सभी तरफ 'महामिलावट' का जमाना

आप महागठबंधन कहें या महामिलावट, मगर सच्चाई तो यही है कि यह महामिलावट हर जगह मौजूद है और आज की राजनीति की यही सच्चाई है

सभी तरफ 'महामिलावट' का जमाना

देश में लोकसभा चुनाव की तैयारी राजनैतिक दलों ने युद्ध स्तर पर शुरू कर दी है और जैसे जंग के मैदान में होता है लड़ाई के लिए एक लकीर सी खींच दी गई है...दोनों तरफ गठबंधन करने की होड़ सी लगी हुई है. एक-एक दल और एक-एक राज्य के हिसाब से नफे नुकसान का जायजा लेने के बाद पार्टियां आपस में बात कर रही हैं. अब इसे आप महागठबंधन कहें या महामिलावट मगर सच्चाई तो यही है कि यह महामिलावट हर जगह मौजूद है और आज की राजनीति की यही सच्चाई है.

बीजेपी ने महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन को अंतिम रूप देकर साझा घोषणा भी कर दी है. यह तय हुआ है कि बीजेपी और शिवसेना साथ मिलकर लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. लोकसभा की कुल 48 सीटों में से बीजेपी 25 और शिवसेना 23 सीटों पर लड़ेगी. जबकि विधानसभा में इस गठबंधन की सहयोगी पार्टियों की सीटों को छोड़कर बाकी बची सीटों पर बीजेपी और शिवसेना बराबर सीटों पर लड़ेंगी. इसी तरह बीजेपी तमिलनाडु में भी एआईएडीएमके के साथ गठबंधन करने वाली है. मौजूदा लोकसभा में तमिलनाडु की 39 सीटों में से 37 पर एआईएडीएमके का कब्जा है तो एक सीट पीएमके और एक सीट बीजेपी के पास है. तमिलनाडु में एआईएडीएमके ने पीएमके के साथ अपने गठबंधन की घोषणा कर दी है जिसके अनुसार एआईएडीएमके ने पीएमके को 7 लोकसभा सीटें दी हैं. साथ ही पीएमके को एक राज्यसभा सीट भी दी जाएगी, मगर उसके एवज में पीएमके 21 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में एआईएडीएमके को अपना सर्मथन देगी. एआईएडीएमके अपने हिस्से में से बीजेपी को भी सीट देने वाली है. तमिलनाडु में बीजेपी के लिए सीट उतनी महत्वर्पूण नहीं है, बल्कि गठबंधन का हिस्सा बनना ज्यादा मायने रखता है.

अब जरा बीजेपी से गठबंधन या कहें महामिलावट पर नजर डालते हैं. उसके दो स्थाई सहयोगी तो हैं हीं जैसे पंजाब में अकाली दल, महाराष्ट्र में शिवसेना, बिहार में जनता दल यूनाइटेड और रामविलास पासवान की लोकतांत्रिक जनता पार्टी. यही नहीं उत्तरप्रदेश में भी बीजेपी का अपना दल जैसी छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन है. असम में असम गण परिषद बीजेपी का साथ छोड़ चुकी है मगर उसे मनाने की कोशिशें जारी हैं.

आंध्रप्रदेश में लोकसभा की 20 सीटें हैं जिसमें से बीजेपी के पास केवल दो सीटें हैं मगर चंद्रबाबू नायडू के तेलगु देशम के साथ उनका गठबंधन होने को रहा. मगर जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस एक बड़ी ताकत के रूप में उभर रही है. हालांकि मौजूदा लोकसभा में उसके पास केवल तीन सीटें हैं. मगर उसकी उभरती ताकत को देखते हुए बीजेपी जगन मोहन रेड्डी से हाथ मिलाना चाहेगी. जगन के पास भी बीजेपी एकमात्र विकल्प दिखता है क्योंकि वो न तो कांग्रेस के साथ जा सकते हैं और न चंद्रबाबू की टीडीपी के साथ. दूसरी तरफ तेलंगाना की 15 लोकसभा सीटों में से बीजेपी के पास केवल एक सीट है और जगन मोहन रेड्डी के पास भी एक ही सीट है. बीजेपी के पास यहां चंद्रशेखर राव की टीआरएस के साथ-साथ जगन मोहन के साथ जाने का भी विकल्प खुला हुआ है. इसके अलावा बीजेपी की महामिलावट उत्तर पूर्व के कई राज्यों में भी जारी है.

अब जरा विपक्ष के महागठबंधन या महामिलावट की बात कर लेते हैं. कांग्रेस ने बिहार में आरजेडी, कुशवाहा, मांझी जैसे लोगों के एक साथ एक बड़ा कुनबा जोड़ रखा है तो झारखंड में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ है. तमिलनाडु में एआईएडीएमके पीएमके और बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस डीएमके का हाथ थामने जा रही है, जिसमें कुछ और पार्टियां भी शामिल हो सकती हैं. महाराष्ट्र में भी कांग्रेल एनसीपी के साथ तो कर्नाटक में वह जेडीएस के साथ मिलकर लड़ेगी. केरल में कांग्रेस अपने सबसे पुराने साथी मुस्लिम लीग के साथ तो है ही मगर दिल्ली और पश्चिम बंगाल में गठबंधन होगा या नहीं अभी पक्का नहीं है. ये तो बात हो गई कांग्रेस की महामिलावट की मगर एक महामिलावट और भी है जिससे हो सकता है बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान हो. वह है उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा का गठबंधन.

यानि यह तो पक्का है कि भारत में महामिलावट का जोर है और जरूरत भी, भले ही आपके लिए यह महामिलावट विचारधाराओं का संगम हो और दूसरों के लिए अवसरवादिता..मगर क्या करें आप कुछ भी कहें भारतीय राजनीति में महामिलावट का ही है जमाना.

 

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)

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