अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति की बिसात बिछ चुकी है. इसके साथ ही हमेशा की तरह नेताओं में भी इस पार्टी से उस पार्टी में जाने के लिए भगदड़ मची हुई है...नेताओं को मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता है खासकर चुनाव के संर्दभ में उन्हें चुनाव के ठीक पहले अंदाजा हो जाता है कि ऊंट किस करवट बैठेगा. इसके बाद वह उन पार्टियों के तरफ रुख करते हैं, जिसके बारे में उन्हें लगता है कि इस पार्टी की सरकार बनने वाली है...कुछ ऐसा ही राजस्थान कांग्रेस में हो रहा है...
दौसा से बीजेपी सांसद हरीश मीणा ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए और विधानसभा चुनाव लड़ेंगें...यही नहीं नागौर से बीजेपी विधायक हबीब उर रहमान भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं...हरीश मीणा का जिक्र करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि मीणा का राजस्थान की राजनीति में काफी दखल है...मीणा का भरतपुर, धौलपुर, कराली और दौसा जैसे क्षेत्रों में काफी प्रभाव है साथ ही राजस्थान में कुल वोटों में मीणा का प्रतिशत करीब 14 फीसदी है...मीणा अनुसुचित जनजाति से आने के वावजूद काफी शिक्षित हैं और राजस्थान की नौकरशाही में उनकी संख्या काफी है...खुद हरीश मीणा भी राजस्थान के पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं वो भी तब जब अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री होते थे...यही नहीं कांग्रेस ने यह भी फैसला लिया है कि राजस्थान विधानसभा का चुनाव अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों लड़ेंगें. यह एक ऐसा बिषय है जिसे लेकर कई बातें कही गईं, क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने मध्यप्रदेश में यह फॉर्मूला नहीं अपनाया है वहां पर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिंया में से कोई भी चुनाव नहीं लड़ रहा है, मगर राजस्थान के बारे में कहा जा रहा है कि आलाकमान ने गहलोत और पायलट दोनों को चुनाव में उतार कर जनता के मन में कोई दुविधा नहीं छोड़ा है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा.
जानकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री को लेकर अभी भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है...जानकार यह भी बताते हैं कि गहलोत अपनी विधानसभा सीट सरदारपुरा किसी भी हालत में छोड़ना नहीं चाहते थे. ऐसे हालात में कांग्रेस आलाकमान के पास पायलट को चुनाव लड़वाने के अलावा कोई चारा नहीं था, क्योंकि यदि गहलोत लड़ते और पायलट नहीं तो संदेश गलत जाता...देखा जाए तो पायलट कहां से विधानसभा लड़ेंगें यह तय नहीं है...उनके पिता और माताजी दौसा से सांसद रहीं है, मगर दौसा अब रिर्जव सीट हो गया है. ऐसे में सचिन पायलट को अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ना पड़ा था...
देखना होगा कि वो अजमेर से ही विधानसभा लड़ते हैं या किसी और सीट से...वैसे जानकार यह भी मानते हैं कि सचिन पायलट ने राजस्थान में पिछले चार सालों में काफी मेहनत की है और हजारों किलोमीटर घूमे भी हैं...राजस्थान का कोई शायद ही कोना होगा जहां पायलट ना गए हों...दूसरी तरफ गहलोत की दिल्ली में महासचिव के रूप में काम काफी अच्छा रहा है खासकर गुजरात में विधायक बचाने और फिर चुनाव के दौरान भी साथ ही गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के 'गुडबुक' में हैं...मगर राजस्थान से जो खबरें आ रही है वह कांग्रेस के लिए काफी अच्छे हैं. यही वजह है कि सभी इसका हिस्सा बनाना चाहते हैं कि कहीं वो पीछे ना छुट जाए.
(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)
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