ने नहीं दिया। केजरीवाल केवल दिल्ली विधानसभा से पूर्ण राज्य का प्रस्ताव ही पारित करके भेज सकते हैं, जिसे केंद्र सरकार रद्दी में फेंक सकती है। मायावती ने उत्तर प्रदेश के विभाजन का प्रस्ताव केंद्र को भेजा हुआ है, मगर उस पर कुछ नहीं होने वाला।

अब सवाल यह भी है कि पैसा कहां से आएगा, क्योंकि आम आदमी पार्टी वैट कम करने की बात कह रही है, मगर इससे सरकार की आमदनी पर असर पड़ेगा, क्योंकि बिजली बिलों में रियायत, फ्री पानी, सीसीटीवी कैमरे, फ्री वाई-फाई में करोड़ों-करोड़ खर्च होने वाले हैं।

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और अंत में, जैसा वैंकेया नायड़ू ने केजरीवाल से बैठक के बाद ट्वीट किया था - आवर कोऑपरेशन विल डिपेंड अपॉन हिज़ ऑपरेशन... यानि आप काम कीजिए, तभी हम इनाम की बात करेंगे। जनता भी कुछ ऐसा ही सोच रही है - काम करोगे तो इनाम मिलेगा, वरना इसी दिल्ली की जनता ने 15 साल सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को शून्य पर ला दिया और 32 सीटों वाले बीजेपी-अकाली गठबंधन को तीन पर ला पटका...