राहुल गांधी और चंद्रबाबू नायडू का एक साथ आना फोटो खिंचवाना और साथ साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करना ये अपने आप में देश के मौजूदा हालात को बयान करने के लिए काफी है...साथ ही इस तस्वीर से कांग्रेस के तमाम सर्मथकों ने भी राहत की सांस ली होगी...यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि तेलुगू देशम पार्टी जैसे दलों का जन्म ही कांग्रेस विरोध के चलते हुआ था...उनकी सारी राजनीति ही कांग्रेस विरोध के इर्द गिर्द घुमती रही है. यही वजह है कि वो बड़े सहजता से वामदलों के साथ भी शामिल होते रहे हैं और बीजेपी के साथ भी... कभी यूनाईटेड फ्रंट के साथ रहे तो कभी एनडीए का हिस्सा बने...इसलिए राहुल और चंद्रबाबू का साथ आने को एक राजनैतिक संकेत की तरफ इशारा के तौर पर देखा जा रहा है...और जब राहुल और चंद्रबाबू नायडू बाहर आए तो पत्रकारों से कहा कि हां यह जरूर है कि हम दोनों दलों का एक इतिहास रहा है, मगर अब हमने यह तय किया है कि हम उसकी चर्चा नहीं करेगें हम अब वर्तमान और भविष्य की बात करेगें...
उन्होंने कहा है कि वक्त आ गया है जब देश, देश की संस्थाओं और उसके भविष्य के लिए हमें एकजुट होना ही पड़ेगा... दोनों नेताओं ने कहा कि हमें देश को बचाना है और जो भी बीजेपी का विरोध करता है हम उनके पास जाएगें और साथ लाने की कोशिश करेगें...चंद्रबाबू ने आज एनसीपी नेता शरद पवार और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्लाह से भी बातचीत की है...
राजनीति के जानकारों का मानना है कि देश में जो हालात पैदा हो रहे हैं उससे एक गैर बीजेपीवाद पैदा हो रहा है. ठीक उसी तरह जब एक वक्त में गैर कांग्रेसीवाद पनपा था इंदिरा गांधी के शासन के वक्त खासकर इमरजेंसी के बाद... राजनीति के जानकारों की मानें तो अभी हालात कुछ वैसे ही बनते दिख रहे हैं खासकर इन राजनैतिक दलों को इसलिए देश में बीजेपी के खिलाफ गैरबीजेपीवाद के रूप में दल इकट्ठा होते जा रहे हैं...कई नेताओं की कोशिश है कि देश भर में यदि कोई बड़ा गठबंधन नहीं बन पाता है तो राज्यवार गठबंधन बनाया जाए, जैसे तेलंगाना में टीआरएस के खिलाफ कांग्रेस, तेलुगू देशम, सीपीआई और तेलंगाना संघर्ष समिति जैसे दलों ने एक मोर्चा बनाया है...
कई ऐसे राज्य हैं जहां बीजेपी की सहयोगी दल गठबंधन में अपने आप को असहज महसूस कर रही हैं...कुछ ऐसा ही पनप रहा है असम में जहां राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर असम गणपरिषद अपने आप को असहज महसूस कर रही है और वह बीजेपी से अलग होने का मन बना रही है...कई जानकार मानते हैं कि बीजेपी के सहयोगी अब इस बात से डर रहे हैं कि उन्हें लगता है कि बीजेपी गाहे बगाहे उनके वोट बैंक पर कब्जा कर लेगी और उनका क्षेत्रीय अस्तित्व खत्म हो जाएगा...
उत्तरप्रदेश में यदि सपा बसपा और कांग्रेस साथ आते हैं...बिहार में आरजेडी, कांग्रेस और मांझी साथ होते हैं, महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी और कर्नाटक में जेडीएस, कांग्रेस और तमिलनाडु में डीएमके और कांग्रेस साथ रहते हैं और जिसकी संभावना भी काफी है तो 2019 में बीजेपी को काफी कड़ी चुनौती पेश की जा सकती है...यही बात उन तमाम नेताओं को समझ में आ गई है, जिन्होंने अपनी राजनीति तो शुरू की गैर कांग्रेसीवाद से मगर अब बीजेपी के खिलाफ इकट्ठा हो रहे हैं.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...
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